नई दिल्ली: 21 अक्टूबर को पड़ने वाले वोट ही हरियाणा के पांच साल की किस्मत तय करेगी. चुने हुए नुमाइंदों की स्याही से ही हरियाणा के लोगों की किस्मत का फैसला होगा. सियासत ही नहीं समाज से भी उम्मीद की जाती है कि मुकदमों की फेहरिस्त छोटी हो. लेकिन पता नहीं क्यों सभी राजनीतिक दल उस रास्ते की तरफ चल पड़े हैं जो अपराध और भ्रष्ट्राचार की गली से गुजरती है. सूबे की किस्मत लिखने का जिम्मा ये राजनीतिक दल उन लोगों को दे रहे हैं जिन पर मर्डर, अपहरण, सांप्रदायिक हिंसा और ब्लात्कार तक के मामले दर्ज हैं. जरा सोचिए जिन लोगों के हाथ खून और अपहरण से सने होंगे वे समाज को कैसे स्वस्थ, सुंदर और सुयोग्य बनाएंगे.
बता दें कि चुनावी समर में कुल 1168 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. चुनाव और उससे जुड़े मुद्दों का अध्ययन करने वाली संस्था नेशनल इलेक्शन वॉच ने इनमें से 1138 उम्मीदवारों की तरफ से उम्मीदवारी के लिए दायर हलफनामे का अध्ययन किया है.
70 उम्मीदवारों के ख़िलाफ़ गंभीर आपराधिक मामला
187 ( 17 फीसदी) उम्मीदवार ऐसे हैं, जिन्होंने अपने हलफनामे में ये घोषित किया है कि उनके ख़िलाफ़ आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं. इनमें 70 तो ऐसे हैं, जिनके ख़िलाफ़ हत्या और अन्य गंभीर आपराधिक मामले चल रहे हैं, जबकि 117 यानी करीब 10% उम्मीदवारों पर अन्य आपराधिक मामले दर्ज हैं. पिछली बार ऐसे उम्मीदवारों की संख्या 7 फ़ीसदी थी. इस अध्ययन में 15 सीटों को रेड अलर्ट सीट घोषित किया गया है. ये ऐसी सीटें हैं, जिनमें कम से कम 3 उम्मीदवारों के ख़िलाफ़ आपराधिक मुक़दमे दर्ज हैं.
मनोहर लाल खट्टर के सीएम बनने से पहले के आंकड़ें
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो और हरियाणा पुलिस के आंकड़ों के जरिए अब आपको सूबे में क्राइम की स्थिति बताते हैं. 2012 से 2014 के बीच यानी सीएम मनोहर लाल खट्टर की सरकार से पहले सांप्रदायिक, औद्योगिक और राजनीतिक हिंसक झड़प 4928 हुए थे. इन दो सालों में अपहरण के 7203 मामले दर्ज किये गये. इन दो सालों में 2813 रेप की घटना हुईं.
मनोहर लाल खट्टर के सीएम बनने के बाद के आंकड़ें
2015 से 2017 के बीच यानी सीएम मनोहर लाल खट्टर की सरकार के दौरान सांप्रदायिक, औद्योगिक और राजनीतिक हिंसक झड़प 7139 हुए, अर्थात इन दो सालों में हिंसक झड़पों की संख्या बढ़ गई. इन दो सालों में अपहरण के 12060 मामले दर्ज किये गये. इन दो सालों में 3577 रेप की घटना हुईं. अर्थात इन दो सालों में रेप और अपहरण जैसी घटनाएं भी बढ़ गईं.
यहां गौर करने वाली बात यह है कि गाय को लेकर हेट क्राइम की 14 घटनाएं भी हुईं. इसमें 6 लोगों की मौत हो गई और 36 घायल हुए.
किस पार्टी ने कितने अपराधियों को दिए टिकट ?
अगर पार्टी के हिसाब से देखा जाए तो सबसे ज़्यादा आपराधिक पृष्ठभूमि के उम्मीदवारों को कांग्रेस ने टिकट दिया है. पार्टी के 13 उम्मीदवारों के खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज है. इससे अलग 9 उम्मीदवार ऐसे हैं जिनपर गंभीर आपराधिक मामलों में केस दर्ज है. बड़ी पार्टियों में आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों को सबसे कम टिकट देने की उपलब्धि बीजेपी ने हासिल की है. जहां पार्टी के 3 उम्मीदवार पर आपराधिक मामला दर्ज है, वहीं 1 उम्मीदवार पर गंभीर अपराध में केस दर्ज है.