Haryana Assembly Election 2024: हरियाणा में ब्राह्मण वोटों को रिझाने के लिए बीजेपी और कांग्रेस में मुकाबला, जानिए क्यों है सबकी इस वोट बैंक पर नजर
Election News: हरियाणा की राजनीति में अभी तक एक बार ही ब्राह्मण सीएम बना है. 1962 में भगवत दयाल शर्मा संयुक्त पंजाब के मुख्यमंत्री बने थे. इसके बाद BJP के राम बिलास शर्मा ने अपनी धाक बनाई.
Haryana Assembly Election 2024: हरियाणा में अगले साल लोकसभा चुनाव के बाद विधानसभा चुनाव भी होंगे. ऐसे में यहां सभी राजनीतिक दल दोनों ही चुनावों को ध्यान में रखकर अपनी तैयारियों में जुट गए हैं. बीजेपी जहां तीसरी बार सत्ता हासिल करने की जुगत में है तो कांग्रेस वापसी की उम्मीद कर रही है. दोनों ही दल अपने लक्ष्य के लिए नए फॉर्मूले और नए वोट बैंक पर काम कर रहे हैं. इसी वजह से अब तक जिस हरियाणा में जाटों के आसपास ही राजनीति थी, वहां ब्राह्मण राजनीति की बात होने लगी है.
दोनों ही दलों का निशाना ब्राह्मण वोटर है. इस वोट बैंक को अपने साथ लाने के लिए कांग्रेस और बीजेपी के बीच जबरदस्त होड़ देखी जा रही है. पिछले दिनों बीजेपी सांसद अरविंद शर्मा ने मनोहर लाल खट्टर की जगह किसी ब्राह्मण समुदाय के नेता को मुख्यमंत्री बनाने मांग उठाई. खबर है कि इसके बाद कांग्रेस भी किसी ब्राह्मण चेहरे को राज्यसभा भेजने की सोच रही है.
बीजेपी की कलह या वोट बैंक पर नजर
अरविंद शर्मा रोहतक से सांसद हैं. उन्होंने सीएम मनोहर लाल खट्टर को लेकर पिछले दिनों कहा था कि “वह अपना दिमाग लगाकर कोई भी काम नहीं करते हैं. ऐसे में ब्राह्मण समुदाय से संबंध रखने वाले सीएम की जरूरत है.” उन्होंने आगे कहा, “2014 में राम बिलास शर्मा के साथ धोखा हुआ था. पहली बार हरियाणा में बीजेपी सरकार बनने पर उन्हें सीएम नहीं बनाया गया, राम बिलास शर्मा ने पार्टी के लिए सबकुछ किया. उनके नाम पर सरकार बनाई गई, पर उन्हें ही किनारे कर दिया गया.”
जाट-दलित-ब्राह्मण के फॉर्मूले पर हुड्डा का फोकस
वहीं, बीजेपी को देखते हुए कांग्रेस ने भी इस फॉर्मूले पर काम शुरू कर दिया है. जल्द ही हरियाणा की दो राज्यसभा सीटों पर चुनाव होने हैं, इनमें एक सीट बीजेपी और एक सीट कांग्रेस को मिलने की उम्मीद है. अभी तक कुमारी सैलजा को राज्यसभा भेजने की चर्चा थी, लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा यहां से किसी ब्राह्मण को राज्यसभा भेजना चाहते हैं. हुड्डा 2024 के लिए जाट-दलित-ब्राह्मण के फॉर्मूले पर चलना चाहते हैं. ऐसे में हुड्डा यहां से आनंद शर्मा के नाम पर जोर दे रहे हैं.
क्यों हो रही है इतनी कोशिशें
हरियाणा में ब्राह्मण वोटरों की संख्या करीब 12 प्रतिशत है. ये वोटर करीब 12 विधानसभा सीटों के नतीजे प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं. यही नहीं तीन लोकसभा सीटों पर भी इनका दबदबा है. यह ब्राह्मण वोट की ताकत ही थी कि 2019 के लोकसभा चुनाव में जाट समुदाय के 'मक्का' कहे जाने वाले रोहतक संसदीय क्षेत्र से बीजेपी के ब्राह्मण प्रत्याशी डॉक्टर अरविंद शर्मा ने जीत दर्ज की. अगर हरियाणा की राजनीति के इतिहास को देखेंगे तो यहां से अभी तक एक बार ही ब्राह्मण सीएम बना है. 1962 में भगवत दयाल शर्मा संयुक्त पंजाब के मुख्यमंत्री बने थे. भगवत दयाल शर्मा के बाद कांग्रेस से विनोद शर्मा ने भी ब्राह्मण नेता के रूप में प्रदेश में अपना दबदबा रखा. इसके बाद बीजेपी राम बिलास शर्मा भी तेजी से आगे बढ़े, लेकिन 2019 के चुनाव के बाद अचानक वह कहीं खो गए.
खट्टर भी समझ रहे ब्राह्मण वोट का महत्व
मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर भी ब्राह्मण वोट की ताकत को समझते हुए अब इसे साधने में लग गए हैं. उन्होंने हाल ही में कैथल में एक मेडिकल कॉलेज का नाम परशुराम के नाम पर रखा. उन्होंने 11 दिसंबर को अपने गृह क्षेत्र करनाल में दूसरे ब्राह्मण महाकुंभ के आयोजन की भी घोषणा की है. मनोहर लाल खट्टर ने इसी साल अप्रैल में परशुराम के नाम पर एक डाक टिकट भी जारी करते हुए हरियाणा में परशुराम जयंती पर छुट्टी भी घोषित की थी.
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