नई दिल्ली: हरियाणा में बीजेपी ने 90 में से 75 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है . तमाम सर्वे बीजेपी को 70 से ज्यादा सीटें दे रहे हैं . खुद बीजेपी के नेता हरियाणा में आसान जीत की बात कर रहे हैं लेकिन बीजेपी कुछ कुछ आशंकित भी लगती है . यही वजह है कि मेवात में बीजेपी ने दो मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिया . कुश्ती सितारों बबीता फोगाट और योगेश्वर दत्त को चुनाव मैदान में उतारा . हाकी के सूरमा संदीप सिंह को भी आजमाया जा रहा है . टिक टॉक स्टार सोनाली फोगाट तक भी टिकट दिया गया है . पहले बात करते हैं मेवात की . यहां नूंह और फिरोजपुर झिरका से पिछली बार चौटाला की पार्टी से जीते जाकिर हुसैन और नईम अहमद को बीजेपी ने अपने साथ लिया और अब दोनों कमल चिन्ह पर चुनाव लड़ रहे हैं . पुन्हाना में पिछली बार निर्दलीय जीते रईस खान को बीजेपी ने अपने साथ लिया लेकिन फिर टिकट काट दिया और 27 साल की नौक्षम चौधरी को मैदान में उतारा है . यह बताता है कि बीजेपी एक एक सीट के लिए दांव लगा रही है और प्रयोग करने में परहेज नहीं कर रही है . जिस मेवात में पांच सालों में कभी सड़क पर नमाज पढ़ने के मुददे पर हंगामा होता रहा हो , गौरक्षकों की कथित गुंडागर्दी से मेव परेशान होते रहे हों , गोमांस मिलाने के नाम पर बिरयानी बेचने वालों पर पुलिस प्रशासन का डंडा चलता रहा हो , हिंदुत्व कार्ड जोर पर चलाने की कोशिश होती रही हो उसी मेवात में बीजेपी को दो मुस्लिम विधायकों को दूसरी पार्टी से तोड़ना पड़ा है .


वैसे मेवात को समझने के लिए नूंह के जयसिंह पुर गांव जाना ही होगा . यह पहलू खान का गांव है . पहलू खान का नाम दो साल पहले सुर्खियों में आया था जब राजस्थान के बहरोड़ में गौरक्षकों ने पीट पीट कर हत्या कर दी थी . वह जयपुर से गाए खरीद कर लौट रहे थे . पिछले दिनों अलवर की अदालत ने आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया . हालांकि अदालत ने पुलिस को काफी लताड़ पिलाई थी . हैरानी की बात है कि पुलिस ने उस वीडियो रिकार्डिंग को भी अदालत के सामने पेश नहीं किया था जिसमें पहलू खान की पिटाई होती साफ तौर पर दिख रही थी . खैर ,तफ्तीश के दौरान राजस्थान में बीजेपी की सरकार थी और फैसला आया कांग्रेस सरकार के समय . दोनों के रवैये से पहलू खान की बेवा जेबुन्निसा नाराज दिखीं . कहने लगी कि वह अब मरते दम तक लंबी अदालती लड़ाई लड़ेगी चाहे घर ही क्यों न बिक जाए लेकिन पहलू खान को इंसाफ दिलवा कर ही दम लेंगी . उनके बेटे मुबारक खान ने बताया कि अब गांव के मेवों ने गाय पालना लगभग बंद कर दिया है . दोनों बीजेपी को इसके लिए जिम्मेदार ठहराते हैं जो गुंडे गोरक्षकों को संरक्षण देती रही है . मुबारक की बातों से जयसिंह पुर गांव के लोगों ने भी सहमति जताई . सब का कहना था कि मेवात में बीजेपी ने हिंदु मुस्लिम करने की कोशिश की और सदियों से साथ रहते आए मेव और हिंदुओं के बीच खाई बनाने का काम किया .


मेवात की पांचों सीटों पर मेवों की बहुलता है . यहां इनकी आवादी 70 फीसद है . पिछले विधानसभा चुनावों में पांच में से एक ही सीट बीजेपी को मिली थी . लोकसभा की सभी दस सीटों पर बीजेपी जीती लेकिन मेवात में पिछड़ी थी . इस बार बीजेपी ने नई रणनीति अपनाई है . इसी के तहत उस नूंह से चौटाला की आईएनएलडी से जीते जाकिर हुसैन को टिकट दिया है जहां से बीजेपी का कभी खाता तक नहीं खुला . यहां से कभी कांग्रेस तो कभी चौटाला की पार्टी जीतती रही है . नूंह में लोग मोदी और खटटर की आलोचना करते हैं लेकिन दिलचस्प बात है कि जाकिर हुसैन को अपना नेता मानते हैं जो बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं . ऐसा ही कुछ फिरोजपुर झिरका में भी दिखता है जहां चौटाला की पार्टी से जीते नमीम अहमद को बीजेपी ने टिकट दिया है . वैसे नीति आयोग का कहना है कि मेवात देश के सबसे पिछ़ड़े जिलों में आता है लेकिन ऐसे जिले जो संभावना वाले हैं . विकास की संभावना है वाले हैं .


