नई दिल्ली: सियासी फायदे के लिए लिफाफे में 'धर्म' को बेचने वाले ठेकेदार हर तरफ हैं. चुनावी पर्व में ये सक्रिय हो जाते हैं. सियासत और धर्म के ठेकेदारों की 'अवैध' रिश्ते की बानगी हर चुनाव में सामने आती रहती है. अब दोषी घोषित होने के बाद ये बाबा नया पैंतरा अपना रहे हैं.


भारतीय राजनीति के इतिहास में बाबाओं का बड़ा स्थान रहा है, हरियाणा भी कई बार इसका उदाहरण साबित हुआ है. अपने अनुयायियों की राजनीतिक सोच को प्रभावित करने की बाबाओं की क्षमता ने सभी धर्मों के नेताओं को उनके साथ जोड़ रखा है. पिछले कुछ सालों में स्थिति और भी दिलचस्प हो गई है, राज्य विधानसभा चुनावों के आगाज के साथ ही एक बार फिर हरियाणा में बाबाओं के डेरों ने सबका ध्यान अपनी ओर खींचना शुरू कर दिया है.


चुनावों के एलान के साथ ही हरियाणा के बाबाओं के डेरों पर राजीनिक हलचल देखी जा रही है. सतलोक आश्रम के प्रमुख रामपाल और डेरा सच्चा सौदा के गुरुमीत राम रहीम सिंह जेल में हैं. लेकिन दोनों की आईटी टीमें सोशल मीडिया पर जमकर सक्रिय हैं. चुनाव आते ही इन टीमों के पास लोगों को जोड़ने के लिए मैदान पुरी तरह खुल गया है.


यह पहला मौका है जब बिना राम रहीम और रामपाल के प्रभाव के राज्य में विधानसभा चुनाव हो रहा है. इसलिए दोनों की टीमें सोशल मीडिया के माध्यम युवाओं को जोड़ने में लगी हैं. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो इसके लिए आईटी एक्सपर्ट्स हायर किए गए हैं. इन एक्सपर्ट्स की देखरेख में ही सैकड़ों लोग इन बाबाओं के लिए सोशल मीडिया पर इनके पक्ष में माहौल बनाने में लगे हैं.


इन आईटी एक्सपर्ट्स की नजर सभी सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स पर है और ये लगातार अपने बाबा को ट्रेंड कराने और दूसरे बाबा को नीचा दिखाने में लगे रहते हैं. ट्विटर पर बीते दिनों में ये बाबा 25 से अधिक बार ट्रेडिंग में रहे हैं. इन आईटी टीमों का मकसद राम रहीम और रामपाल को 'पीड़ित' बताना है और ये आईटी टीम आम जनमानस के बीच यह अफवाह फैला रही हैं कि झूठे आरोपों में फंसाया गया है. जबकि सच्चाई ये है कि अदालत द्वारा ये दोषी घोषित किए गये हैं. इन्हें अदालत ने सजा दी है.


राम रहीम का चुनावी कनेक्शन


बता दें कि हरियाणा में चुनावों के वक्त राम रहीम को सजा से पहले नेता वोट के लिए उससे मदद मांगते रहे हैं. साल 2009 के चुनावों में राम रहीम ने राज्य में कांग्रेस पार्टी को अपना समर्थन दिया था. जिसके बाद प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी थी. इसके बाद उसने 2014 में बीजेपी को सपोर्ट किया था और सूबे की सत्ता में बीजेपी काबिज हुई थी. माना जाता है कि सिर्फ हरियाणा में राम रहीम के 25 लाख से ज्यादा भक्त हैं. राम रहीम को मिली सजा के बाद सिरसा और पंचकुला में उसके समर्थकों ने विरोध प्रदर्शन भी किया था. आज भी राम रहीम के भक्त उसको दोषी मानने से इनकार करते हैं.


मालूम हो कि हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए नॉमिनेशन अप्लाई करने की प्रक्रिया शनिवार को पूरी हो चुकी है. हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए 21 अक्टूबर को मतदान होना है. 24 अक्टूबर को चुनाव आयोग सभी 90 सीटों के नतीजे घोषित करेगा.


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