Gujarat Elections 2022: गुजरात विधानसभा चुनाव में सभी पार्टियां अपने चुनावी अभियान में जुटी हुई हैं. यहां की 182 विधानसभा सीटों के लिए 1 और 5 दिसंबर को मतदान होना है. 1 दिसंबर को होने वाले पहले चरण में 89 सीटों पर मतदान होगा. वहीं बाकी की सीटों पर 5 दिसंबर को वोटिंग होगी. राजनीतिक दल गुजरात के तमाम समीकरणों को साधने में जुटे हैं. ऐसे में इस राज्य में आदिवासी तबका चुनावों में काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जो किसी भी राजनीतिक दल की किस्मत बदल सकते हैं.
गुजरात में आदिवासियों की 15 फीसदी आबादी है, यह समुदाय जिस भी पार्टी की तरफ घूमेगा उससे राज्य के सियासी समीकरण बदल सकते हैं. वैसे तो आदिवासी कांग्रेस के परंपरागत वोटर माने जाते हैं, लेकिन राज्य में हुए लोकसभा और विधानसभा के पिछले कुछ चुनावों में यह वोट वैंक कांग्रेस से छिटका है. 2019 के लोकसभा चुनाव में आदिवासी समुदाय ने बीजेपी को 50 फीसदी से ज्यादा वोट दिया था. इस समुदाय की बड़ी आबादी गुजरात के पूर्वी जिलों में रहती है.
इन जिलों में दबदबा
आदिवासी बाहुल्य वाले जिलों में डांग में 95 फीसदी, तापी 84 फीसदी, नर्मदा 82 फीसदी, दाहोद 74 फीसदी, वलसाड 53 फीसदी, नवसारी 48 फीसदी, भरुच 31 फीसदी, पंचमहल 30 फीसदी, वडोदरा 28 फीसदी और सबारकांठा में 22 फीसदी हैं. 2011 की जनगणना के मुताबिक गुजरात में 89.1 लाख आदिवासी हैं, जो राज्य की कुल आबादी का 15 फीसदी बैठती है.
विधानसभा की 27 सीटें आरक्षित
राज्य में इस बड़ी आबादी के लिए 27 विधानसभा सीटें आरक्षित हैं, जिस पर इस समुदाय के लोग ही चुनाव लड़ सकते हैं. इन आरक्षित सीटों पर बीजेपी और कांग्रेस दोनों के ही उम्मीदवार जीतते आए हैं. 2017 के चुनाव में भारतीय ट्राइबल पार्टी ने 2 सीटों पर जीत हासिल की थी. लेकिन दिलचस्प बात यह है कि आदिवासी महज इन आरक्षित 27 सीटों तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि इनका दबदबा 35 से 45 सीटों पर माना जाता है. गुजरात की 47 सीटें ऐसी हैं जहां आदिवासी आबादी 10 फीसदी से अधिक है. वहीं 40 विधानसभी सीटों पर 20 फीसदी से अधिक.
पिछले विधानसभा चुनाव में आदिवासी समुदाय ने कांग्रेस पर ज्यादा भरोसा जताया था. कांग्रेस को इन आरक्षित 27 सीटों में से 15 सीटों पर जीत हासिल हुई थी, जबकि बीजेपी को 8 सीटों पर जीत मिली थी और बीटीपी ने 2 सीटें जीती थीं, वहीं एक सीट निर्दलीय के खाते में गई थी.
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