Haryana Elections Result: हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पूरी तरह से आश्वस्त थी कि उसकी जीत होने वाली है. एग्जिट पोल भी कांग्रेस की जीत ही दर्शा रहे थे, लेकिन परिणाम के दिन ये दशा बदल गई और भाजपा को जीत मिलती दिख रही है, लेकिन हरियाणा में भाजपा की जीत के पीछे पार्टी के ही तीन ऐसे नेता हैं, जिनकी भूमिका बेहद महत्वपूर्ण रही है. 


हरियाणा विधानसभा चुनाव में राज्य के चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान और दोनों सह चुनाव प्रभारी बिप्लब देव और सुरेंद्र का रोल भी जबरदस्त रहा. पार्टी ने टिकट बंटवारा तो कर दिया था, लेकिन फिर भी धर्मेंद्र प्रधान ने बिना किसी लाइमलाइट में आए छोटी छोटी बैठकें कीं. रूठे नेताओं और कार्यकर्ताओं को मनाने के लिए कई मुलाकातें कीं.


धर्मेंद्र प्रधान की इन बैठकों का नतीजा ये रहा कि पार्टी के खिलाफ ताल ठोकने वाले आधे से ज्यादा लोगों का नामांकन वापस कराया गया और सभी को एक मंच पर लाया गया. वहीं अंदरूनी लड़ाई की बात करें तो भाजपा में कांग्रेस के मुकाबले यह चीज कम देखने को मिली. किसी प्रकार की कोई गुटबाजी नहीं दिखी.


कांग्रेस में थी गुटबाजी


कांग्रेस की हार के पीछे गुटबाजी को भी एक खास कारण बताया जा रहा है. चुनाव के दौरान कुमारी शैलजा, भूपेंद्र सिंह हुड्डा और सुरजेवाला के समर्थकों में अनबन थी. तीनों ही नेता सीएम पद की दौड़ में स्वयं को आगे दिखा रहे थे. शैलजा और हुड्डा के बीच कड़वाहट भी प्रचार की रैलियों के दौरान साफ देखने को मिली. 


भाजपा की शानदार स्ट्रेटजी


भारतीय जनता पार्टी के हरियाणा में स्ट्रेटजी देखी जाए तो कई ऐसे मुद्दे थे, जिसमें पार्टी को नुकसान होता दिख रहा था, लेकिन 7 महीने पहले पार्टी ने तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल को सीएम पद से हटा दिया और नायब सिंह सैनी को राज्य की कमान सौंप दी थी. पार्टी ने नायब सिंह सैनी के चेहरे पर चुनाव लड़ा है और जो परिणाम सामने आ रहे हैं वह बता रहे हैं कि जनता ने नायब सिंह सैनी पर भरोसा जताया है. ठीक इसी प्रकार भाजपा ने पहले भी यह फार्मूला अपनाया है, जो सफल रहा है. भाजपा ने यही स्ट्रेटजी गुजरात उत्तराखंड और त्रिपुरा में भी अपनाई है.


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