गुजरात विधानसभा चुनाव में पहली बार चुनाव लड़ रही एआईएमआईएम दलित और मुस्लिम वोटों पर फोकस कर रही है. एआईएमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी मई से अक्सर गुजरात का दौरा कर रहे हैं और उनको यकीन है कि गुजरात की जनता इस बार बदलाव चाहती है.
एआईएमआईएम राज्य की कुल 182 विधानसभा सीटों में से 40-45 सीटों पर चुनाव लड़ने की योजना बना रही है. इनमें से उसने अब तक अहमदाबाद की तीन और सूरत की दो सीटों के लिए प्रत्याशी उतारे हैं. पांच में से चार पहली बार के प्रतियोगी हैं.
एआईएमआईएम का गुजरात विधानसभा चुनाव में अपनी पार्टी के उम्मीदवारों को उतारना इसलिए भी दिलचस्प है क्योंकि फरवरी 2021 में हुए स्थानीय निकाय चुनावों में एआईएमआईएम ने 40 में से 26 सीटों पर जीत हासिल की थी, जिसमें मोडासा में नौ, गोधरा में छह, भरूच में एक और अहमदाबाद में नगर निगम की सात सीटें शामिल हैं.
ऐसे में ये दिलचस्प है कि क्या गुजरात के वोटर्स ओवैसी की पार्टी पर विश्वास दिखाती है. खासकर AIMIM के चुनाव लड़ने की घोषणा के बाद राज्य की उन सीटों को लेकर चर्चा तेज है जहां मुस्लिम मतदाता उम्मीदवारों की किस्मत तय करते हैं. आइए जानते हैं.....
गुजरात में मुसलमानों का प्रभाव
2011 की जनगणना के अनुसार, गुजरात राज्य में हिंदू बहुसंख्यक हैं. हिंदू धर्म गुजरात की आबादी का 88.57 फीसदी है. गुजरात में मुस्लिम आबादी कुल 6.04 करोड़ में से 58.47 लाख (9.67 प्रतिशत) है. गुजरात में ईसाई आबादी कुल 6.04 करोड़ में से 3.16 लाख (0.52 प्रतिशत) है. हालांकि ये डाटा साल 2011 का है तो इसमें अंतर हो सकता है.
अब आपको बता दें कि राज्य में मुस्लिम आबादी बेशक कम हो लेकिन 34 विधानसभा क्षेत्रों में, मुस्लिम मतदाताओं की आबादी 15 प्रतिशत से अधिक है.
वहीं गुजरात में 20 विधानसभा क्षेत्र हैं जहां मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 20 प्रतिशत से अधिक है. इन 20 सीटों में से चार अहमदाबाद जिले में हैं जबकि तीन-तीन भरूच और कच्छ जिले में हैं.
इन आंकड़ों को देख कर कोई भी कह सकता है कि राज्य में कई सीटों पर मुस्लिम वोटर्स उम्मीदवार की जीत और हार तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं. ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या मुस्लिम वोटर्स ओवैसी की पार्टी को वोट देंगे? अगर मुस्लिम वोटर्स का वोट ओवैसी की पार्टी को मिलती है तो ये सीधे तौर पर उनके उम्मीदवार की जीत में बड़ी भूमिका निभाएगा.
सिर्फ मुसलमानों के वोट से नहीं जीत सकते
जमालपुर-खड़िया के मौजूदा विधायक इमरान खेड़ावाला ने द इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक साक्षात्कार में एआईएमआईएम के इरादों पर सवाल उठाया था. उन्होंने कहा “मेरी सीट का मुस्लिम-हिंदू अनुपात 60:40 है, लेकिन अगर मुझे हिंदू समुदाय के वोट नहीं मिले तो मैं जीत नहीं सकता. AIMIM सीधे तौर पर बीजेपी को फायदा पहुंचाएंगे.''