हरियाणा: खेल-बॉलीवुड में दम दिखाने वाली बेटियां राजनीति में पीछे, 58 सीटें ऐसी जहां कभी नहीं बनी महिला विधायक
1967 से लेकर अब तक सबसे ज्यादा 44 महिला विधायक कांग्रेस पार्टी ने दिए हैं. लेकिन आपको ये जानकर हैरानी होगी कि आज भी हरियाणा की 90 में से 58 विधानसभा सीटें ऐसी हैं जहां आज तक कोई महिला विधायक नहीं बनी.
नई दिल्ली: एक दौर था जब हरियाणा का नाम सुनते ही ज़ेहन में लड़कियों की भ्रूण हत्या, लड़कियों की कम संख्या होने की वजह से बाहर से खरीदकर लाई गई बहुओं और लड़कियों के साथ होने वाले भेद-भाव की खबरें कौंध उठती थी. लेकिन आज जब हरियाणा की बात होती है तो फोगाट बहनों और साक्षी मलिक की पहलवानी, सायना नेहवाल का बैडमिंटन स्मैश, दीपा मलिक का हौसला और मानुषी छिल्लर की खूबसूरती मन को सुकून देती है. ये कहना गलत नहीं होगा कि धीमी रफ्तार से ही सही लेकिन समय के साथ हरियाणा में महिलाओं के प्रति सोच बदली है, उनकी स्थिति में सुधार आया है. यही वजह है कि जिस राज्य में पैदा होते ही बच्चियों को मार दिया जाता था, जो राज्य लिंगानुपात की सूची में सबसे निचले पायदान पर था, उस राज्य में न सिर्फ लिंगानुपात सुधरकर पांच साल में 871 से 922 तक पहुंच गया है बल्कि अब यहां बच्चियां पढ़ाई कर रही हैं, खेलों को अपना रही हैं, करियर बना रही हैं और देश का नाम रौशन कर रही हैं. लेकिन हैरानी की बात ये है कि राज्य की 58 विधानसभा सीटें ऐसी हैं जहां आज तक कोई महिला विधायक नहीं बनी.
'बेटी-बचाओ, बेटी-पढ़ाओ' वाले हरियाणा में राजनीतिक दल महिलाओं के हितों की बात जितनी प्रमुखता से करते हैं वो चुनाव आते ही हवा-हवाई साबित होने लगते हैं. आगामी विधानसभा चुनाव के लिए तमाम राजनीतिक दलों ने जिस संख्या में महिलाओं को टिकट दिया है उससे तो यही लगता है कि राजनीति में महिलाओं की भागीदारी का संघर्ष खत्म होने में अभी समय लगेगा.
सत्ताधारी बीजेपी ने विधानसभा चुनाव के लिए 90 सीटों पर सिर्फ 14 महिलाओं को उम्मीदवार बनाया है, जबकि लंबे समय से महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण की मांग कर रही कांग्रेस ने महज 9 महिला प्रत्याशियों पर ही भरोसा जताया है. जबकि क्षेत्रीय दलों की बात करें तो इंडियन नेशनल लोकदल ने 15 और नई नवेली जननायक जनता पार्टी ने 5 महिलाओं को टिकट दिया है. आम आदमी पार्टी हरियाणा में 46 सीटों पर चुनाव लड़ रही है जिनमें से 9 महिलाएं हैं जबकि स्वराज इंडिया के 27 सीटों पर उतारे उम्मीदवारों में से 5 महिलाएं हैं. इंडियन नेशनल लोकदल ने 83 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं जिनमें से 15 महिलाएं हैं.
हैरानी की बात है कि पिछले विधानसभा चुनावों में महिलाओं की भागीदारी अबकी बार से ज्यादा थी. 2014 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 15, कांग्रेस ने 10, INLD ने 16 और हजकां ने 5 महिला उम्मीदवारों पर दांव खेला था. पिछले विधानसभा चुनाव में कुल 115 महिला उम्मीदवारों ने किस्मत आजमाई थी जिनमें से महज 13 ही विधानसभा तक पहुंच पाईं.
पंजाब से अलग होने के बाद हरियाणा में पहले विधानसभा चुनाव साल 1967 में हुए थे जब 33 महिला उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा जिनमें से 4 को जीत नसीब हुई. 1967 से लेकर अब तक सबसे ज्यादा 44 महिला विधायक कांग्रेस पार्टी ने दिए हैं जबकि बीजेपी के टिकट पर 11 महिलाएं विधानसभा तक पहुंचने में कामयाब हो पाई हैं, जबकि जनता दल और INLD से 6-6 बार महिला विधायक चुनी गई हैं. हालांकि आपको ये जानकर हैरानी होगी कि आज भी हरियाणा की 90 में से 58 विधानसभा सीटें ऐसी हैं जहां आज तक कोई महिला विधायक नहीं बनी.
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