Himachal Pradesh Crisis: कांग्रेस को कई बार संकट से निकालने वाले डीके शिवकुमार ने एक बार कांग्रेस को मुश्किल से निकाल लिया है. फिलहाल कुछ समय के लिए हिमाचल में सुक्खू सरकार के सिर से संकट टल गया है. भले ही कांग्रेस का ये संकट बीजेपी विधायकों के निष्कासन से टला है, लेकिन इसके पीछे रणनीति डीके शिवकुमार की ही मानी जा रही है.
यह डीके की रणनीति का नतीजा बताया जा रहा है कि पार्टी ने विक्रमादित्य सिंह का इस्तीफा नामंजूर कर दिया और अब उनके तेवर भी नरम बड़ गए हैं. इससे पहले हिमाचल प्रदेश में जब कांग्रेस विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की तो माना जा रहा था कि सूबे की सरकार मुश्किल में है. उधर बीजेपी ने सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का ऐलान कर दिया था.
नाराज विधायकों को मनाने की जिम्मेदारी
इस मुश्किल घड़ी में कांग्रेस ने डीके शिवकुमार को मोर्चे पर लगाया. उनके साथ हरियाणा के पूर्व सीएम भूपिंदर सिंह हुड्डा और प्रदेश प्रभारी राजीव शुक्ला भी सरकार बचाने में जुट गए. हिमाचल पहुंचते ही तीनों नेता नाराज विधायकों को मनाने में जुट गए.
विक्रमादित्य सिंह का इस्तीफा नामंजूर
इस बीच बीजेपी विधायकों के निष्कासन से उन्हें विधायकों के साथ बात करना का पर्याप्त वक्त भी मिल गया. बुधवार शाम सीएम सुक्खू ने विक्रमादित्य सिंह का इस्तीफा नामंजूर कर दिया और उन्हें अपना छोटा भाई बताया. वहीं विक्रमादित्य ने भी ऐलान कर दिया कि हिमाचल में सुक्खू सरकार सुरक्षित है. इस तरह डीके शिवकुमार ने सूबे में कांग्रेस सरकार को बचा लिया.
पहले भी कांग्रेस के लिए संकटमोचन बन चुके हैं डीके
वैसे यह पहला मौका नहीं है, जब डीके शिवकुमार ने कांग्रेस को इस तरह की मुश्किल से निकाला हो. इससे पहले 2018 में जब कर्नाटक विधानसभा चुनाव में पार्टी को बहुमत नहीं मिला था और बीजेपी को सरकार बनाने के लिए विधायकों की जरूरत थी, तब भी उन्होंने ने कांग्रेस के एक भी विधायक को तोड़ने नहीं दिया था.
इसके अलावा 2017 में जब राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस और बीजेपी के बीच एक राज्यसभा सीट का पेंच फंसा तो पार्टी ने विधायकों की घेराबंदी की जिम्मेदारी डीके शिवकुमार को ही दी थी.