Haryana Elections: विधानसभा चुनाव प्रचार के आखिरी दिन हरियाणा में भाजपा सरकार को बड़ा झटका लगा है. लोकसभा चुनाव में बीजेपी के उम्मीदवार रहे अशोक तंवर फिर एक बार कांग्रेस में शामिल हो गए. इस दौरान राहुल गांधी, भूपेंद्र सिंह हुड्डा समेत कई नेता मौजूद रहे. 


इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, अशोक तंवर ने कहा कि उन्होंने ठीक पांच साल पहले पार्टी छोड़ी थी और उसी दिन वापस शामिल हुए हैं. उन्होंने बताया कि पार्टी छोड़ने के बाद भी उनका पार्टी के कई नेताओं से संपर्क रहा. जो भी पहले हुए उसे भूल जाइये. वह बोले, “मैं और पूरी कांग्रेस हरियाणा को नंबर वन राज्य बनाने की दिशा में काम करेंगे.”


भाजपा के अभियानों में नजर नहीं आ रहे थे तंवर


अशोक तंवर के करीबी कांग्रेस के सूत्रों का कहना है कि वह कांग्रेस के वरिष्ठ नेतृत्व, खासकर के राहुल गांधी के संपर्क में थे. उनका बीते रोज बुधवार को ही कांग्रेस में शामिल होने का फैसला पक्का हो गया था. हुड्डा और सिरसा से पार्टी की सांसद कुमारी शैलजा के बीच मतभेद की खबरों के बाद भाजपा कांग्रेस पर दलित विरोधी होने का आरोप लगा रही थी, लेकिन तंवर की वापसी से भाजपा को ही बड़ा झटका लग गया है. कांग्रेस नेता सैलजा से चुनाव हार चुके तंवर को बीते सप्ताह ही भाजपा प्रत्याशियों के लिए प्रचार करते देखा गया था. पिछले कुछ दिनों से वह प्रचार अभियान में नहीं आ रहे थे.


कॉलेज के समय से कर रहे राजनीति


अशोक तंवर दलित समुदाय से आते हैं और राहुल गांधी के करीबी माने जाते हैं. दिल्ली में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से पढ़ाई करते समय 2003 में उन्होंने पार्टी की छात्र शाखा भारतीय राष्ट्रीय छात्र संघ का नेतृत्व किया. इसके बाद 2005 से  पांच साल के लिए भारतीय युवा कांग्रेस के अध्यक्ष बने.


सिरसा से कांग्रेस के सांसद भी रहे तंवर


न केवल तंवर बल्कि उनकी पत्नी अवंतिका को भी गांधी परिवार के करीबी के रूप में देखा जाता है. उनके माता-पिता गीतांजलि और ललित माकन की 1985 में दिल्ली में सिख चरमपंथियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी और गांधी परिवार ने बचपन में उनकी देखभाल की थी. 2009 के लोकसभा चुनाव की बात करें तो कांग्रेस के टिकट पर तंवर सिरसा से चुनावी मैदान में उतरे थे और जीते भी थे.


फरवरी 2014 में कांग्रेस ने तंवर को हरियाणा कांग्रेस का अध्यक्ष नियुक्त किया. हालाँकि, हरियाणा कांग्रेस के दिग्गज और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ उनकी बन नहीं पाई थी, लेकिन गांधी परिवार से नजदीकियों के कारण हुड्डा उनको हटाने के उनके प्रयास में असफल रहे 


फिर कुमारी सैलजा को बनाया गया अध्यक्ष


सितंबर 2009 में हुए विधानसभा चुनावों से ठीक एक महीने पहले तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने राज्य इकाई में विभाजन को रोकने के लिए तंवर की जगह कुमारी सैलजा को अध्यक्ष बना दिया. 


TMC-AAP से होते हुए भाजपा में हुए थे शामिल


इसके बाद 2019 में तंवर ने दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी (JJP) के कई उम्मीदवारों का खुलकर समर्थन किया और चुनाव से एक पखवाड़ा पहले उन्होंने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया. इससे कांग्रेस को बड़ा झटका जरूर लगा था, लेकिन तंवर के लिए भी ये बड़ी बात थी क्योंकि लंबे समय से कांग्रेस की राजनीति की उनके बाद वह हाशिए पर आ गए. मगर वह रुके नहीं, साल 2021 में उन्होंने अपना सामाजिक-राजनीतिक संगठन अपना भारत मोर्चा बनाया, लेकिन महीनों बाद, इसकी अध्यक्ष और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की मौजूदगी में तृणमूल कांग्रेस (TMC) में शामिल हो गए.


2022 में उन्होंने TMC भी छोड़ दी और आम आदमी पार्टी (AAP) में शामिल हो गए. ये उनके करियर का टर्निंग पॉइंट था, लेकिन इसी साल जनवरी में तंवर ने आप की चुनाव अभियान समिति से इस्तीफा दे दिया और नई दिल्ली में भाजपा मुख्यालय में तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की मौजूदगी में भाजपा में शामिल हो गए.


यह भी पढ़ें- Haryana Elections: महाभारतकाल के इस शहर में BJP-INC का होगा तगड़ा मुकाबला, पूर्व मंत्री और सांसद के लिए नाक की लड़ाई