नई दिल्ली: भारतीय संविधान में मंत्रिमंडल के गठन से जुड़े संविधान के अनुच्छेद 74, 75 और 77 बेहद महत्वपूर्ण है.  अनुच्छेद 74 के मुताबिक राष्ट्रपति द्वारा मंत्रिपरिषद का गठन  किया जाता है. अनुच्छेद 74 के मुताबिक एक मंत्रिपरिषद होगी, जिसके शीर्ष पर प्रधानमंत्री होंगे, पीएम की सहायता और सुझाव के आधार पर राष्ट्रपति मंत्रीमंडल पर सहमति देगें. वहीं, प्रधानमंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति के द्वारा की जाती है. संविधान के अनुच्छेद 75(1) के अनुसार प्रधानमंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति करेगा.


लेकिन राष्ट्रपति को प्रधानमंत्री का चयन करने की आजादी नहीं होती है. सामान्य तौर पर राष्ट्रपति को लोकसभा में बहुमत प्राप्त दल के नेता को ही सरकार बनाने के लिए बुलाना होता है. यदि किसी एक दल को स्पष्ट बहुमत प्राप्त नहीं हुआ है तो राष्ट्रपति उस व्यक्ति को सरकार बनाने के लिए बुलाता है जिसमें दो या अधिक दलों का समर्थन प्राप्त करने की संभावना होती है और जो इस प्रकार के समर्थन से लोकसभा में जरूरी बहुमत साबित कर सकता है.


वहीं, संविधान के अनुच्छेद 77 के तहत सरकार के मंत्रालयों/विभागों का निर्माण राष्ट्रपति द्वारा प्रधानमंत्री की सलाह पर किया जाता है. प्रत्येक मंत्रालयों को राष्ट्रपति द्वारा प्रधानमंत्री की सलाह पर सौंपा जाता है. प्रत्येक विभाग में नीति-मामलों और सामान्य प्रशासन पर मंत्री की सहायता के लिए एक सचिव प्रभार में होता है. किसी मंत्री के अपने पद-ग्रहण करने से पहले राष्ट्रपति उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाते हैं. इसके बाद उन्हें मंत्री का दर्जा मिल जाता है. मंत्रिपरिषद लोकसभा के प्रति सामूहिक रूप से उत्तरदायी होता है.


मंत्रिमंडल सचिवालय (Cabinet Secretariat):


भारत के संविधान में संसदीय प्रणाली की सरकार का प्रावधान है जिसमें मंत्रिमंडल को कार्यपालिक का दर्जा प्राप्त है. प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल भारत सरकार के पूरे प्रशासन की जिम्मेदारी है. इस कार्य में मंत्रिमंडल की सहायता के लिए मंत्रिमंडल सचिव होता.


इसी तरह मंत्रिमंडल सचिवालय केंद्रीय मंत्रिमंडल की स्टाफ एजेंसी है. यह भारत के प्रधानमंत्री के दिशानिर्देशन और नेतृत्व में कार्य करता है. केंद्र सरकार में उच्च स्तरीय नीति-निर्धारण प्रक्रिया में इसकी महत्त्वपूर्ण भूमिका है. मंत्रिमंडल सचिवालय को कार्य विभाजन नियमावली 1961 के तहत भारत सरकार में एक विभाग का दर्जा प्राप्त है. इसका राजनीतिक प्रमुख प्रधानमंत्री और प्रशासनिक प्रमुख मंत्रिमंडल सचिव होता है. मंत्रिमंडल सचिवालय वर्ष 1947 में गवर्नर-जनरल की कार्यकारी परिषद के स्थान पर अस्तित्व में आया .


मंत्रिमंडल सचिवालय का काम क्या होता है


मंत्रिमंडल की बैठक की कार्यसूची तैयार करना और इसके लिए आवश्यक सामग्री उपलब्ध कराना मंत्रिमंडल सचिवालय का महत्वपूर्ण कार्य होता है. अन्य कार्यों में कैबिनेट और कैबिनेट समितियों द्वारा लिए गए निर्णयों का रिकॉर्ड रखना और उन्हें सभी संबद्ध मंत्रालयों में बताना. कैबिनेट सचिवालय मंत्रियों की नियुक्ति और त्यागपत्र से जुड़े मामलों, मंत्रियों को विभाग के बंटवारे से संबंधित मामले और मंत्रालयों के गठन और पुनर्गठन से संबंधित कार्यों का भी निपटारा करता है.


मंत्रीमंडल सचिव


मंत्रिमंडल सचिव मंत्रिमंडल सचिवालय का प्रधान होता है. एन. आर. पिल्लै देश के पहले कैबिनेट सचिव थे. मंत्रिमंडल सचिव को लोकसेवकों में सर्वोपरि दर्जा प्राप्त है और वह भारत के वरिष्ठतम लोकसेवक होते हैं. इनका कार्यकाल निश्चित नहीं होता है.


मंत्री तीन प्रकार के होते हैं


मंत्रिपरिषद के विभिन्न सदस्यों के महत्त्व को दृष्टि में रखते हुए मंत्रियों को तीन श्रेणियों में विभाजित किया गया है –


कैबिनेट मंत्री – ये मंत्रिपरिषद की प्रत्येक बैठक में भाग लेकर अपनी राय प्रकट करते हैं.
राज्य मंत्री (State Ministers)
उपमंत्री (Deputy Ministers)


राज्य मंत्री और उपमंत्री मंत्रिपरिषद की रोजमर्रा की बैठकों में भाग नहीं लेते. उन्हें मंत्रिपरिषद की बैठक में तभी बुलाया जाता है जब उनके विभाग के कार्यों की जांच पड़ताल की जाती है या सामूहिक कार्य की योजना बनाई जाती है. राज्य मंत्री और उपमंत्री कैबिनेट मंत्री की देख-रेख में कार्य करते हैं.


महत्वपूर्ण मंत्रालय


भारत सरकार के प्रमुख मंत्रालयों के नाम इस प्रकार से हैं – गृह, वित्त, रक्षा, खाद्य और कृषि, शिक्षा, परिवहन और संचार, कानून, रेल, सूचना और ब्राडकास्टिंग आदि. इनमें से प्रत्येक मंत्रालय किसी न किसी मंत्री के अधीन अवश्य ही रहता है.