Farmer Protest: दिल्ली में तीन साल पहले हुए किसान आंदोलन के बाद एक बार फिर से किसान सड़को पर उतर आए हैं. 2024 के लोकसभा चुनाव से कुछ ही महीने पहले किसानों ने एक बार फिर दिल्ली की ओर ट्रैक्टरों और पैदल कूच किया और दिल्ली की किलेबंदी कर दी है. इस बीच मंगलवार (13 फरवरी) को काफी अराजकता देखी गई और पुलिस ने प्रदर्शनकारी किसानों पर आंसू गैस और पानी की बौछारें छोड़ीं.
बुधवार को दिल्ली और उसके आसपास सुरक्षा कड़ी कर दी गई है और बड़ी संख्या में सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया है. सिंघु और टिकरी सीमाओं पर यातायात की आवाजाही रोक दी गई है. वहीं, किसान अपना विरोध जारी रखने पर अड़े हुए हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि अगर किसान प्रदर्शन आगे बढ़ता है, तो इसके प्रभाव लोकसभा चुनाव पर पड़ सकता है.
बीजेपी के लिए हो सकती हैं दिक्कतें
तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने का ख्वाब देख रहे पीएम मोदी के लिए किसान आंदोलन चिंता का विषय है. भले ही दिसंबर 2023 में बीजेपी की तीन विधानसभाओं की जीत ने उसके आत्मविश्वास को बढ़ाया हो, लेकिन किसानों का विरोध पार्टी के लिए दिक्कतें पैदा कर सकता है. दरअसल, विरोध प्रदर्शन करने वाले किसान राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण राज्यों पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश से आते हैं.
तमिलनाडु के किसान भी कर रहे प्रदर्शन
इसके अलावा प्रदर्शन में दक्षिण राज्य तमिलनाडु के किसान भी शामिल हो गए हैं. माना जा रहा है कि किसान आंदोलन हिंदी भाषित राज्यों में बीजेपी को नुकसान पहुंचाने के साथ-साथ दक्षिण में पांव पसारने की कोशिश में जुटी बीजेपी के प्रयासों का कमजोर कर सकता है. वहीं, किसानों के विरोध के कारण बीजेपी को पंजाब में भी मुंह की खानी पड़ सकती है.
पंजाब में AAP या कांग्रेस के पास खिसक सकता है वोट
पंजाब में लोकसभा की 13 सीट हैं. अगर किसानों का विरोध बढ़ा तो यहां बीजेपी को दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है और पंजाब का वोट बैंक आम आदमी पार्टी (AAP) या कांग्रेस के हाथ में चला जाएगा. हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक ऐसी चर्चाएं थीं कि शिरोमणि अकाली दल बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए में संभावित वापसी के लिए बीजेपी के साथ बातचीत कर रहा है, लेकिन शिअद अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने इससे इनकार कर दिया है.
हरियाणा में पिछला प्रदर्शन दोहराना मुश्किल
इसके अलावा विवाद बढ़ने की स्थिति में बीजेपी को हरियाणा में भी कठिनाईयों का सामना करना पड़ेगा और उसके लिए पिछले चुनाव जैसा प्रदर्शन दोहराना मुश्किल होगा. 2019 में बीजेपी ने राज्य की सभी 10 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल की थी.
उत्तर प्रदेश में भी पड़ेगा प्रभाव
किसानों के विरोध प्रदर्शन में उत्तर प्रदेश से भी भागीदारी देखी गई है. ऐसे में बीजेपी को पश्चिमी यूपी की सीटों पर परेशानी हो सकती है. राज्य लोकसभा में 80 सदस्य भेजता है. बीजेपी ने 2014 में यहां से 72 और 2019 के आम चुनाव में 62 सीटें जीती थीं.
किसानों का विरोध प्रदर्शन भारत ब्लॉक के लिए क्यों महत्वपूर्ण है?
किसानों का विरोध प्रदर्शन बीजेपी के लिए दुखदायी हो सकता है, लेकिन यह विपक्ष के लिए संजीवनी की बूटी साबित हो सकता है. किसानों के विरोध के चलते कांग्रेस हिंदी पट्टी में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने की उम्मीद कर रही है.
इस बीच कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने किसानों के विरोध पर पीएम मोदी की आलोचना की है. उन्होंने सोशल मीडिया पर कहा, "दिन-रात झूठ की खेती करने वाले मोदी ने पिछले 10 साल में किसानों को केवल धोखा दिया है. दोगुनी आय का वादा करके मोदी ने किसानों को एमएसपी के लिए भी तरसाया. "
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