फूलपुर: फूलपुर लोकसभा सीट यूपी के 80 लोकसभा सीटों में से एक हैं. ये इलाहाबाद जिले में स्थित है. लेकिन इसका अतीत और वर्तमान काफी दिलचस्प है. कभी देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू इस सीट का प्रतिनिधित्व करते थे, और एक वक़्त ऐसा भी आया जब इस सीट बाहुबली अतीक अहमद सांसद बने. और 2014 के मोदी लहर में बीजेपी ने पहली बार इस सीट पर कमल खिला दिया.
खयाल रहे कि इलाहाबाद नगर निगम का कुछ हिस्सा फूलपुर लोकसभा सीट में आता है, जिसपर बीजेपी का कब्जा है.
लोकसभा सीट का इतिहास
देश में 1951-52 में पहली बार लोकसभा चुनाव हुए. तब इलादाबाद और जौनपुर जिले को मिलाकर लोकसभा के कुल 4 सांसद चुने जाते थे. ये सीटें- जौनपुर पूर्व, इलाहाबाद पूर्व, जौनपुर पश्चिम, इलाहाबाद पश्चिम थीं. इलाहाबाद पूर्व और जौनपुर पश्चिम से दो सांसद चुने जाते थे. 1951-52 में इलाहाबाद पूर्व और जौनपुर पश्चिम से कांग्रेस के जवाहर लाल नेहरू और मासूरिया दीन सांसद चुने गए थे.
1957 में इलाहाबाद पूर्व और जौनपुर पश्चिम लोकसभा सीट का नाम बदलकर फूलपुर कर दिया गया. कांग्रेस के जवाहर लाल नेहरू और मासूरिया दीन फिर से सांसद चुने गए.
1962 के लोकसभा चुनाव से पहले परिसीमन में फूलपुर लोकसभा सीट चायल और फूलपुर सीट में बदल दिया गया. कांग्रेस के जवाहर लाल नेहरू फूलपुर से और कांग्रेस के मासूरिया दीन चायल से सांसद चुने गए. फूलपुर से जवाहर लाल नेहरू ने सोसलिस्ट पार्टी के राम मनोहर लोहिया को हराया.
27 मई 1964 को जवाहर लाल नेहरू का निधन हो गया. 1964 में हुए उपचुनाव में जवाहर लाल नेहरू की बहन विजयलक्ष्मी पंडित कांग्रेस के टिकट पर सांसद बनीं. विजयलक्ष्मी पंडित ने सोशलिस्ट पार्टी के जनेश्वर मिश्र को हराया. 1967 के चुनाव में कांग्रेस की विजयलक्ष्मी पंडित ने फिर से संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के जनेश्वर मिश्र को हराया और दूसरी बार सांसद बनीं.
1969 में विजयलक्ष्मी पंडित संयुक्त राष्ट्र (UN) में भारत की प्रतिनिधि चुनी गईं जिसकी वजह से ये सीट खाली हो गई. बाद में उपचुनाव हुआ जिसमें कांग्रेस ने केशव देव मालवीय को उम्मीदवार बनाया लेकिन समाजवादी के जनेश्वर मिश्र ने उन्हें इस चुनाव में हरा दिया.
लेकिन 1971 में फिर से कांग्रेस ने वापसी की और कांग्रेस के विश्वनाथ प्रताप सिंह इस सीट से चुनाव जीते. वहीं संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के जनेश्वर मिश्र चुनाव हार गए. 1977 में इमरजेंसी के बाद हुए चुनाव में कांग्रेस से भारतीय लोकदल में आई कमला बहुगुणा चुनाव जीतीं. कांग्रेस के राम पूजन पटेल चुनाव हार गए.
1980 के चुनाव से पहले कमला बहुगुणा कांग्रेस में चली गईं. इन चुनावों को जीतकर कांग्रेस ने केंद्र की सत्ता में वापसी तो की लेकिन कमला बहुगुणा ये चुनाव हार गईं और जनता पार्टी सेक्यूलर के बी डी सिंह चुनाव जीत गए. बीडी सिंह इसके पहले 1971 में भारतीय क्रांति दल के टिकट पर चुनाव लड़कर हार गए थे.
1984 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने फिर से वापसी की. कांग्रेस के राम पूजन पटेल ने ये चुनाव जीता. 1989 के लोकसभा चुनाव से पहले राम पूजन जनता दल में चले गए. जनता दल पर सवार होकर पटेल कांग्रेस विरोधी लहर में चुनाव जीते.
