Himachal Pradesh Hatti Community: हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर हलचल तेज हो गई है. ऐसे में हाटी समाज (Hatti Community) को एसटी का रिजर्वेशन (ST Reservation) दिए जाने का मामला भी जोर पकड़ता दिखाई दे रहा है. खासकर सिरमौर जिले की 4 विधानसभा सीटों पर, जहां हाटी समाज की बहुलता है. हाटी समाज को रिजर्वेशन दिए जाने से इसका क्या असर पड़ेगा? चुनाव में यह निर्णय कितना फर्क डालेगा? इन सभी सवालों का जवाब जानने के लिए एबीपी न्यूज़ की टीम ग्राउंड जीरो पर पहुंची. 


हिमाचल प्रदेश में सिरमौर जिले के करीब 10 से ज्यादा ग्राम पंचायतों और उस इलाके के सबसे बड़े कसबे सातौन के लोगों से एबीपी न्यूज़ संवाददाता नीरज पांडे ने खुले मन से बात की. लोगों ने भी खुलकर जवाब दिया और अपनी तकलीफें भी बताई. 


हाटी समुदाय एसटी रिजर्वेशन से उत्साहित


हिमाचल प्रदेश का हाटी समुदाय पिछले 1966 से इस बात की मांग कर रहा था कि उसे एसटी का रिजर्वेशन दिया जाए. लेकिन एक जैसी वेशभूषा, बोली, भाषा, रहन सहन होने के बाद भी हिमाचल की सीमा से लगे उत्तराखंड के लोगों को एसटी का रिजर्वेशन दे दिया गया था, लेकिन हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के लोग इससे वंचित रह गए थे. हाल ही में जयराम ठाकुर सरकार (Jairam Thakur Govt) ने इसे सिरे चढ़ा दिया. सातोन के लोगों का मानना है सरकार के इस फैसले से फायदे ही फायदे हैं. 


सातोन के लोगों ने क्या कहा?


सातोन के लोगों का कहना था कि रिजर्वेशन मिलने से विकास के लिए अधिक बजट आएगा, जिसका फायदा आम लोगों को मिलेगा. कमराऊं गांव के पूर्व सरपंच का कहना है कि योगदान सब कर रहा है, इसका फायदा बीजेपी को मिलेगा कि नहीं, यह कहना मुश्किल है. सब के प्रयास से हुआ है. सिरमौर जिले की सभी विधानसभा क्षेत्रों में हाटी समुदाय की अच्छी खासी जनसंख्या है. हाटी समुदाय सिरमौर जिले के चार विधानसभा क्षेत्र में रहता है, जिसमें शिलाई, पावटा साहिब, रेणुका और पच्छाद शामिल है. 


एसटी का दर्जा मिलने से कितने लोगों को लाभ


हाटी समुदाय को एसटी का दर्जा मिलने के बाद सिरमौर सहित ट्रांस गिरी क्षेत्र की 154 पंचायतों की करीब 2 लाख से ज्यादा जनसंख्या लाभान्वित होगी. ये हिमाचल चुनाव परिणाम में अहम भूमिका निभा सकता है. इन सीटों के अलावा कई जिलों में इस समुदाय की अहम भूमिका है और माना जाता है कि इसके जरिए सूबे की करीब 4 विधानसभा सीट सीधे तौर पर जबकि 5 और सीटों पर असर पड़ सकता है. 


विधानसभा चुनाव में मास्टर स्ट्रोक?


लोगों का कहना था कि हाटी समाज को रिजर्वेशन दिए जाने को लेकर करीब 50 साल से भी ज्यादा समय से हाटी संघर्ष समिति मांग कर रही थी. पिछले चुनाव के बाद संघर्ष समिति ने सीधे तौर पर फैसला लिया था कि जो हाटी समाज को रिजर्वेशन देगा, उसे ही हम वोट करेंगे. जो इस विधानसभा चुनाव में मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है. खुद हाटी संघर्ष समिति के केंद्रीय अध्यक्ष अमीचंद इस फैसले से काफी खुश हैं.


पोको गांव के लोगों ने क्या कहा?


सातोन से निकलकर एबीपी न्यूज़ की टीम दुर्गम पहाड़ी रास्तों से होते हुए उत्तराखंड के बॉर्डर पर स्थित पोको गांव पहुंची. आमतौर पर इस इलाके का जनजीवन बहुत ही कठिन माना जाता है. टीम ने उस इलाके का भी जायजा लिया, जो साफ तौर पर उत्तराखंड और हिमाचल (Himachal) को बांटता है. सिरमौर (Sirmour) और उत्तराखंड के विजयनगर की सीमा को जोड़ता है और यह बताता है कि उत्तराखंड के लोगों को सालों पहले रिजर्वेशन मिल गया था, जबकि हिमाचल के लोगों को 55 साल लग गया. 


एबीपी न्यूज की टीम वहां से पोको गांव के अंदर गई. जहां एकल विद्यालय के बच्चों से मुलाकात हुई. दुर्गम पहाड़ियों में बसे इस गांव में स्कूल नहीं है. ऐसे में छोटे बच्चों के लिए सरकार ने गांव की ही एक पढ़ी लिखी लड़की अंजली को मानदेय के आधार पर एकल विद्यालय चलाने की ज़िम्मेदारी दे रखी है. शिक्षिका अंजलि भी यह मानती हैं कि रिजर्वेशन (Hatti Community Reservation) दिए जाने से समाज के लोगों को फायदा होगा. गांव की ही कुछ बुजुर्ग महिलाएं मानती  हैं कि इससे बच्चों का भविष्य बनेगा. 


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