Gujarat Election Symbol: गुजरात विधानसभा चुनावों के लिए नामंकन की प्रक्रिया शुरू हो गई है. ऐसे में सभी राजनीतिक दलों के लिए चुनावी चिन्ह का होना आवश्यक हो जाता है. चुनाव चिन्ह मतदाताओं से जुड़ने का जरिया होता है. गुजरात विधानसभा चुनाव के लिए चुनाव आयोग ने वर्ष 2020 में कई नए मुफ्त चुनाव चिन्ह जारी किए थे जिन्हें इस साल गुजरात विधानसभा चुनावों के लिए उपयोग किया जा रहा है


प्रमुख राजनीतिक दलों के चुनाव चिन्ह सालों से चलें आ रहे है. जैसे बीजेपी की पहचान कमल से है तो वहीं कांग्रेस की पहचान हाथ से है. लेकिन चुनाव आयोग की ओर से जारी मुफ्त नए चुनाव चिन्ह व्यापक विवधता का दावा करते हैं.


निर्दलीय उम्मीदवारों के लिए 168 नए चुनाव चिन्ह


राज्य चुनाव आयोग की वेबसाइट के अनुसार 10 राजनीतिक दलों को आरक्षित चुनाव चिन्ह दिए गए हैं. आरक्षित चुनाव चिन्ह में आम आदमी पार्टी का चिन्ह झाड़ू, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का घड़ी और समाजवादी पार्टी का साइकिल शामिल है. जबकि दूसरी ओर राज्य स्तर के गैर मान्यता प्राप्त दल जैसे राष्ट्रीय जनता दल को नारियल के खेत का चुनाव चिन्ह, इंडियन पब्लिक पार्टी को बल्लेबाज, अखिल भारत हिंदु महासभा को नारियल और राष्ट्रीय जन क्रांति पार्टी को बांसुरी जैसे चुनाव चिन्ह आवंटित किए गए है.


कुल मिलाकर ऐसे 39 प्रतीकों को आयोग द्वारा आवंटित या मान्यता दी गई है. तीसरी सूची में निर्दलीय उम्मीदवारों के लिए 168 नए चुनाव चिन्हों को मान्यता दी गई है. निर्दलीय उम्मीदवारों के लिए एयर कंडिशनर, सीसीटीवी कैमरा, कंप्यूटर का माउस, हेडफोन, लेपटोप, फोन चार्जर और वेकुम क्लीनर आदि जैसे चुनाव चिन्ह शामिल हैं.


चुनाव चिन्ह मतदाताओं से जुड़ने का माध्यम


गुजरात के केंद्रीय विश्वविघालय में राजनीतिक विज्ञान के  असिस्टेंट प्रोफेसर प्रिया रंजन कुमार ने कहा कि राजनीतिक दलों और निर्दलीय दलों के लिए चुनाव चिन्ह पहचान देता है और लोगों के साथ जुड़ने का माध्यम प्रदान करता है. उन्होंने आगे कहा कि पहले चुनावों में खेती, पशुधन,गेंहू, किसान या ग्रमीण जीवन से जुड़े चुनाव चिन्हों को मान्यता देते थे. लेकिन भारत के बदलते शहरीकरण के चलते अब चुनावों में नए युवा मतदाता जुड़ गए है. इसलिए अब यह जरूरी हो जाता है कि हम युवाओं को मद्देनजर रखते हुए तकनीकि प्रेमी से जुड़े चुनाव चिन्हों को आवंटित किया जाए.


2017 में राजेश मौर्या ने अहमदाबाद से डायमंड के चुनाव चिन्ह के साथ चुनाव लड़ा था जिसमें उन्होंने कहा कि उनका अभियान प्रतीक के आसपास केंद्रीत था. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि जब प्रमुख राजनीतिक दलों से मान्यता नहीं  मिलती है तो उनसे अलग दिखने के लिए अपना चुनाव चिन्ह महत्वपूर्ण हो जाता है.


नए चुनाव चिन्ह पुराने और नए का मिश्रण


लगभग सभी बड़े राजनीतिक दलों जैसे भाजपा, कांग्रेस ने अपने दशकों पुराने चुनाव चिन्हों में भी बदलाव किया है. हाल ही में महराष्ट्र के शिवसेना के दोनों धड़ो ने ऐसे चुनाव चिन्ह प्राप्त किए हैं जो उनके पारंपारिक चिन्हों से बेहद ही अलग हैं. गुजरात में 10 राजनीतिक दलों के पास आरक्षित चुनाव चिन्ह हैं हालांकि 30 अन्य दलों को भी चुनाव चिन्ह दिए गए है. राज्य चुनाव आयोग की ओर से दिए गए नए चुनाव चिन्ह पुराने और नए का मिश्रण है जिसमें तकनीकी चीज, घरेलू समान, स्पोर्टस और खान-पान की चीजें शामिल है.


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