Old Pension Scheme: गुजरात में पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) की बहाली की मांग एक प्रमुख चुनावी मुद्दा बनकर उभरी है. कांग्रेस और आम आदमी पार्टी दोनों ने अगले महीने होने वाले विधानसभा चुनाव के बाद राज्य की सत्ता में आने पर इसे लागू करने का वादा किया है. विपक्षी दल इस वादे के साथ उन लाखों सरकारी कर्मचारियों का समर्थन हासिल करना चाहते हैं, जो नई पेंशन योजना को लेकर भारतीय जनता पार्टी सरकार के खिलाफ हैं. गुजरात की 182 सदस्यीय विधानसभा के लिए दो चरणों में 1 और 5 दिसंबर को मतदान होना है.


गुजरात सरकार ने 1 अप्रैल 2005 को या उसके बाद नौकरी शुरू करने वाले कर्मचारियों के लिए नई अंशदायी पेंशन योजना शुरू की थी. इसकी अधिसूचना के अनुसार यह एनपीएस फंड में कर्मचारियों द्वारा योगदान किए गए मूल वेतन और महंगाई भत्ते (डीए) के 10 प्रतिशत के बराबर होगी. केंद्र की योजना के तहत सरकार 1 अप्रैल, 2019 से कर्मचारी के वेतन और डीए के 10 प्रतिशत योगदान के मुकाबले 14 प्रतिशत का योगदान देती है.


एनपीएस के लिए कर्मचारियों का विरोध


गुजरात में कर्मचारियों के विरोध के बाद, राज्य सरकार ने कहा था कि नई पेंशन उन कर्मचारियों पर लागू नहीं होगी, जिन्होंने अप्रैल 2005 से पहले नौकरी शुरू की थी. सरकार ने फंड में अपने योगदान को 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 14 प्रतिशत करने का भी वादा किया था. गुजरात में कर्मचारियों ने पुरानी पेंशन योजना की बहाली की मांग करते हुए सरकार के खिलाफ बड़े पैमाने पर आंदोलन किया है क्योंकि उनका मानना है कि नई पेंशन योजना सेवानिवृत्त कर्मचारियों के हित में नहीं है.


15 मांगों के साथ विरोध प्रदर्शन


सरकारी प्राथमिक विद्यालय के शिक्षकों की संस्था अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ के कार्यकारी अध्यक्ष दिग्विजय सिंह जडेजा ने बताया कि हमने 15 मांगों के साथ एक आंदोलन शुरू किया. इनमें से पुरानी पेंशन योजना की बहाली और निश्चित वेतन मुद्दे से संबंधित मांगों को स्वीकार नहीं किया गया. सरकार ने एक समिति का गठन किया. उसने कहा कि वह एनपीएस फंड में अपना योगदान बढ़ाएगी लेकिन कोई अधिसूचना जारी नहीं की गई. 


'वित्तीय प्रबंधन के जरिए लागू हो सकती है ओपीएस'


लगभग सात लाख सरकारी कर्मचारी पुरानी पेंशन योजना की बहाली के लिए दबाव बना रहे हैं, जिनमें वे 70,000 प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक शामिल हैं, जिन्होंने 2005 से पहले एक निश्चित वेतन पर नौकरी शुरू की थी. गुजरात में पुरानी पेंशन की बहाली कांग्रेस के चुनावी घोषणापत्र का हिस्सा है. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा था कि जो लोग यह दावा कर रहे हैं कि पुरानी पेंशन योजना सरकारी खजाने पर बोझ डालेगी, वे सही नहीं कह रहे हैं क्योंकि वित्तीय प्रबंधन के जरिए इसे बहाल किया जा सकता है.


ओपीएस बना विपक्षी दलों का चुनावी मुद्दा


कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने सत्ता पाने के लिए ओपीएस को हथियार के रूप में इस्तेमाल किया है. दोनों पार्टियों ने आंदोलन कर रहे कर्मचारियों को आश्वासन दिया है कि नई पेंशन योजना को खत्म कर दिया जाएगा और पुरानी पेंशन योजना बहाल की जाएगी. उन्होंने अपनी बात समझाने के लिए राजस्थान, छत्तीसगढ़ और आप द्वारा शासित पंजाब का उदाहरण दिया है.


ओपीएस के लिए क्या कहा केजरीवाल ने


आप ने गुजरात में सरकारी कर्मचारियों को आश्वासन दिया है कि अगर वह राज्य की सत्ता में आई तो पुरानी पेंशन योजना को लागू करेगी. पंजाब में अपने वादे को पूरा करने की दिशा में आप सरकार ने इसकी बहाली को मंजूरी दी थी. आप के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल ने हाल ही में एक बयान में दावा किया था कि नई पेंशन योजना अनुचित है. उन्होंने कहा कि पुरानी पेंशन योजना को बहाल किया जाना चाहिए और पूरे देश में लागू किया जाना चाहिए.


गुजरात में लागू करेंगे ओपीएसः आप


केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा कि पंजाब में भगवंत मान के नेतृत्व वाली आप सरकार ने वादा पूरा किया. केजरीवाल ने कहा था कि अगर हिमाचल प्रदेश और गुजरात के लोग आप को मौका देते हैं तो हम वहां भी पुरानी पेंशन योजना लागू करेंगे. हिमाचल प्रदेश की 68 विधानसभा सीटों के लिए शनिवार को मतदान हो चुका है.


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