हरियाणा विधानसभा चुनाव 2019: दूसरी पार्टियों से गठबंधन पर बात नहीं बनने के बाद शिरोमणि अकाली दल ने एक बार फिर से इंडियन नेशनल लोकदल के साथ मिलकर चुनाव लड़ने का फैसला किया है. 2014 का विधानसभा चुनाव भी दोनों पार्टियों ने मिलकर लड़ा था, लेकिन 2016 में एसवाईएल के मुद्दे पर इनेलो और अकाली दल के रास्ते अलग हो गए थे. दुष्यंत चौटाला के अलग पार्टी बनाने के बाद अकाली दल का साथ आना इनेलो के लिए भी राहत की बात है.


2014 में इंडियन नेशनल लोकदल ने 88 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जबकि अकाली दल के हिस्से में दो सीटें आई थीं. 2017 की शुरुआत में एसवाईएल का मुद्दा उठाते हुए अजय चौटाला ने पंजाब विधानसभा का घेराव करने की कोशिश की थी, जिसका शिरोमणि अकाली दल के नेताओं ने विरोध किया था.


इनेलो के लिए भी राहत


हालांकि पिछले 2 साल में दोनों पार्टियों की स्थिति में बहुत बदलाव आ चुका है. दुष्यंत चौटाला ने इनेलो से अलग होकर जेजेपी का गठन कर लिया. 2014 के विधानसभा चुनाव में इंडियन नेशनल लोकदल 24 फीसदी वोट के साथ राज्य में दूसरे नंबर की पार्टी बनी थी. जेजेपी के अलग होने पर इनेलो को लोकसभा चुनाव में सिर्फ दो फीसदी वोट ही मिले. वहीं अकाली दल की ना सिर्फ पंजाब से सरकार जा चुकी है बल्कि हरियाणा में भी पार्टी के एकलौते विधायक बलकौर सिंह चुनाव से ठीक पहले बीजेपी में शामिल हो गए.


अकाली दल पहले 2019 का विधानसभा चुनाव बीजेपी के साथ मिलकर लड़ना चाहती थी. लेकिन विधायक के बीजेपी में शामिल होने के बाद अकाली दल ने ऐसा नहीं करने का फैसला किया. इसके बाद अकाली दल ने दूसरी पार्टियों के साथ गठबंधन करने की भी कोशिश की, पर वहां बात बन नहीं पाई. इनेलो ने अपनी पहली लिस्ट में 64 उम्मीदवारों को टिकट दिया था.


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