नौ दिन बाद लोकसभा चुनाव के मतदान की शुरुआत होने जा रही है, 19 अप्रैल को पहले चरण की 102 लोकसभा सीटों पर वोटिंग होगी. चुनाव आयोग इतंजाम में लगा है. मतदान से पहले भारतीय जनता पार्टी (BJP) भी एक तैयारी में लगी हुई है, जिसका मकसद है फर्जी वोटिंग पर लगाम. हर चुनाव के दौरान फर्जी मतदान की शिकायतें आती हैं, बीजेपी आरोप लगाती रही है, कि मतदान के दौरान मुस्लिम बहुल इलाकों में बुर्के और नकाब की आड़ में बड़ी तादाद में बोगस वोटिंग होती है. ऐसे ही फर्जी वोटरों की धरपकड़ के लिए बीजेपी हर बूथ पर बुर्का ब्रिगेड तैनात करेगी.


बीजेपी की तरफ से इस टीम को ट्रेनिंग दी जा रही है ताकि मुस्लिम बहुल सीटों पर बीजेपी के पक्ष में सही मतदान हो सके. बीजेपी को फर्जी वोटिंग रोकने के लिए ऐसी टास्क फोर्स बनाने की जरुरत क्यों पड़ी? बीजेपी की बुर्का ब्रिगेड में फर्जी वोटिंग रोकने का काम कौन करेगा, पार्टी के इस दस्ते में किनकी तैनाती की गई है, बीजेपी की इस ब्रिगेड को कौन ट्रेनिंग दे रहा है, ऐसे ही तमाम सवालों के जवाब जानने के लिए एबीपी न्यूज के रिपोर्टर टीम उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में, बीजेपी दफ्तर पहुंचे, जहां बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष, एंटी बोगस वोटिंग ब्रिगेड को ट्रेनिंग दे रहे थे.


बुर्का पहनकर फर्जी वोटिंग करती है महिलाएं?
बोगस वोटिंग हमारे इलेक्टोरल सिस्टम का एक कड़वा सच है, वोटिंग सिस्टम में चुनाव आयोग के लगातार सुधारों से फर्जी वोटिंग रोकने में काफी हद तक लगाम लगी है. इसके बावजूद फर्जी वोटरों की शिकायतें आती रहती हैं, लेकिन बीजेपी का मानना है कि मुस्लिम बहुल सीटों पर विपक्ष की पार्टियां फर्जी वोटिंग को बढ़ावा देती हैं. इसके लिए मुस्लिम महिलाओं का इस्तेमाल करती हैं क्योंकि पहनावे की वजह से मुस्लिम महिलाओं की पहचान मुश्किल होती है. चेहरा ढका होने से मतदान कर्मी मुस्लिम महिला वोटर के चेहरे और वोटर आईडी का मिलान नहीं कर पाते, सख्ती करने पर पोलिंग बूथ पर विवाद के हालात पैदा होते हैं. इसी से निपटने के लिए बीजेपी मुस्लिम महिलाओं को तैनात करेगी.

इसके लिए तेजतर्रार महिलाओं को चुना गया है. वोटिंग वाले दिन मुस्लिम महिलाएं बुर्के और नकाब में तैनात रहेंगी. पोलिंग स्टेशन के बाहर से लेकर बूथ के अंदर निगरानी करना इनका काम होगा. इन महिलाओं को बूथ पर संदिग्ध मुस्लिम महिला वोटर की पहचान, उसके वोटर आईडी और मतदाता पर्ची के मिलान करना और शक होने पर बुर्कानशी महिला की शिनाख्त और शिकायत करनी होगी.


