Haryana Elections: हरियाणा में सबसे अहम मतदाता जाट और दलित ही हैं. हरियाणा में 24 से 25 फीसदी मतदाता जाट समुदाय से आते हैं. इस समुदाय के वोटों पर ही डिपेंड करता है कि सरकार किसकी बननी है. राज्य का गठन 1966 में हुआ तब से लेकर अब तक हरियाणा में 33 मुख्यमंत्री जाट समुदाय से ही आए हैं. 90 विधानसभा सीटों में से 36 पर जाट वोटर हावी रहते हैं. यही कारण है कि सभी राजनीतिक दलों की नजर जाट और दलित वोटरों पर टिकी होती है.


हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने अगर चुनाव में मुद्दे कुछ अलग रखे हैं तो यहां पर मुख्यमंत्री भी जाट की जगह दूसरे समुदाय का बनाया है, जैसे मनोहर लाल खट्टर, जो खत्री समुदाय से आते हैं. इसके बाद उन्होंने नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाया जो कि पिछड़े वर्ग से आते हैं. यही स्ट्रेटजी कांग्रेस ने भी अपनाई. कांग्रेस भजनलाल को लेकर आई, लेकिन कांग्रेस के बड़े और कद्दावर जाट नेताओं में आते भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने न सिर्फ भजनलाल को कांग्रेस से हटाया बल्कि पूरी की पूरी हरियाणा की राजनीति से ही किनारा करवा दिया. हरियाणा में जाट वोटरों की संख्या जितनी बड़ी है उतनी देश के दूसरे प्रदेशों में नहीं है. 


पश्चिमी यूपी में भी खास हैं ये मतदाता 


हरियाणा में जाट और दलित वोटर जब मिल जाते हैं तो निर्णायक स्थिति में आ जाते हैं. ठीक ऐसे ही पश्चिमी उत्तर प्रदेश की बात करें तो यहां भी जाट मतदाता काफी ज्यादा हैं. पश्चिमी यूपी में जाट और मुसलमान कई बार तालमेल बैठा लेते हैं और उनका फैसला निर्णायक होता है. दरअसल, पश्चिमी यूपी में जाटों के खेतों में खेतिहर मजदूर के तौर पर मुसलमान काम करते हैं और हरियाणा में जाटों के खेतों में दलित काम करते हैं. हरियाणा में दलित वोटरों की बात करें तो इनकी संख्या 20 से 22 फीसदी है. 


कांग्रेस को हो सकता है फायदा


हरियाणा में भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने 10 साल तक अपनी सरकार चलाई. वह भी जाटों और दलितों को एकजुट करके और इस बार भी वह कुछ ऐसा ही सोच रहे हैं. कांग्रेस पार्टी में जिस प्रकार की गुटबंदी चल रही है, अगर उसका प्रभाव जमीनी तौर पर नहीं पड़ा तो हुड्डा फिर से मुख्यमंत्री बन सकते हैं और इसका फायदा कांग्रेस को होगा. दूसरी तरफ रणदीप सिंह सुरजेवाला और कुमारी शैलजा भी खुद को दावेदार बता रही हैं. 


इन कारोबारियों को ठीक लगती है बीजेपी


जिस प्रकार से कांग्रेस में जाट नेता आगे दिख रहे हैं उस प्रकार से भाजपा में कोई भी नेता आगे नहीं है. भाजपा के शासन में हरियाणा में सबसे महत्वपूर्ण फैक्टर बनकर जो सामने आया है वह है ‘रियल एस्टेट कारोबार’. हरियाणा और दिल्ली से पूरी तरह से लगा हुआ है, जहां पर सबसे ज्यादा रियल एस्टेट का कारोबार होता है. इस कारोबार की वजह से लोग भारतीय जनता पार्टी को कांग्रेस से ज्यादा ठीक समझते हैं. इसकी वजह यह भी है कि केंद्र में भी बीजेपी की सरकार है और राज्य में भी तो इन कारोबारियों लोगों को हर चीज की सुविधा मिलती है.


अब आपको एक नजर में ये बताते हैं कि हरियाणा में किस समुदाय के कितने फीसदी मतदाता हैं.



  • जाट- 25 फीसदी

  • दलित- 21 फीसदी

  • ब्राह्मण- 8 फीसदी

  • पंजाबी- 8 फीसदी

  • वैश्य- 5 फीसदी

  • यादव- 5 फीसदी

  • मुस्लिम 4 फीसदी

  • सिख- 4 फीसदी

  • गुर्जर- 3 फीसदी

  • अन्य- 17 फीसदी


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