हिमाचल विधानसभा चुनाव में 11-सूत्रीय घोषणापत्र के साथ अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी राज्य में मुकबाला त्रिकोणीय बनाने की कोशिश में है. वो राज्य में बीजेपी और कांग्रेस से अधिक सीटें जीतने के दावे भी कर रही है लेकिन राज्य की ऐसी केवल पांच सीटें हैं जहां AAP मजबूत दिख रही है. इन पांच विधानसभा सीटों पर AAP कांग्रेस और बीजेपी का खेल बिगाड़ सकती है.
पौंटा साहिब विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र
सिरमौर जिले के पौंटा साहिब निर्वाचन क्षेत्र उन्हीं विधानसभा सीटों में से है जहां आम आदमी पार्टी कांग्रेस और बीजेपी का खेल बिगाड़ सकती है. इसी सीट पर चार बीजेपी के बागी नेताओं ने बीजेपी उम्मीदवार और मौजूदा विधायक बिजली मंत्री सुख राम चौधरी को परेशानी में डाल रखा है. यह एक ऐसा मौका है जब आप इस सीट से चुनाव जीत सकती है. आप ने इस विधानसभा सीट से मनीष ठाकुर को उतारा है. उनके सामने बीजेपी के अलावा कांग्रेस उम्मीदवार किरणेश हैं. वो इस सीट से दो बार हार चुके हैं. बीजेपी के अंदर बगावत और कांग्रेस उम्मीदवार की पिछले दो चुनावों में इस सीट पर हार ने आप के लिए एक उम्मीद जगा दी है.
कसौली (एससी) सीट
सोलन जिले की कसौली (एससी) सीट के लिए त्रिकोणीय मुकाबले में, हरमेल धीमान आप के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री राजीव सैजल और कांग्रेस उम्मीदवार विनोद सुल्तानपुरी इस सीट पर बीजेपी और कांग्रेस के उम्मदीवार हैं. विनोद सुल्तानपुरी सात बार के सांसद के डी सुल्तानपुरी के बेटे हैं. धीमान की नजर बीजेपी और कांग्रेस कैडर पर है जो कथित तौर पर सैजल और सुल्तानपुरी दोनों से नाराज हैं.
धीमान कई सालों से बीजेपी के साथ थे, इसलिए वह बीजेपी के कई कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों के समर्थन का दावा कर रहे हैं. उनका कहना है कि कसौली विधानसभा क्षेत्र में पिछले पांच साल में भले ही कोई विकास नहीं हुआ, लेकिन कांग्रेस प्रत्याशी खामोश रहे, सिर्फ चुनाव के समय ही सामने आए.
नालागढ़ सीट
यहां सोलन जिला परिषद के पूर्व अध्यक्ष आप उम्मीदवार धर्मपाल चौहान बीजेपी और कांग्रेस के प्रत्याशियों को टक्कर देंगे. कांग्रेस ने पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह के वफादार हरदीप सिंह बावा को मैदान में उतारा है, जबकि बीजेपी का टिकट कांग्रेस के बागी और मौजूदा विधायक लखविंदर राणा को गया है. इस सीट पर एक दिलचस्प लड़ाई में, बीजेपी के बागी नेता एल ठाकुर का पक्ष लेते दिख रहे हैं, जो निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं. प्रखंड कांग्रेस के अधिकतर पदाधिकारी और समर्थक बीजेपी के राणा के लिए काम कर रहे हैं, जबकि कांग्रेस प्रत्याशी बावा को अपने ही समर्थकों के साथ-साथ कांग्रेस में राणा विरोधी समर्थकों का भी समर्थन प्राप्त है.
आप के धर्मपाल चौहान की नजर दोनों खेमे के नाराज मतदाताओं पर है. उनका अपना वोटबैंक भी है, क्योंकि उन्होंने 2015 में खेड़ा वार्ड से कांग्रेस समर्थित उम्मीदवार के रूप में जिला परिषद का चुनाव जीता और सोलन जिला परिषद के अध्यक्ष बने थे.
नाचन विधानसभा क्षेत्र
कभी हिमाचल प्रदेश के सबसे युवा पंचायत सरपंच के रूप में पहचान बनाने वाले जबना चौहान मंडी जिले के नाचन से चुनाव लड़ रही हैं. जबना की नजर बीजेपी और कांग्रेस दोनों के नाराज मतदाताओं पर है. उन्हें उम्मीद है कि महिला मतदाता उनके साथ जाएंगी, क्योंकि उन्होंने अपनी पंचायत में शराब पर प्रतिबंध लगा दिया था. संसाधनों की कमी का सामना करने के बावजूद उन्हें बड़ी संख्या में वोट मिल सकते हैं. वह कहती हैं कि क्षेत्र की महिलाएं उनके साथ हैं, क्योंकि मौजूदा विधायक ने पिछले चुनाव लड़ने के बाद से इस वादे पर कुछ नहीं किया है कि वह इलाके में एक कॉलेज खोलेंगे. कांग्रेस में भी अंदरूनी कलह है.