Haryana Assembly Election 2024: भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के हाथ से इस बार हरियाणा जा सकता है. अलग-अलग चुनावी ओपीनियंस पोल में जहां बीजेपी को बढ़त मिलने के आसार जताए गए, वहीं पॉलिटिकल सर्किल्स में एक धड़ा ऐसा भी हो जो उन सभी सर्वेक्षणों को गलत बता रहा है. इस खेमे के राजनीतिक विश्लेषकों और जानकारों का मानना है कि हरियाणा में बीजेपी की लुटिया डूबना तय है और वहां कुछ खास फैक्टर्स की वजह से उसकी मिट्टी पलीद हो सकती है. दावा है कि अब तक हरियाणा को लेकर जो भी सर्वे आए हैं, उनके नतीजे गलत साबित हो सकते हैं. चूंकि, हालिया सर्वे साल 2019 के मद्देनजर तैयार किए गए और तब से लेकर अब तक स्थिति में बहुत बदलाव आ चुका है. 
   

  
'न्यूज तक' से सीनियर टीवी पत्रकार विजय विद्रोही ने दावा किया कि बीजेपी की हार के दो बड़े फैक्टर हैं. पहला- 10 साल की एंटी-इनकंबेसी. उनके मुताबिक, "बीजेपी का कुछ वोट इस बार ऊपर-नीचे होगा. यह सीट और उम्मीदवार पर निर्भर करेगा या फिर जातीय समीकरण के हिसाब से इधर-उधर हो सकता है. बीजेपी एंटी-इनकंबेसी की शिकार है और वोटर हर हाल में बदलाव चाहता है." दूसरे अहम कारक का जिक्र करते हुए उन्होंने आगे बताया कि बीजेपी से हरियाणा में चार समुदाय खास तौर पर नाराज हैं, जिनमें पहलवान (बृजभूषण शरण सिंह वाले विवाद को लेकर), किसान (एमएसपी समेत विभिन्न डिमांड को लेकर), नौजवान (रोजगार के मोर्चे पर) और जवान (सेना भर्ती को लेकर अग्निवीरों के संदर्भ में) हैं.


पॉलिटिकल एक्सपर्ट के अनुसार, "हरियाणा में असल लड़ाई कांग्रेस और बीजेपी के बीच है." पीछे से लेकर आगे की सियासी स्थिति के पोस्टमार्टम के आधार पर उन्होंने पांच अहम फैक्टर भी गिनाए, जो सीधे-सीधे तौर पर हरियाणा में बीजेपी की हार या फिर कांग्रेस की जीत का कारण बन सकते हैं. आइए, जानते हैं इनके बारे में:



  • हरियाणा के आम चुनाव में बीजेपी 10 में से पांच सीटें हारी. कांग्रेस नौ पर लड़ी थी पर वह पांच पर जीती. ऐसे में साफ है कि उसका रेशियो बीजेपी से अधिक है. राज्य में बीजेपी की हार और कांग्रेस की जीत के जो भी कारण थे, वे मौजूदा समय में भी बने हैं.

  • साल 2019 में देश में पुलवामा जैसा मुद्दा था. रोचक बात है कि बीजेपी की सीटें तब 47 से कम होकर 40 पर आ गई थीं. अटकलें हैं कि सीटें इस बार के चुनाव में और भी कम हो सकती हैं. ऊपर से बीजेपी का वोट शेयर भी लगातार गिर रहा है. आशंका है कि 2024 में यह और गिरेगा. अगर बीजेपी और कांग्रेस के वोट शेयर में 10% का अंतर हुआ तब उसका सूपड़ा तक साफ हो सकता है और वह 10 से 15 सीटों तक ही सिमट सकती है.

  • हरियाणा में पहले मनोहर लाल खट्टर भाजपा सरकार के सीएम थे. बाद में उनकी जगह पर नायब सिंह सैनी को गद्दी पर बैठाया गया. माना जा रहा है कि बीजेपी ने राज्य में सीएम बदलकर यह कबूल लिया कि वह एंटी-इनकंबेसी का शिकार है. अंदर फिलहाल सबकुछ सही नहीं है. बीजेपी को यह भी लगता है कि उसने ऐसा कुछ नहीं किया, जिससे जनता उसे माफ कर दे.

  • ब्रांड मोदी का दांव अब हरियाणा में उस तरह से नहीं चलने वाला, जैसे पहले काम कर रहा था. चुनाव से पहले आए सर्वे बताते हैं कि लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की पॉपुलैरिटी का ग्राफ बढ़ा है. जहां पहले उन्हें पीएम के लिए 15% लोग पसंद करते थे, अब इसी मामले में वह 30% जनता की चॉइस हैं, जबकि पीएम के नाते नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता गिरी है. पहले वह 57% की पसंद थे पर कुछ ताजा सर्वे में यह आंकड़ा 32% तक आ पहुंचा है. 

  • बीजेपी की ओर से जहां मनोहर लाल खट्टर को बदनाम माना जाता है, जबकि नायब सिंह सैनी उस कद के नहीं है, जैसा कि बीजेपी की ओर से बड़ा नेता होना चाहिए. वहीं, जहां कांग्रेस ने सीएम घोषित नहीं किया है. इस बीच, कांग्रेस में खेमेबाजी और गुटबाजी भी इस बार कम दिखी. पार्टी ने असंतुष्टों को मनाने के हर-संभव प्रयास किए, जिससे कुल मिलाकर फायदा कांग्रेस को ही होगा.   


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