हरियाणा और जम्मू कश्मीर के चुनाव नतीजे आंकड़ों के हिसाब से देखें तो बीजेपी और कांग्रेस दोनों के लिए संतोष देने वाले हैं. दोनों राज्यों में 90-90 सीटें हैं. जहां हरियाणा में बीजेपी ने 48 सीटों पर जीत हासिल कर हैट्रिक लगाई, वहीं जम्मू कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस के संग मिलकर कांग्रेस ने सरकार बना ली. हालांकि, हरियाणा में कांग्रेस की हार के बाद 'INDIA' गठबंधन में हाहाकार शुरू हो गया है. 


हरियाणा में हार के बाद इंडिया गठबंधन में कांग्रेस के सहयोगियों ने ही उसे घेरना शुरू कर दिया है. सबसे पहले शुरुआत शिवसेना ने की तो वहीं दिल्ली और पंजाब की सत्ताधारी AAP भी पीछे नहीं रही. शिवसेना ने अपने संपादकीय सामना में हरियाणा में कांग्रेस की हार की वजह अति आत्मविश्वास को बताया और महाराष्ट्र में अकेले चुनाव लड़ने की गलती न करने की भी हिदायत दे डाली.  


केजरीवाल ने कांग्रेस को दी नसीहत


दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी कहां मौका छोड़ने वाले थे. हरियाणा चुनाव नतीजों के तुरंत बाद केजरीवाल ने कहा, केजरीवाल ने ‘आप’ के पार्षदों को संबोधित करते हुए कहा, देखिए, हरियाणा में चुनाव के नतीजे क्या रहते हैं. सबसे बड़ा सबक यही है कि किसी को भी चुनाव में अति आत्मविश्वासी नहीं होना चाहिए. उन्होंने कहा, किसी चुनाव को हल्के में नहीं लेना चाहिए. हर चुनाव और हर सीट मुश्किल होती है. 


दरअसल, केजरीवाल की ये टीस यूं ही सामने नहीं आई. हरियाणा विधानसभा चुनाव के दौरान आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के साथ गठबंधन की पूरी कोशिश की थी. लेकिन सीट बंटवारे को लेकर बात नहीं बन पाई और दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन नहीं हुआ. इसके बाद हरियाणा में आम आदमी पार्टी ने अकेले चुनाव लड़ा. भले ही आप हरियाणा में एक भी सीट नहीं जीत पाई, लेकिन 5 सीटें ऐसी रहीं, जहां कांग्रेस के प्रत्याशी के हार के अंतर से ज्यादा आप को वोट मिले. 


क्या महाराष्ट्र में दावेदारी होगी कमजोर?


माना जा रहा है कि हरियाणा में हार का सबसे ज्यादा असर कांग्रेस के लिए महाराष्ट्र में पड़ेगा. दरअसल, महाराष्ट्र में इस साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होने हैं. पिछले विधानसभा चुनाव नतीजों के बाद शिवसेना ने बीजेपी से गठबंधन तोड़ लिया था और कांग्रेस-एनीपी के साथ मिलकर सरकार बनाई थी. हालांकि, एकनाथ शिंदे की बगावत के बाद सरकार गिर गई और शिवसेना दो खेमों में टूट गई. 


इसके बाद 2024 लोकसभा चुनाव में भी शिवसेना (उद्धव ठाकरे) , कांग्रेस और एनसीपी (शरद पवार) ने मिलकर चुनाव लड़ा. तीनों पार्टियां अगला विधानसभा चुनाव साथ लड़ने का भी ऐलान कर चुकी हैं. हालांकि, सीएम फेस को लेकर तीनों पार्टियों के अपने-अपने दावे हैं. हरियाणा में हार के बाद अब शिवसेना ने जिस तरह से कांग्रेस को घेरा है, उससे कांग्रेस नेतृत्व पर दबाव बनना लाजिमी है. ऐसे में सीएम फेस से लेकर सीटों के बंटवारे तक इसका असर देखने को मिल सकता है.


बीजेपी से सीधी लड़ाई में कांग्रेस कमजोर- शिवसेना


शिवसेना (यूबीटी) नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि हरियाणा चुनाव के नतीजों का महाराष्ट्र में कोई असर नहीं पड़ेगा, जहां अगले महीने चुनाव होने की संभावना है. हालांकि, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कांग्रेस अपनी चुनावी रणनीति पर फिर से विचार करे, क्योंकि हरियाणा में भाजपा के खिलाफ सीधी लड़ाई में कांग्रेस उम्मीदों से कमतर प्रदर्शन कर सकी.


क्या तीन राज्यों में मिली हार से नहीं लिया कांग्रेस ने सबक?


लोकसभा चुनाव से पहले हिंदी पट्टी के तीन राज्यों एमपी, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में चुनाव हुआ था. इन तीनों राज्यों में कांग्रेस और बीजेपी में सीधी टक्कर थी. मध्य प्रदेश में सपा ने गठबंधन के लिए कांग्रेस से संपर्क भी किया. हालांकि, कांग्रेस की ओर से इसे दरकिनार कर दिया. तीनों राज्यों के जब नतीजे आए तो कांग्रेस के लिए बड़ा झटका थे. कांग्रेस तीनों राज्यों में चुनाव हार गई. जबकि दो राज्यों में कांग्रेस की ही सरकार थी.