मेवात की राजनीति समझने के लिए पहलू खान के घर जाना जरुरी है तो हरियाणा में जाट राजनीति समझने के लिए दस साल मुख्यमंत्री रहे भूपेन्द्र सिंह हुडडा के गढ़ी सांपला किलोई विधानसभा क्षेत्र में जाना जरुरी है जो रोहतक में पड़ता है . पांच सालों से गैर जाट मनोहर लाल खटटर सत्ता में हैं और किलोई में बुजुर्ग जाट हुडडा के विकास कामों की तारीफ करते हुए चौधर की वापसी की बात करते हैं . हालांकि इसके साथ ही हुडडा को सिर्फ जाटों का नेता न बताकर 36 कौमों का नेता भी बताना नहीं भूलते . सत्ता गंवाने का दर्द साफ दिखता है और सत्ता में वापसी से जुड़ी आशा में उत्साह भी कम ही दिखता है . हुडडा अपने राजनीतिक जीवन की सबसे कठिन लड़ाई लड़ रहे हैं . बेटे दीपेन्द्र सिंह रोहतक से लोकसभा चुनाव हार चुके हैं . पार्टी में कलह है . अशोक तंवर इस्तीफा दे चुके हैं . हरियाणा में 25 से 27 फीसद जाट हैं . यहां विधानसभा की 90 सीटें हैं और औसत रुप से 26 जाट विधानसभा पहुंचते रहे हैं . यानि करीब करीब एक तिहाई . हम कह सकते हैं कि हरियाणा विधानसभा पहुंचने वाला हर तीसरा चौथा विधायक जाट होता है . इस बार बीजेपी ने 19 जाटों को ही टिकट दिया है जबकि पिछली बार 24 जाट उम्मीदवार उतारे थे . कांग्रेस ने पिछले विधानसभा चुनावोंमें 28 जाटों को टिकट दिया था . इस बार 26 जाट प्रत्याशियों को टिकट दिया है . कहा जाता है कि यहां की 90 सीटों में से करीब 35 में जाट अपना निर्णायक असर रखते हैं .


कांग्रेस चुनाव प्रचार अभियान की जिम्मेदारी हुडडा के पास है जो जाट हैं . जो 25 से 27 फीसद हैं . कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष कुमारी शैलजा है जो दलित हैं जो 20 -22 फीसद हैं इसके आलावा पांच से सात फीसद मुसलमान है . कुल मिलाकर यह आंकड़ा पचास पार पहुंचता है जो चुनाव जीतने के लिए काफी है लेकिन जमीनी हकीकत अलग दिखाई देती है . जानकारों का कहना है कि युवा जाट वोटर की सोच बदली है . राजनीतिक चौधराहट की जगह वह विकास रोजगार और आगे बढ़ने के मौके तलाश रहा है . इनमें से एक बड़े वर्ग को बीजेपी से परहेज नहीं है .


हरियाणा में जाट मतलब किसान है . यहां प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के तहत 13 लाख 37 हजार किसान रजिस्टर्ड है . इन्हें साल में छह हजार रुपये दो दो हजार की तीन किश्तों में दिया जाना तय किया गया था . सरकार का दावा है कि तीसरी किश्त दी जा रही है लेकिन सरकारी आकंडे ही बताते हैं कि 72 हजार 316 किसानों को पहली किश्त का ही इंतजार है . इसी तरह दो लाख 80 हजार किसानों को दूसरी किशत नहीं मिली है . हैरानी की बात है कि चुनाव काल में भी 13 लाख 37 हजारों में से 9 लाख 77 हजार को तीसरी किश्त का इंतजार है . जींद ठेठ ग्रामीण इलाका है . यहां हमें मिले रविन्दर जिन्हें अभी दूसरी किश्त कि इंतजार है . किश्त के साथ साथ नरमा कपास के सही दाम नहीं मिलने का भी मलाल है . हरियाणा में 90 विधानसभा सीटों में से लगभग आधी ग्रामीण सीटे हैं . राज्य की जीडीपी में कृषि का हिस्सा 15 फीसद है . लेकिन किसानों का दर्द चुनावों के समय खुलकर सामने आ रहा है .


कुल मिलाकर हरियाणा में लोगों की कहना है कि बीजेपी को खट्टर सरकार के काम का उतना लाभ नहीं मिलेगा जितना कि चौटाला परिवार में टूट और कांग्रेम में फूट का मिलेगा . खटटर के काम की तारीफ करने वाले करनाल में बहुत लोग मिल जाते हैं जहां से वह फिर से चुनाव ल़ड़ रहे हैं . लेकिन खट्टर सरकार के कुछ मंत्रियों को लेकर जनता में भारी नाराजगी देखने को मिलती है . एक ने कहा कि भले ही बीजेपी जीत जाए लेकिन टॉप की लीडरशिप हारेगी .