Pacchad Assembly Seat: हिमाचल में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर राजनीतिक पारा अब चरम पर पहुंच चुका है. पांच दिन बाद 12 नवंबर को राज्य की 68 विधानसभा सीटों पर मतदान होगा और 8 दिसंबर को नतीजे आएंगे. हिमाचल (Himachal) में सत्तारूढ़ बीजेपी ने चुनाव प्रचार में पूरी ताकत झोंक दी है, लेकिन एक सीट पर चुनावी समीकरण काफी दिलचस्प बने हुए हैं और वो सीट है पछाड़. इस आरक्षित (SC) निर्वाचन क्षेत्र में दो महिलाओं के बीच लड़ाई देखने को मिल रही है.
यहां मौजूदा बीजेपी विधायक रीना कश्यप (Reena Kashyap) का सामना दयाल प्यारी से होगा, जो पिछली बार बीजेपी के बागी के रूप में चुनाव हार गईं थीं. इस बार वे कांग्रेस की टिकट पर चुनावी मैदान में ताल ठोक रही हैं. इसी के साथ प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष और सांसद सुरेश कश्यप (Suresh Kashyap) भी यहीं से सांसद हैं और इसलिए उनकी प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी है.
उपचुनाव में नहीं दी थी टिकट
सुरेश कश्यप ने 2012 और 2017 में यह सीट जीती थी. वहीं 2019 के लोकसभा चुनाव में सांसद बनने के बाद जिला परिषद सदस्य दयाल प्यारी (Dayal Pyari) को 2019 के उपचुनाव के लिए यहां से बीजेपी के मुख्य चेहरे के रूप में देखा गया था. हालांकि, सुरेश कश्यप और सीएम जय राम ठाकुर के खेमे ने उन्हें टिकट नहीं दी, क्योंकि पयारी पूर्व सीएम प्रेम कुमार धूमल के खेमे से थीं.
रीना कश्यप को मिली टिकट
इसके बाद, बीजेपी ने रीना कश्यप को टिकट दिया, जो कि एक जिला परिषद सदस्य भी थीं. दयाल प्यारी ने निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ा. हालांकि वह उस चुनाव में हार गईं, लेकिन उन्हें 11,698 वोट मिले और वह तीसरे स्थान पर रहीं. दूसरे स्थान पर कांग्रेस उम्मीदवार गंगू राम मुसाफिर थे, जो पूर्व मंत्री और विधानसभा अध्यक्ष थे. 2017 में, उन्हें रीना कश्यप के 22,167 के मुकाबले 19,359 वोट मिले.
दोनों महिलाओं ने बीजेपी से शुरू की राजनीति
दोनों महिलाओं ने बीजेपी में अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी. 2017 से पहले पयारी ने अलग-अलग वार्डों से तीन बार जिला परिषद का चुनाव जीता था. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, पछाड़ में कांग्रेस प्रखंड अध्यक्ष नियुक्त हुए जय प्रकाश चौहान ने कहा, "बीजेपी में उनके मतदाता अब भी उनके साथ हैं. उन्हें उन लोगों का भी समर्थन प्राप्त है जो सुरेश कश्यप खेमे के खिलाफ हैं. निर्वाचन क्षेत्र में अनुसूचित जाति के मतदाता भी उनके साथ जाएंगे, क्योंकि बीजेपी अध्यक्ष सुरेश कश्यप और मौजूदा विधायक रीना कश्यप कभी भी दलित समूहों की बैठकों में शामिल नहीं हुए."
'बीजेपी से नाराज हैं विधानसभा क्षेत्र के लोग'
चौहान ने बीजेपी के बड़े चुनावी वादे पर सवाल उठाते हुए कहा कि हट्टी समुदाय को आदिवासी का दर्जा देने की कोई अधिसूचना नहीं है और कहा कि निर्वाचन क्षेत्र में सड़कों की स्थिति दयनीय है. स्थानीय लोग बीजेपी से नाराज हैं, क्योंकि स्कूलों और स्वास्थ्य केंद्रों में कोई कर्मचारी नहीं है. वहीं कांग्रेस के बागी गंगू राम मुसाफिर के बारे में चौहान ने कहा कि मुसाफिर से व्यक्तिगत लाभ पाने वाले ही उनके साथ हैं, बाकी कांग्रेस के लिए प्रतिबद्ध हैं.
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