वाराणसी: 2019 के आम चुनाव की सुगबुगाहट धीर-धीरे रफ्तार पकड़ रही है. ये चुनाव मोदी के लिए खासा महत्वपूर्ण है क्योंकि साल 2014 में हुए आम चुनाव के नतीजे कई मायनों में ऐतिहासिक थे. एक ओर जहां अर्से बाद भारत में गठबंधन की राजनीति को जोरदार धक्का लगा और बीजेपी अकेले बहुमत की सरकार बनाने में कामयाब हुई, वहीं देश की सबसे पुरानी और सबसे लंबे समय तक सत्ता में रहने वाली कांग्रेस पार्टी इतनी सीटें भी नहीं ला सकी की उसे लोकसभा में विपक्ष के नेता का दर्जा हासिल हो सके.


सवाल ये भी है कि क्या 2019 का आम चुनाव भी मोदी मैजिक से प्रभावित चुनाव होंगे? क्या बीजेपी अकेले दम पर फिर एक बार सरकार बनाने की स्थिति में होगी? क्या कांग्रेस अपना पिछला रिकार्ड तोड़ पाएगी? वहीं वर्तमान राजीनित में अपनी अहमियत खो चुकी क्षेत्रिय पार्टियों का क्या होगा. ऐसी रोचक स्थिति में एक-एक सीट का गणित बहुत ज़रूरी हो जाता है और इसी वजह से ABP न्यूज़ आपके लिए लेकर आया है वीआईपी सीट सीरीज़ जिसमें हम आपको देश की वीआईपी सीटों की हर उस जानकारी से रूबरू कराएंगे जो देश के जिम्मेदार नागरिक होने के नाते आपके पास होनी चाहिए.


इस सीरीज़ में पहली सीट के तौर पर पीएम मोदी की लोकसभा सीट वाराणसी को चुना गया है. आइए जानते हैं इस सीट से जुड़ी हर छोटी-बड़ी जानकारी


राजनीतिक तौर पर देश के सबसे बड़े राज्य यूपी (उत्तर प्रदेश) में 80 लोकसभा सीटें हैं. पीएम नरेंद्र मोदी की सीट वाराणसी उनमें से एक है. आपको बता दें कि मोदी ने दो सीटों से चुनाव लड़ा था और दोनों सीटें जीत ली थीं.



जीत के बाद उन्होंने गुजरात के बड़ोदरा की सीट छोड़ दी और वाराणसी से संसद बन रहने का फैसला किया. वाराणसी नगर निगम भी वाराणसी लोकसभा सीट में आता है जिस पर बीजेपी (भारतीय जनता पार्टी) का कब्जा है.


लोकसभा सीट का इतिहास- कब कौन जीता


देश में 1951-52 में पहली बार लोकसभा चुनाव हुए थे. तब वाराणसी जिले में लोकसभा की 3 सीटें- बनारस मध्य, बनारस पूर्व और बनारस-मीरजापुर थीं. तब वाराणसी लोकसभा सीट को बनारस मध्य लोकसभा सीट कहते थे. 1951 में बनारस मध्य से कांग्रेस के रघुनाथ शर्मा जीते. तब उन्होंने सोसलिस्ट पार्टी के विश्वनाथ शर्मा को हराया था. 


वहीं 1957 के लोकसभा चुनाव में बनारस मध्य का नाम बदलकर वाराणसी कर दिया गया. 1957 में कांग्रेस के रघुनाथ सिंह फिर सांसद चुने गए, इस बार रघुनाथ सिंह ने निर्दलीय शिवमंगल राम को हराया. ऑल इंडिया भारतीय जनसंघ तीसरे स्थान पर रही. 1962 में कांग्रेस के रघुनाथ सिंह लगातार तीसरी बार सांसद बने. जनसंघ के रघुवीर दूसरे स्थान पर रहें.


1967 में सीपीएम के सत्य नारायण सिंह जीतें और कांग्रेस के रघुनाथ सिंह हार गए. वहीं एक बार फिर 1971 में कांग्रेस के राजाराम शास्त्री सांसद बने और भारतीय जनसंघ के कमला प्रसाद सिंह तीसरे स्थान पर रहे. 1977 में कांग्रेस विरोधी लहर में भारतीय लोकदल के चन्द्र शेखर सांसद बने जो बाद में देश के पीएम भी बने और इस चुनाव में कांग्रेस के राजाराम शास्त्री हार गए.