बीजेपी ने क्यों बनाई बुर्का ब्रिगेड?
फर्जी मतदान रोकने के लिए चुनाव आयोग खुद सक्रिय रहता है, पोलिंग स्टेशनों पर सुरक्षा बलों की तैनाती रहती है. इसके बाद भी मुस्लिम बहुल मतदान केंद्रों के लिए, बीजेपी को ऐसी बुर्का ब्रिगेड बनाने जरूरत क्यों आ पड़ी. यूपी बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा के अध्यक्ष कुंवर बासित अली बताया, 'जिन बूथों पर बीजेपी लगातार चुनाव हारी है और वो इलाके अल्पसंख्यक बहुल हैं. उन बूथों पर ऐसी शिकायतें मिली हैं कि वहां फर्जी मतदान होता है. कार्यकर्ता जब खड़े होंगे तो बीजेपी के पक्ष में मतदान होगा और फर्जी वोटिंग पर अंकुश लगेगा. इस बार बड़ी तादाद लाभार्थियों की है. पीएम मोदी ने माताओं, बहनों को ताकत देने का काम किया है उनको मातृ शक्ति कहा है. उनको लगातार उज्जवला योजना, आयुष्मान भारत और राशन, शौचालय की सुविधाएं देकर तमाम तरह से उन्हें मुखिया बनाया गया है. इस बार घर की मुखिया अपने मोदी भाईजान को जीताने का काम करेंगी और वह कमर कस चुकी हैं कि पीएम मोदी को फिर से प्रधानमंत्री बनाना है.'


विपक्ष को रास नहीं आ रहा बीजेपी का प्लान
पोलिंग बूथों पर बुर्का ब्रिगेड तैनात करने का बीजेपी का प्लान विपक्ष को रास नहीं आ रहा. समाजवादी पार्टी के सांसद एसटी हसन ने कहा, 'वो महिलाएं भी फर्जी होंगी. वो बुर्का पहने हुए होंगी. ये तो साम दाम दंड भेद सभी चीजें इस्तेमाल करते हैं. हमें होशियार रहना है. हमें देश के अंदर प्यार, मोहब्बत, अपनी तहजीब को बचाना है.' कांग्रेस के प्रवक्ता सुरेंद्र राजपूत ने भी सवाल उठाए और कहा कि बीजेपी क्या चुनाव आयोग का काम करना चाहती है. उसको क्या देश के संविधान पर भरोसा नहीं. क्या उसको चुनाव आयोग पर भरोसा नहीं है कि वह फर्जी वोटिंग रोक सकता है. उन्होंने कहा कि बीजेपी क्या देश के सबसे बड़े अल्पसंख्यक वर्ग मुस्लिम समुदाय पर अविश्वास करके बात करना चाहती है. कहां गया इनका भाईजान वाला फॉर्मूला. बीजेपी तो सबका साथ सबका विकास की बात करती है तो मुस्लिम महिलाओं पर इतना अविश्वास क्यों, इसका जवाब बीजेपी को देना होगा. 


क्या किसी पार्टी के लोग पोलिंग बूथ पर वोटर की पहचान कर सकते हैं?
बीजेपी बहुत पहले से मुस्लिम इलाकों में फर्जी वोटिंग के आरोप लगाती रही है, लेकिन फर्जी वोटर की पहचान और बोगस मतदान पर रोक लगाने के लिए जब चुनाव आयोग का पूरा तंत्र काम करता है, तो क्या किसी राजनीतिक दल के एजेंट, पोलिंग बूथ पर किसी वोटर की पहचान कर सकते हैं. इस पर पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा, 'ये इलेक्शन कमीशन के स्टाफ का काम होता है. पोलिंग स्टेशन के अंदर और बाहर चुनाव आयोग का स्टाफ होता है. सिक्योरिटी होती है और पुलिस भी होती है. लाइन में खड़े लोगों का वोटर कार्ड देखना ये रुटीन एक्टिविटी है. तो ये जो पोलिंग एजेंट हैं वो प्रोटेस्ट कर सकते हैं. यही मकसद उनका है कि किसी भी तरह की बेईमानी वहां न हो पाए और निगरानी की जाए. अगर उन्हें किसी चीज पर ऐतराज है तो प्रोटेस्ट करें और उस पर एक्शन लेना अधिकारियों का काम है. इनका काम कानून को हाथ में लेना नहीं हो सकता. ये चुपचाप वहां बैठे होंगे और अगर कोई गड़बड़ी हुई तो अधिकारी के नोटिस में लाएंगे कि ये गलत दिख रहा है.'


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