नई दिल्ली: सूत्रों के मुताबिक भूपेंद्र सिंह हुड्डा जेजेपी और निर्दलीयों के संपर्क में हैं. दुष्यंत चौटाला ने कहा है कि सत्ता की चाबी मेरे पास है. चौटाला ने कहा कि जनता ने बीजेपी के खिलाफ वोट दिया है. अब इस बयान का मतलब यह हुआ कि दुष्यंत चौटाला ने कांग्रेस के साथ जाने के संकेत दिये हैं. अब सत्ता के गलियारे में यह चर्चा जोर पकड़ रही है कि यहां भी कर्नाटक की तरह जेजेपी को सीएम की कुर्सी सौंपकर कांग्रेस सरकार बना सकती है. यदि ऐसा होता है तो जेजेपी अपने उदय के पहले विधानसभा चुनाव में ही सीएम की कुर्सी तक पहुंच गई. बहुत बड़ी उपलब्धि है.


हरियाणा विधानसभा चुनाव नतीजों के शुरुआती रुझानों में दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी किंग मेकर की भूमिका में आती हुई दिखाई दे रही है. एक साल से भी कम समय में जेजेपी ने हरियाणा की राजनीति में अच्छी खासी पकड़ बना ली है और वह अपने पहले चुनाव में ही 10 सीटें जीतती हुई दिखाई दे रही है. अगर हरियाणा चुनाव में बीजेपी या कांग्रेस को बहुमत नहीं मिलता है तो जेजेपी निर्णायक भूमिका में आ सकती है.


अंकगणित समझिए- हरियाणा में कुल सीट-90.  बीजेपी 36, कांग्रेस 35, जेजेपी 10 और अन्य 9.. (रूझानों के मुताबिक) 


अब जेजेपी और कांग्रेस के बीच गठबंधन होता है तो भी बहुमत से दूर दिख रही है. इसके बाद चार निर्दलीय सरकार बनाने के लिए चाहिए.


असल में जननायक जनता पार्टी लंबे समय तक हरियाणा की मुख्य पार्टी रही इंडियन नेशनल लोकदल से ही निकलती है. जेजेपी नेता दुष्यंत चौटाला का संबंध हरियाणा के पूर्व उप प्रधानमंत्री देवीलाल के परिवार से है. जननायक जनता पार्टी पिछले साल उस वक्त अस्तित्व में आई जब पूर्व सांसद दुष्यंत चौटाला और उनके भाई दिग्विजय चौटाला को इनेलो से बाहर कर दिया गया. दुष्यंत चौटाला को इनेलो से बाहर निकाले जाने की बड़ी वजह चाचा अभय चौटाला से साथ बिगड़े संबंध थे.


असली सियासी वारिस कौन?
चौटाला परिवार की सियासी विरासत मुश्किल घड़ी से गुजर रही है. 2019 का विधानसभा चुनाव इंडियन नेशनल लोकदल के लिए गठन के बाद से सबसे मुश्किल चुनाव था. दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी पहली बार विधानसभा चुनाव में किस्मत आजमाई है. दुष्यंत चौटाला का संबंध पूर्व उप प्रधानमंत्री देवीलाल के परिवार से है. दुष्यंत चौटाला ने अपने चाचा अभय चौटाला से लंबे झगड़े के बाद पिछले साल दिसंबर में जननायक जनता पार्टी का गठन किया. कल हरियाणा की जनता ने दुष्यंत चौटाला को देवीलाल की सियासी विरासत का असली वारिस माना है या नहीं, इसका पता चल जाएगा.


मुश्किल दौर
दुष्यंत चौटाला ने उस वक्त राजनीति में कदम रखा जब इंडियन नेशनल लोकदल अपने बुरे हालात से गुजर रही थी. हरियाणा में इंडियन नेशनल लोकदल को 2005 और 2009 के विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा. इतना ही नहीं 2004 और 2009 के लोकसभा चुनाव में भी पार्टी का एक भी कैंडिडेंट जीत दर्ज नहीं कर पाया. 2013 की शुरुआत में इंडियन नेशनल दल के मुखिया ओम प्रकाश चौटाला और उनके बड़े अजय चौटाला जेबीटी घोटाले में जेल जाना पड़ा.


महज 25 की उम्र में बने सांसद
अजय चौटाला हिसार से चुनाव लड़ा करते थे. इसलिए 2014 के लोकसभा चुनाव में अजय चौटाला के बड़े बेटे दुष्यंत चौटाला को हिसार से लोकसभा चुनाव में टिकट दिया गया. 25 साल की उम्र में दुष्यंत चौटाला ने जीत दर्ज की, बल्कि 16वीं लोकसभा के सबसे युवा सांसद भी चुने गए. सांसद बनने के बाद दुष्यंत की पार्टी पर पकड़ मजबूत होने लगी. 2014 के विधानसभा चुनाव में दुष्यंत चौटाला ने उचाना से विधानसभा चुनाव भी लड़ा. हालांकि इस चुनाव में दुष्यंत चौटाला को पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह की पत्नी प्रेम लता के हाथों हार का सामना करना पड़ा.