1980 में एक बार फिर कांग्रेस लौटी और वरिष्ठ नेता कमलापति त्रिपाठी वाराणसी सीट से जीतकर संसद में पहुंचे. आपको बता दें कि कमलापति त्रिपाठी उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. 1984 में एक बार फिर कांग्रेस के श्यामलाल यादव सांसद बने. वहीं 1989 में जनता दल से पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के पुत्र अनिल कुमार शास्त्री जीते.


इस सीट पर 1991 से 1999 तक लगातार चार बार बीजेपी के सांसद चुने गए. 1991 में शिरीष चंद्र दीक्षित, फिर लगातार तीन बार 1996,1998 और 1999 में शंकर प्रसाद जायसवाल यहां से सांसद बने. 2004 में फिर से कांग्रेस के राजेश मिश्रा ने यहां से कांग्रेस को जीत दिलाई.


2009 में बीजेपी के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी इलाहाबाद से वाराणसी चुनाव लड़ने आए. वहीं सपा (समाजवादी पार्टी) ने बाहुबली नेता अजय राय और बसपा (बहुजन समाज पार्टी) ने बाहुबली नेता मुख्तार अंसारी को चुनाव लड़ाया, लेकिन बीजेपी सीट जीतने में कामयाब रही. 2014 में नरेन्द्र मोदी वाराणसी से चुनाव जीतकर पीएम बने. वहीं आप (आम आदमी पार्टी) के अरविंद केजरीवाल, कांग्रेस के अजय राय और सपा के कैलाश चौरसिया चुनाव हार गए.


कौन सी पार्टी कितनी बार जीती



अब तक हुए 16 लोकसभा चुनावों में कांग्रेस सात बार, बीजेपी छह बार, जनता दल एक बार, सीपीएम एक बार और भारतीय लोकदल ने एक बार जीत दर्ज की है. सपा और बसपा इस सीट पर खाता भी नही खोल सके हैं.


कौन से बड़े नेता जीते


राजाराम शास्त्री– पूर्व शिक्षाविद और काशी विद्यापीठ के कुलपति रहे हैं.
नरेन्द्र मोदी– अभी देश के पीएम हैं.
चन्द्र शेखर– पूर्व प्रधानमंत्री रहे हैं.
कमलापति त्रिपाठी– यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री रहे हैं.
श्यामलाल यादव– राज्यसभा के उप-सभापति रहें और यूपी सरकार में मंत्री रहे हैं.
अनिल शास्त्री– पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के पुत्र हैं.
मुरली मनोहर जोशी– मानव संसाधन विकास मंत्री रहे हैं. बीजेपी की वरिष्ठ नेता शुमार किए जाते हैं.


कितनी विधानसभा सीट और कौन-कौन जीता


वाराणसी लोकसभा सीट में विधानसभा की 5 सीटें- रोहनिया, वाराणसी उत्तर, वाराणसी दक्षिण, वाराणसी कैंट और सेवापुरी आती हैं. 2017 में पांच में से चार सीटों पर बीजेपी और एक सीट सेवापुरी पर बीजेपी की सहयोगी अपना दल ने जीत दर्ज की थी.


जातिगत समीकरण


वाराणसी लोकसभा पर कुर्मी समाज के काफी वोटर्स हैं, खासकर रोहनिया और सेवापुरी में इनकी संख्या काफी है. यहां लगभग डेढ़ लाख भूमिहार वोटर्स हैं. दो लाख के आसपास ब्राह्मण वोटर्स हैं. वैश्य, यादव और मुस्लिम वोटरों की संख्या यहां निर्णायक भूमिका में होती है.


वोटर्स की कुस संख्या- इसमें कितने महिला और पुरूष


2014 के लोकसभा चुनाव में वाराणसी लोकसभा सीट पर 17,66,487 मतदाता थे. जिनमें से 58.35% ने मतदान किया था. कुल 10 लाख 30 हजार 812 लोगों ने मतदान किया था जिसमें 5,93,071 पुरुष और 4,36,735 महिलाएं थीं.


रिसर्च- अभिषेक पांडे, एबीपी न्यूज़