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राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में बीएसपी किसे सबसे ज्यादा पहुंचाएगी नुकसान, बीजेपी या कांग्रेस?

14 अगस्त को मायावती ने एक ट्वीट करते हुए ऐलान कर दिया कि वह साल 2023 के अंत तक होने वाले इन तीनों राज्यों (राजस्थान, मध प्रदेश और छत्तीसगढ़) में अपने दम पर चुनाव लड़ेगी. 

इस साल के आखिर तक मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. इन तीनों ही राज्यों में अब बीएसपी भी मैदान में उतरने का मन बना चुकी है. दरअसल 14 अगस्त को मायावती ने ऐलान कर दिया कि वह साल 2023 के अंत तक होने वाले इन तीनों राज्यों (राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़) में बीएसपी अपने दम पर चुनाव लड़ेगी. 

मायावती ने 'ट्वीट करते हुए कहा, 'बीएसपी इन तीनों राज्यों में बीजेपी व कांग्रेस सरकारों के खिलाफ जनहित व जनकल्याण के खास मुद्दों को लेकर अकेले अपने बूते पर विधानसभा का यह चुनाव लड़ रही है जिसके लिए उम्मीदवारों के नाम भी स्थानीय स्तर पर घोषित किए जा रहे हैं. पार्टी को भरोसा है कि वह अच्छा रिजल्ट हासिल करेंगी.

बीजेपी- कांग्रेस पर साधा निशाना 

आमतौर पर मध्य प्रदेश की राजनीति से दूर रहने वाली बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने शिवराज सरकार पर भी सवाल उठाए. उन्होंने कहा, 'मध्य प्रदेश सरकार में 50 प्रतिशत कमीशन खोरी के आरोप को लेकर कांग्रेस के बीच जारी आरोप-प्रत्यारोप, मुकदमों आदि की राजनीति से कमरतोड़ महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी, शोषण-अत्याचार आदि जनहित से जुड़े ज्वलन्त मुद्दों का चुनाव के समय पीछे छूट जाना कितना उचित? ऐसा क्यों?

मायावती ने मध्य प्रदेश के अलावा राजस्थान और छत्तीसगढ़ की सरकारों को भी आड़े हाथों लिया. ऐसे में सवाल उठता है कि अगर मायावती ने इन तीनों राज्यों में मैदान में उतरती हैं तो बीजेपी या कांग्रेस में से सबसे ज्यादा नुकसान किसे पहुंचाएगी? 

इन तीनों राज्यों में बसपा का चुनावी गणित

राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़, इन तीनों ही राज्यों में मायावती की पार्टी का प्रदर्शन औसत ही रहा है लेकिन खराब भी नहीं कहा जा सकता. इन तीनों ही राज्यों के चुनावी गणित पर एक नजर डाल लेते हैं. 

1. मध्य प्रदेश: साल 1993 और साल 1998 में मध्य प्रदेश में 11-11   विधानसभा सीटों पर पकड़ रखने वाली मायावती की मौजूदा दौर में सिर्फ दो ही सीटें बची हैं. 

2. छत्तीसगढ़: इस राज्य में 90 सीटों विधानसभा में मायावती की पार्टी के पास सिर्फ एक सीट है. 

3. राजस्थान: राजस्थान में साल 1990 से ही किस्मत आजमा रही बसपा ने 2018 के विधानसभा चुनाव में 6 सीटें जीती थीं लेकिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने उन विधायकों को कांग्रेस में विलय करवा लिया. जिसके बाद से फिलहाल इस राज्य में बसपा के पास एक भी सीट नहीं बची है. 

किस राज्य में स्थिति मजबूत, किसके लिए खतरा  

राजस्थान: भले ही राजस्थान में बसपा के पास एक भी सीट नहीं है लेकिन तीनों राज्यों की तुलना में बसपा की स्थिति राजस्थान में ही सबसे मजबूत है. साल 2018 के चुनाव में बसपा यहां किंग मेकर की भूमिका में से थोड़ा पीछे रह गई थी. 

दरअसल साल 2018 में विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 96 सीटें जीतने में कामयाब हो गई थी. लेकिन सत्ता में आने के बाद कांग्रेस को पांच और विधायकों की जरूरत थी. उस वक्त बसपा को लगा कि कांग्रेस उनके साथ गठबंधन कर सत्ता में आने का प्रयास करेगी लेकिन मायावती को बड़ा झटका देते हुए अशोक गहलोत ने बसपा के 6 विधायकों को ही कांग्रेस में शामिल करवा लिया.

