नई दिल्ली: एबीपी न्यूज़ के विशेष चुनावी कवरेज में स्वराज इंडिया के अध्यक्ष योगेंद्र यादव ने कहा कि कहीं ना कहीं राष्ट्रीय मुद्दों और स्थानीय मुद्दों के बीच ये चुनाव रहा और ऐसा लगता है कि जनता ने भाजपा की राष्ट्रीय मुद्दों पर चुनाव लड़ने की कोशिश को नकार दिया है और स्थानीय मुद्दों के आधार पर ही वोट दिया है.


योगेंद्र यादव के मुताबिक निकम्मी सरकार और कमजोर विपक्ष के बाद भी जनता ने उम्मीदवार, स्थानीय मुद्दों को ही तरजीह दी. ना केवल किसी परिवार को ध्यान में रखा और ना ही किसी पार्टी की ओर स्पष्ट झुकाव दिखाई दिया.


इसके जवाब में भाजपा प्रवक्ता जफर इस्लाम ने कहा कि हमारा कॉन्फिडेंस अभी भी हाई है और हमें लगता है कि नतीजे आने के बाद तस्वीर साफ होगी.


बीजेपी के लिए हरियाणा में 'मनोहर' नहीं हालात, दुष्यंत बिगाड़ेंगे या कांडा बचाएंगे



(फाइल फोटो)

बीजेपी के लिए हरियाणा में 'मनोहर' नहीं हालात


बीजेपी ने एक्जिट पोल के नतीजों के बाद चुनावी नतीजों की जिस मनोहर तस्वीर की उम्मीद की थी वो फिलहाल खटास में है. ऐसा नहीं है कि सरकार बनाना बीजेपी को नहीं आता, निश्चित रूप से ही पार्टी की मशीनरी इस पर विचार कर रही होगी कि आगे क्या रुख अपनाना है. लेकिन दुष्यंत चौटाला ने आज के दौर की हरियाणा की राजनीति में जो कर दिखाया है उसकी शायद ही किसी ने उम्मीद की थी. अब दुष्यंत को मनाना हो या अपने ही दम पर सरकार बनाना हो ये दोनों सवाल बीजेपी के सामने विराट बन खड़े हुए हैं.



'किंगमेकर' चौटाला ने नहीं खोले पत्ते


जननायक जनता पार्टी (जजपा) के नेता दुष्यंत चौटाला ने राज्य में त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति में सरकार गठन के लिए बीजेपी या कांग्रेस को समर्थन देने के मुद्दे पर अपने पत्ते अभी नहीं खोले हैं.


हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए बृहस्पतिवार को जारी मतगणना के शुरुआती रुझानों में सत्तारूढ़ बीजेपी या विपक्षी कांग्रेस में से कोई भी अपने दम पर राज्य में सरकार बनाती प्रतीत नहीं हो रही है. रुझानों में दस महीने पुरानी जजपा कम से कम 10 सीटों पर आगे है जिससे लग रहा है कि पार्टी के नेता दुष्यंत चौटाला ‘किंगमेकर’ की भूमिका में होंगे.


चौटाला ने कहा,"यह (मनोहर लाल) खट्टर सरकार के खिलाफ जबरदस्त सत्ता विरोधी लहर है." यह पूछे जाने पर कि उनकी पार्टी बीजेपी को समर्थन देगी या कांग्रेस को, चौटाला ने संवाददाताओं से कहा,"अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगा. पहले हम अपने विधायकों की बैठक बुलाएंगे, फैसला करेंगे कि सदन में हमारा नेता कौन होगा और फिर इस पर आगे सोचेंगे."