Himachal Pradesh Election 2022: हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव (Himachal Pradesh Assembly Elections) के लिए तारीखों का एलान होने के साथ ही यहां चुनावी हलचल तेज हो गई है. सभी सियासी दल वोटरों को अपने पक्ष में जुट गए हैं. हिमाचल का कारोबारी वर्ग चुनाव में अहम भूमिका निभाता है. सभी नेता व्यापारियों को रिझाने की कोशिश कर रहे हैं. हिमाचल की पहचान यहां के सेब (Apple) से भी है. सेब कारोबारी (Apple Trader) इस बार सरकार की नीतियों को लेकर कुछ नाराज दिखाई दे रहे हैं. दरअसल, हिमाचल में सेब के कारोबार से जुड़े लोगों को महंगी पैकेजिंग, कमीशनखोरी और फर्टिलाइजर के बढ़ते दामों के कारण काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
हिमाचल प्रदेश की आबादी करीब 55 लाख है जिसमें करीब 10 लाख किसान सेबों की बागवानी करते हैं. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, हिमाचल प्रदेश सरकार (Himachal Pradesh Government) का फल कारोबार 5000 करोड़ रुपये का है. हिमाचल में कुल 90 तरह सेब की प्रजातियां पाई जाती हैं, जिसमें रेड के रॉयल और गोल्डन प्रजाति यहां पैदा होती हैं. इन सेब के दाम इनकी प्रजाति और साइज के अनुसार ही तय होते हैं.
महंगी पैकेजिंग ने बढ़ाई टेंशन
हिमाचल में सेब के कारोबार से जुड़े किसान सरकार से काफी नाराज चल रहे हैं. उनका कहना है कि पैकेजिंग की क़ीमत पहले 50 रुपये के आसपास होती थी, जिसे सरकार ने बढ़ाकर अब क़रीब 70 रुपये कर दिया है. पैकेजिंग में कोरोगेटेड बॉक्स (Corrugated Box) और Trays शामिल हैं. सेब की खेती करने वाले किसानों की सबसे बड़ी समस्या उनको उसकी सही कीमत नहीं मिलना है. किसानों का कहना है कि एक किलो सेब पर किसान के हिस्से में महज 50 रुपये आता है, जबकि बिचौलिया उसे आगे दोगुने दाम पर बेचता है. सरकार का इस पर कोई कंट्रोल नहीं होने की वजह से ये नुकसान किसानों को उठाना पड़ रहा है.
इन परेशानियों से भी जूझ रहे किसान
इसके अलावा ओपन मार्केट से आने वाले सेबों के पैकिंग पर 18% जीएसटी देना पड़ता है. वहीं, पेस्टिसाइड (Pesticides) और फर्टिलाइजर के बढ़ते दामों ने किसानों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. इसके अलावा किसानों को अपना माल सुरक्षित रखने के लिए उनके पास कोल्ड स्टोरेज की सुविधा नहीं है, जिसके कारण हर सीजन में उनका हजारों टन सेब खराब होने से उनको भारी नुकसान उठाना पड़ता है.
सेब की बागवानी से जुड़े किसानों का कहना है कि बीते दो सालों में उन्हें काफी नुक़सान झेलना पड़ा है. किसानों के अनुसार, अनाज उगाने वाले किसानों और सेब किसानों में बहुत अंतर है.अनाज को आप लंबे वक्त के लिए स्टोर कर सकते हैं, लेकिन सेब उगाने वाले किसान सही दाम का इंतजार नहीं कर सकते. सेब बागान में पड़े-पड़े सड़ जाने का बड़ा खतरा होता है.
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