नई दिल्ली: बीजेपी नेता साध्वी प्रज्ञा ने महाराष्ट्र एंटी टेररिज्म स्क्वाड (एटीएस) के चीफ हेमंत करकरे की शहादत पर करीब 10 साल बाद बयानबाजी कर विवाद खड़ा कर दिया है. जिसपर पहली बार शहीद करकरे की बेटी जूई नवारे ने जवाब दिया है. उन्होंने कहा कि हेमंत करकरे रोल मॉडल थे, उनका नाम सम्मान के साथ लिया जाना चाहिए.
उन्होंने अमेरिका में द संडे एक्सप्रेस से बातचीत करते हुए कहा कि मैंने साध्वी प्रज्ञा का बयान सोशल मीडिया में पढ़ा है. उन्होंने कहा, ''वे बयान पर प्रतिक्रिया देकर उसे जबरदस्ती बढ़ावा नहीं देना चाहतीं. हेमंत करकरे रोल मॉडल थे, उनका नाम सम्मान के साथ लिया जाना चाहिए.''
उन्होंने कहा, ''उनका (करकरे) मानता था कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता है. कोई भी धर्म किसी को भी नहीं सीखाता है कि वह दूसरे की हत्या करे...इस तरह की विचारधारा को हराना जरूरी है. उन्होंने अपने 24 साल के पुलिस करियर में हर किसी की मदद की. यहां तक कि वो अपनी मौत के वक्त भी देश और शहर की रक्षा करने की कोशिश कर रहे थे. उन्हें वर्दी से प्यार था और उन्होंने अपनी वर्दी को जिंदगी और परिवार के पहले रखा. मैं सिर्फ ये चाहती हूं कि सभी को यह ख्याल रखना चाहिए.''
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आपको बता दें कि भोपाल लोकसभा सीट से उम्मीदवार साध्वी प्रज्ञा ने कहा था कि मैंने करकरे को श्राप दिया था इसकी वजह से वे आतंकवादियों के हाथों मारे गए. उनके इस बयान के बाद विपक्षी दलों और आम लोगों ने कड़ी प्रतिक्रिया दी.
दरअसल, साल 2008 के नवंबर में हुए मुंबई आतंकी हमले से ठीक पहले अक्टूबर में महाराष्ट्र एटीएस ने मालेगांव बम धमाका मामले में साध्वी प्रज्ञा ठाकुर समेत 11 लोगों को गिरफ्तार किया था. उस वक्त करकरे एटीएस प्रमुख थे. प्रज्ञा ठाकुर का दावा है कि करकरे ने उनकी पिटाई की थी.
नवारे ने बताया, ''उनके पिता (हेमंत करकरे) मालेगांव धमाके की जांच में व्यस्त रहते थे, मेरी मां को उनकी काफी फिक्र रहती थी, उन्हें डर लगता था.'' नवारे की मां की 2014 में मौत हो गई थी. हेमंत करकरे मुंबई आतंकी हमले में आतंकियों की गोली से शहीद हुए थे.