Gujarat Assembly Elections 2022: गुजरात विधानसभा चुनाव शुरू होने से पहले भारतीय जनता पार्टी (BJP) वाधोडिया के मौजूदा विधायक मधु श्रीवास्तव का टिकट काट दिया है. मधु साल 1995 में पहली बार विधानसभा का चुनाव निर्दलीय लड़ा था. उसके बाद वह बीजेपी में शामिल हो गए थे. तब से वह वाधोडिया का विधायक रहे हैं. टिकट कटने के बाद उन्होंने कहा कि कार्यकर्ताओं से विचार विमर्श करने के बाद वह निर्दलीय भी चुनाव लड़ सकते हैं.

अपने आवास पर समर्थकों के साथ बातचीत करने के दौरान उन्होंने कहा कि वह कुछ समय और इंतजार करेंगे पार्टी शायद अपना फैसला बदलकर उन्हें उम्मीदवार घोषित कर दे. उन्होंने यह भी कहा कि अगर बीजेपी उन्हें टिकट नहीं देती है, तो वह किसी दूसरे पार्टी या फिर निर्दलीय चुनाव लड़ सकते हैं.

विवादों में रही है यह सीट
वाधेडिया सीट बहुत दिनों तक किसी न किसी कारण से विवादों में रहा है. कुछ दिन पहले से ही ऐसी खबरें आ रही थी कि बीजेपी इस विधानसभा सीट पर अपने उम्मीदवार बदलने वाली है.बीजेपी ने टिकट बांटने से पहले हर एक सीट पर सर्वे भी कराया था. केंद्रीय मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला ने पार्टी को इस सीट पर दोबारा विचार करने की बात कही है. मधु ने लगातार 6 बार से विधायक चुनते आए हैं. हालांकि पार्टी ने मधु को इस बार मौका नहीं दिया. उनके बदले इस सीट पर वड़ोदरा जिले के पार्टी अध्यक्ष अश्विन पटेल को टिकट दिया है.

वड़ोदा सीट पर भी कटा टिकट
बीजेपी ने बड़ौदा के डेयरी चेयरमैन दिनेश पटेल का पादरा विधानसभा सीट से टिकट काट दिया है. इस सीट पर बीजेपी ने चैत्यांश सिंह झाला को टिकट दिया है. झाला पादरा के म्युनिसिपल कॉरपोरेशन के हेड थे. पटेल और झाला दोनों काफी दिनों से प्रतिद्वंदी रहे हैं. 2017 के विधानसभा चुनाव में दिनेश पटेल ने अपने हार का ठिकरा झाला के ही नाम पर फोड़ा था. पटेल ने आरोप लगाते हुए कहा था कि झाला ने विपक्षियों की मदद की है. इसके कारण मैं चुनाव हार गया. इसके बाद भी पार्टी ने उसे टिकट देने का फैसला किया है.

कब लड़ा था पहला चुनाव
पटेल साल 1998 में पहली बार पादरा की सीट पर कांग्रेस के निशान पर चुनाव लड़ा था. साल 2002 और 2007 में पार्टी द्वारा टिकट नहीं दिए जाने पर उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ा था. साल 2002 का विधानसभा चुनाव तो वह हार गए थे, लेकिन साल 2007 के चुनाव में उसे जीत मिली थी. इसके बाद उसने बीजेपी पार्टी ज्वाइन कर लिया था. इसके बाद वह 2012 विधानसभा चुनाव भी  जीत गए थे. सूत्रों की मानें तो झाला को टिकट उसके कास्ट को देखते हुए दिया गया है. झाला पार्टी के बड़े ही वफादार नेता रहे हैं.


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