1991 की जनता दल के राम पूजन पटेल लगातार तीसरी बार सांसद बने. इस चुनाव में बीएसपी ने अपनी पूरज़ोर दस्तक दी. बीएसपी के बेनी माधव बिंद दूसरे स्थान पर रहे. कांग्रेस पांचवें स्थान पर चली गई. इसके बाद यहां कांग्रेस कभी वापसी नहीं कर पाई.
1996 और 1998 में एसपी के जंग बहादुर पटेल लगातार 2 बार सांसद चुने गए. 1996 में पटेल ने बीएसपी के संस्थापक कांशीराम को हराया जबकि 1998 में पटेल ने बीएसपी से बीजेपी में गए बेनी माधव बिंद को हराया.
1999 में एसपी के धरमराज सिंह पटेल चुनाव जीते. 2004 में एसपी ने यूपी के बाहुबली नेता अतीक अहमद को चुनाव लड़ाया और अतीक चुनाव जीतकर सांसद बन गए.
2009 में पहली बार यहां बीएसपी ने खाता खोला और बीएसपी के बाहुबली नेता कपिल मुनि करवारिया सांसद चुने गए.
2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने जीत दर्ज की. केशव प्रसाद मौर्या सांसद चुने गए. मार्च 2017 में मौर्या यूपी के डिप्टी सीएम बन गए. 2017 के आखिर में मौर्या ने लोकसभा से इस्तीफा दे दिया. आपको बता दें कि मौर्ये के इस्तीफे से खाली पड़ी इस सीट पर उपचुनाव होना है.
कौन सी पार्टी कितनी बार जीती
आजादी के बाद हुए 16 चुनावों और 2 उपचुनावों में कांग्रेस पार्टी सात बार, जनता दल दो बार, एसएसपी एक बार, बीएलडी एक बार और जनता पार्टी सेक्यूलर ने एक बार जीत दर्ज की है. एसपी ने इस सीट पर लगातार 4 बार जीत दर्ज की जबकि बीजेपी और बीएसपी सिर्फ 1-1 बार जीत दर्ज कर पाए हैं. आपको बता दें कि नेहरू के निधन और विजयलक्ष्मी के यूएन में चुने जाने के बाद केशव प्रसाद मौर्य के इस्तीफे की वजह से खाली पड़ी इस सीट पर इस बार तीसरी बार उपचुनाव होगा.
कौन से बड़े नेता जीतें
जवाहर लाल नेहरू– पूर्व प्रधानमंत्री
विजयलक्ष्मी पंडित– जवाहर लाल नेहरू की बहन
जनेश्वर मिश्र– समाजवादी नेता और छोटे लोहिया
वी पी सिंह– पूर्व प्रधानमंत्री
कमला बहुगुणा– यूपी के सीएम हेमवती नंदन बहुगुणा की पत्नी
अतीक अहमद– यूपी का बाहुबली
कपिल मुनि करवारिया– यूपी का बाहुबली
केशव प्रसाद मौर्या– यूपी बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष और उपमुख्यमंत्री
कितनी विधानसभा सीटें और कौन कौन जीता
फूलपुर लोकसभा सीट में पांच विधानसभा सीटें- फाफमऊ, सोरांव, फूलपुर, इलाहाबाद पश्चिम और इलाहाबाद उत्तर आती हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में पांच में से चार पर बीजेपी और एक सीट पर बीजेपी की सहयोगी अपना दल ने जीत दर्ज की थी.
जातिगत समीकरण
इस सीट पर मुस्लिम, पटेल और कायस्थ बिरादगी के सबसे अधिक मतदाता हैं. इसके बाद ब्राह्मण और अनुसूचित जाति के वोटों का नंबर आता है. फूलपुर संसदीय क्षेत्र में सबसे ज्यादा पटेल मतदाता हैं. यहां इनकी संख्या करीब सवा दो लाख है. मुस्लिम, यादव और कायस्थ मतदाताओं की संख्या भी इसी के आसपास है. लगभग डेढ़ लाख ब्राह्मण और एक लाख से अधिक अनुसूचित जाति के मतदाता हैं.
मतदाताओ में कितनी महिलाएं और कितने पुरुष
2014 के लोकसभा चुनाव में फूलपुर लोकसभा सीट में कुल 19,13,275 वोटर थे जिनमें से 50.20% मतदाताओं ने मतदान किया था. कुल 9,60,419 लोगों ने मतदान किया था जिसमें 5,41,264 पुरुष और 4,18,152 महिला मतदाताओं ने वोट किया था.
रिसर्च- अभिषेक पांडे, एबीपी न्यूज़