Haryana Assembly Election 2024: हरियाणा में कांग्रेस को शैलजा संकट से गुजरना पड़ रहा है. शैलजा हफ्ते भर से पार्टी के प्रचार से दूर हैं. घर पर अपने समर्थकों से मिल तो रही हैं, लेकिन क्षेत्र में नहीं जा रही हैं. दलित वोट की राजनीति करने वाली पार्टियां उनपर डोरे डाल रही है. 13 सितंबर को कुमारी शैलजा ने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर ये वीडियो पोस्ट किया था. हफ्ते भर से ज्यादा होने को है, लेकिन इसके बाद हरियाणा के प्रचार के लिये शैलजा न तो सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं और ना ही सड़क पर हैं.


इधर, बीजेपी कह रही है कि कांग्रेस जब दलित बेटी शैलजा का सम्मान नहीं कर पाई तो प्रदेश के बाकी दलितों का क्या करेगी. शैलजा की नाराजगी की खबर हरियाणा की चुनावी सियासत में सनसनी बनी हुई है. अभी दो दिन पहले बीएसपी के नेशनल कॉर्डिनेटर आकाश आनंद ने भी शैलजा के बहाने कांग्रेस पर वार किया था.


कुमारी शैलजा को लेकर क्या बोले आकाश आनंद?


इस दौरान बाकायदा बीएसपी की नेशनल कॉर्डिनेटर आकाश आनंद ने सोशल मीडिया पर लिखा था कि पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी का आरक्षण खत्म करने का प्लान आता है, फिर हुड्डा समर्थकों द्वारा कुमारी शैलजा पर जातिगत टिप्पणी, कांग्रेस के डीएनए में दलित विरोध दिखाता है. आकाश ने इस दौरान यहां तक कहा कि कुमारी शैलजा बीएसपी ज्वाइन कर लें, दलित समाज की हितैषी पार्टी बीएसपी ही है. शैलजा जी, आपको मान-सम्मान यहीं मिलेगा.


 






कांग्रेस सांसद जय प्रकाश ने कुमारी शैलजा पर दिया विवादित बयान!


बीते शनिवार की बात है कि कांग्रेस के सांसद जय प्रकाश ने कुमारी शैलजा को लेकर लिपिस्टिक वाला विवादित बयान दिया था. इस बयान को लेकर बीजेपी ने घेरना शुरू किया तो भूपेंद्र हुड्डा ने दो दिन बाद सफाई दी. जहां पूर्व सीएम हुड्डा ने शैलजा को बहन तक कहा, लेकिन बात दूर निकल गई थी.


शैलजा की नाराजगी से क्या चुनाव में कांग्रेस को नुकसान होगा?


कुमारी शैलजा कैंप को चुनाव में 8 टिकट मिले हैं. लेकिन नाराजगी का आलम ये है कि शैलजा अपनों के लिये भी प्रचार में घूम नहीं रही हैं. सांसद कुमारी शैलजा पहले विधानसभा चुनाव लड़ना चाहती थी. लेकिन पार्टी ने उम्मीदवार नहीं बनाया. सीएम बनने की इच्छा भी वो जता चुकी थी. जहां उन्हें अपना कोई स्कोप शायद अब दिख नहीं रहा है. ऐसे में उन्होंने प्रचार से दूरी बना रखी है. सवाल ये कि क्या इससे चुनाव में कांग्रेस को नुकसान होगा?


नुकसान का ये सवाल इसलिए भी चर्चा में है क्योंकि दलित वोटों में सेंधमारी के लिये आईएनएलडी का बीएसपी से गठबंधन है और जेजेपी का आजाद समाज पार्टी से. लोकसभा में दलितों का वोट कांग्रेस गठबंधन को थोक में मिला था. शैलजा की नाराजगी का असर हुआ तो दलित नया विकल्प तलाश सकते हैं.


हरियाणा में दलित वोटर क्यों अहम हुए?


अब आइए जरा हरियाणा की दलित राजनीति को समझते हैं. इसके साथ ही जानते हैं कि कैसे शैलजा की नाराजगी कांग्रेस को भारी पड़ सकती है. चूंकि, राज्य की आबादी में करीब 21 % दलित हैं. जबकि, जाट के बाद सबसे ज्यादा दलित वोटर हैं. इसके अलावा राज्य में 17 सीटें दलितों के लिए रिजर्व हैं, जिसमें 90 सीटों में से 35 सीटों पर दलितों का प्रभाव काफी ज्यादा है.


वहीं, लोकसभा में कांग्रेस+ को 68% दलित वोट मिले थे. जबकि, बीजेपी को लोकसभा में महज 24% दलित वोट मिले थे. इसके साथ ही इस विधानसभा चुनावों में बीएसपी का इंडियन नेशनल लोकदल के साथ गठबंधन है. तो वहीं, दूसरी तरफ जेजेपी का चंद्रशेखर की आजाद समाज पार्टी से गठबंधन है.


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