नई दिल्ली: महज कुछ घंटों में किस्मत कैसे पलट जाती है. कल यह चुनाव परिणाम के आंकड़ों के दौरान दिखने लगा. दोपहर तक हरियाणा में दुष्यंत चौटाला किंगमेकर दिख रहे थे. दुष्यंत चौटाला ने कहा कि सत्ता की चाबी उनके पास है. शाम होते होते वक्त ने करवट बदला और एक नया किंगमेकर उभरा.


हरियाणा चुनाव के जब नतीजे आ रहे थे तो ऐसा लग रहा था कि दुष्यंत चौटाला किंगमेकर बनेंगे लेकिन जिस तरह से गोपाल कांडा ने बीजेपी के लिए मोर्चा संभाला, अब वह बीजेपी के लिए किंगमेकर बनते दिख रहे हैं. लेकिन इसके साथ ही ज्वलंत सवाल यह भी उठने लगे हैं कि क्या सत्ता के लिए दागी कांडा का दामन थामने से बीजेपी को परहेज नहीं है?


गोपाल कांडा ने कहा कि ''मैं बिना शर्त बीजेपी को समर्थन दे रहा हूं. बीजेपी के सभी बड़े नेताओं से मेरी बात हो गई हैं.'' उन्होंने कहा कि ''मेरे अलावा निर्दलीय विधायक भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व से प्रभावित होकर बीजेपी के साथ जा रहे हैं. हमने समर्थन को लेकर कोई शर्त नहीं रखी है.'' इसके अलावा कांडा ने कहा कि मेरे खिलाफ कोई केस नहीं है.


कल दिन भर नतीजों को लेकर ये सस्पेंस बना रहा कि बहुमत तो किसी पार्टी को नहीं मिल रहा ऐसे में सत्ता की चाबी किसके पास रहेगी? जब नतीजे पूरे आ गए तो सबसे बड़ा सवाल ये था कि जीत कर आए 7 निर्दलीय क्या करेंगे? वे किसके साथ जाएंगे? जोड़-तोड़ के खेल में माहिर कांडा ने एबीपी न्यूज से बातचीत में इसका इशारा भी कर दिया था. आज गोपाल कांडा ने कहा कि मेरा परिवार शुरु से आरएसएस से जुड़ा है. मेरे खिलाफ कोई केस नहीं है. हमने समर्थन के लिए कोई शर्त नहीं रखी है. कल ही शाम होते होते गोपाल कांडा के भाई ने एबीपी न्यूज से बातचीत में बीजेपी को समर्थन देने का खुला एलान कर दिया.


एक बार फिर गोपाल कांडा की लॉटरी लग गई है. हरियाणा की राजनीति में गोपाल कांडी की ऊंचाई तक पहुंचने की कहानी कम फिल्मी नहीं है. एक वक्त था जब गोपाल कांडा सिरसा में रेडियो रिपेयर की दुकान चलाते थे. उसके बाद जूते-चप्पल की दुकान खोली, दुकान चल पड़ी फिर जूते की फैक्ट्री खोल ली और फिर राजनीति की सीढ़ियां चढ़ते गए. एक के बाद एक अलग अलग पार्टी के नेताओं से नाता जुड़ता चला गया और गोपाल कांडा की हैसियत भी बढ़ती गई. 2009 में भी हरियाणा में ऐसे ही हालात बने थे. कांग्रेस बहुमत से दूर 40 सीट पर रह गई थी. उस वक्त भी गोपाल कांडा निर्दलीय चुनाव जीते थे और कांग्रेस की सरकार को समर्थन की कीमत गृह राज्य मंत्री की कुर्सी लेकर वसूली थी. गोपाल कांडा तब विवादों में फंस गए थे जब उनकी एयरलाइन कंपनी में काम करने वाली गीतिका नाम की लड़की ने खुदकुशी कर ली थी, कांडा को जेल जाना पड़ा था और खुदकुशी के लिए उकसाने का केस अब भी चल रहा है.


अब एक बार फिर कांडा बीजेपी के लिए किंगमेकर बनने जा रहे हैं. नजर इस बात पर है कि इस बार बीजेपी सरकार को समर्थन देने की वो क्या कीमत वसूलते हैं.