पिछले चुनाव में मायावती का वोट बैंक भी काफी अच्छा रहा. जिसे देखते हुए यह कहना गलत नहीं होगा कि अगर मायावती राजस्थान में मैदान में उतरती हैं तो सबसे ज्यादा नुकसान कांग्रेस को ही होने वाला है.  

मध्य प्रदेश: मध्य प्रदेश में बसपा ने गुरुवार को 7 विधानसभाओं के लिए अपने प्रत्याशियों का ऐलान कर दिया. पहली लिस्ट में मायावती ने उत्तर प्रदेश की सीमा से लगी सीटों पर फोकस किया है. बसपा के 7 प्रत्याशियों में से तीन प्रत्याशी ब्राह्मण, एक दलित, एक ठाकुर हैं और बचे हुए दो प्रत्याशी पटेल समुदाय से आते हैं. 

हालांकि इस राज्य में बीएसपी पहले से अच्छा कर पाएगी या लड़ाई दो दलों के बीच ही होगी इस सवाल का जवाब देते हुए वरिष्ठ पत्रकार गिरिजा शंकर ने एबीपी को बताया, 'बहुजन समाज पार्टी ने एक दौर में एमपी में अच्छा प्रदर्शन किया था और ऐसा लगा था कि पार्टी प्रदेश में थर्ड फ्रंट के रूप में उभरेगी. लेकिन उसके बाद बीएसपी का वोटबैंक खिसकता चला गया. संगठन के स्तर पर कोई बहुत मजबूती नजर नहीं आती तो मुझे नहीं लगता कि साल 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव में मायावती की पार्टी कुछ खास कमाल कर पाएगी'. 

गिरिजा शंकर आगे कहते हैं  कि मध्य प्रदेश का जो इतिहास है उसमें बहुजन समाज पार्टी या समाजवादी पार्टी के लिए गुंजाइश बहुत है लेकिन ये पार्टियां कुछ खास  नहीं कर पा रही है. इसलिए लगता है मध्य प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव में मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच ही होगा. 

मध्यप्रदेश में बसपा का प्रभाव क्षेत्र 

वरिष्ठ पत्रकार गिरिजा शंकर कहते हैं बसपा का इस राज्य में प्रभाव ऐसे भी ज्यादा इलाकों में नहीं रहा है. जब पार्टी अच्छा प्रदर्शन करती थी और 10-12 सीटें जीतकर आती थी तब पार्टी का प्रभाव सिर्फ विंध्य और चंबल में ही रह पाता था. बसपा का इन दोनों को छोड़कर किसी और क्षेत्र में प्रभाव नहीं है. 

छत्तीसगढ़: बसपा के चुनावी मैदान में उतरने के छत्तीसगढ़ में किस पार्टी को नुकसान होगा इस सवाल के जवाब में वरिष्ठ पत्रकार राजीव कुमार ने एबीपी से बात करते हुए कहा, ' पिछले विधानसभा चुनाव में बसपा ने जेसीसी का साथ दिया था. बीएसपी का छत्तीसगढ़ के कुछ इलाकों में अच्छा खासा प्रभाव भी रहा है. बीएसपी पिछले विधानसभा चुनाव में 3.9% वोट पाकर दो सीटें जीतने में कामयाब रही थी. 

उससे पहले 2013 में हुए विधानसभा चुनाव में बसपा एक सीट पर जीत के साथ 4.3% और 2008 में दो सीट पर जीत के साथ 6.11% वोट हासिल करने में सफल रही थी. 2003 में भी मायावती की पार्टी को दो सीटों पर जीत मिली थीं और पार्टी का वोट शेयर 4.45% रहा था. ये आंकड़े बताते हैं कि मायावती की पार्टी को छत्तीसगढ़ में 4 से 6 फीसदी के बीच वोट मिलता रहा है.

हालांकि 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव में बसपा, जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के साथ गठजोड़ करेगी इसकी संभावना कम ही है अजीत जोगी और मायावती की पार्टी अलग-अलग चुनाव लड़ती है तो ये बीजेपी के लिए कुछ सीटों पर फायदेमंद साबित हो सकता है और इससे कांग्रेस की मुश्किलें कुछ सीटों पर बढ़ जाएंगी.

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