Haryana Assembly Election: हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी की पहली लिस्ट किसी भी वक्त जारी हो सकती है. इस बीच कुछ चेहरे ऐसे हैं, जिनके नाम पर चर्चा हो रही है और उन्हें पहली लिस्ट में उम्मीदवारों के तौर पर मौका दिया जा सकता है. इसमें कुछ पूर्व मंत्री भी शामिल हैं. कुल मिलाकर 21 ऐसे नेता हैं, जिन्हें पहली लिस्ट में शामिल किया जा सकता है. हाल ही में हुई बीजेपी चुनाव समिति की बैठक में भी इन नामों पर चर्चा की गई है. 


हरियाणा में एक चरण में विधानसभा चुनाव के लिए वोटिंग करवाई जाएगी. 90 विधानसभा सीटों वाले राज्य में अभी बीजेपी सरकार में है और पिछले पांच साल से उसकी सरकार चल रही है. ऐसे में बीजेपी दोबारा सरकार बनाने के लिए अपना पूरा जोर लगा रही है. वह उन चेहरों पर भी दांव लगाना चाह रही है, जिन पर पहले भी भरोसा जताया गया है. ऐसे में आइए आपको उन नेताओं के नाम बताते हैं, जिन्हें पहली लिस्ट में मौका दिया जा सकता है.


बीजेपी के इन संभावित चेहरों को मिल सकता है टिकट



  1. फरीदाबाद ओल्ड से विपुल गोयल

  2. तिगांव से राजेश नागर

  3. पृथला से दीपक डागर

  4. बल्लभगढ़ से मूलचंद शर्मा

  5. होडल से हरेंद्र राम रतन

  6. पलवल से गौरव गौतम

  7. सोहना से तेजपाल तंवर

  8. अटेली से आरती राव

  9. रेवाड़ी से मंजू यादव

  10. बावल से संजय मेहरा

  11. नांगल से चौधरी अभय सिंह यादव

  12. लाडवा से नायब सिंह सैनी 

  13. अंबाला कैंट से अनिल विज

  14. अंबाला सिटी से असीम गोयल

  15. थानेसर से सुभाष सुधा

  16. जींद से महिपाल डांडा 

  17. पानीपत से प्रमोद विज

  18. जींद से कृष्ण मिड्डा

  19. लोहारू से जेपी दलाल 

  20. तोशाम से श्रुति चौधरी 

  21. जगाधरी से कंवर पाल गुर्जर


हरियाणा में बीजेपी के लिए क्या चुनौतियां हैं? 


बीजेपी के लिए हरियाणा के लिए विधानसभा चुनाव आसान नहीं होने वाला है. उसके सामने कई चुनौतियां हैं, जिसमें सत्ता विरोधी लहर से लेकर किसानों तक का मुद्दा शामिल हैं. यही वजह रही थी कि 2019 लोकसभा चुनाव में राज्य की 10 सीटों पर जीत हासिल करने वाली बीजेपी को इस बार 2024 के लोकसभा चुनाव में महज 5 सीटें मिली हैं. इसका असर विधानसभा चुनाव पर भी पड़ने वाला है, क्योंकि कांग्रेस फिलहाल बीजेपी के मुकाबले मजबूत नजर आ रही हैं. हरियाणा में बीजेपी के लिए पांच प्रमुख चुनौतियां हैं, जो कुछ इस प्रकार हैंः


सत्ता विरोधी लहर: हरियाणा में 1977 के बाद से कोई भी पार्टी लगातार दूसरी बार पूर्ण बहुमत से सरकार नहीं बना पाई है. लोकसभा चुनाव नतीजों के बाद ये तो साफ हो चुका है कि बीजेपी के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर चल रही है. ऐसे में अगर उसे सरकार बनानी है तो सबसे पहले सत्ता विरोधी लहर की काट ढूंढना होगा. 


किसानों की नाराजगी: हरियाणा में किसानों का मुद्दा चुनाव के केंद्र में रहने वाला है. तीन कृषि कानूनों को लेकर अभी तक किसानों में नाराजगी है, भले ही उन्हें सरकार ही क्यों नहीं ले चुकी है. ग्रामीण इलाकों की जनता के बीच बीजेपी को लेकर काफी ज्यादा रोष है. किसान अभी भी एमएसपी की मांग कर रहे हैं.


जातिगत ध्रुवीकरण: हरियाणा का जातिगत समीकरण काफी ज्यादा जटिल है, जिससे निपटना बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती बनने वाला है. जाट समुदाय बीजेपी से नाराज चल रहा है. ऊपर से दलित वोट के लिए बीएसी भी चुनावी मैदान में होगी. विधानसभा में जीत के लिए बीजेपी को जातिगत समीकरण को साधने की जरूरत होगी. 


बीजेपी में गुटबाजी: भले ही बीजेपी राजनीतिक गलियारों में ये दिखाने की कोशिश करे कि उसके यहां अनुशासन है, लेकिन आतंरिक गुटबाजी से इनकार नहीं किया जा सकता है. केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह कैबिनेट रैंक नहीं मिलने से नाराज चल रहे हैं. उनके समर्थक बीजेपी के खिलाफ भी जा सकते हैं. 


अग्निवीर और पहलवानों का मामला: हरियाणा में एक बड़ी आबादी सेना में जाने की तैयारी करती है, खासतौर पर ग्रामीण पृष्ठभूमि से आने वाले युवा. अग्निवीर को लेकर इस तबके में नाराजगी है. ऊपर से महिला पहलवानों के साथ हुई बदसलूकी को भी लोग अभी तक भूल नहीं पाए हैं, जिसका खामियाजा बीजेपी को उठाना पड़ सकता है.


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