नई दिल्ली: चुनावी तारीखों के एलान के बाद जम्मू-कश्मीर अनंतनाग लोकसभा सीट चर्चाओं में आ गई है, वजह सुरक्षा कारणों से तीन चरणों में अनंतनाग संसदीय सीट पर मतदान का फैसला है. देश में संभवत: ऐसा पहली बार होगा जब किसी सीट पर तीन चरणों में मतदान होगा.


अनंतनाग सीट पर तीसरे, चौथे और पांचवे चरण यानि 23 अप्रैल, 29 अप्रैल और 6 मई को वोटिंग होगी. 23 अप्रैल को अनंतनाग सीट पर अनंतनाग जिला में, 29 अप्रैल को कुलगाम जिले में और 6 मई को शोपियां और पुलवामा में वोटिंग होगी.


जम्मू-कश्मीर की कुल छह सीटों पर पांच चरणों में वोट डाले जाएंगे-
पहला चरण, 11 अप्रैल- बारामुला, जम्मू
दूसरा चरण, 18 अप्रैल- श्रीनगर, ऊधमपुर
तीसरा चरण, 23 अप्रैल- अनंतनाग सीट (अनंतनाग जिला)
चौथा चरण, 29 अप्रैल- अनंतनाग सीट (कुलगाम जिला)
पांचवां चरण, 6 मई- अनंतनाग सीट (शोपियाँ और पुलवामा), लद्दाख


दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग को आतंकवाद से सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्रों में से एक माना जाता है, अनंतनाग राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती का गृह क्षेत्र भी है, 2014 में वो यहां से सांसद बनी थी.


जम्मू-कश्मीर में लोकसभा के साथ विधानसभा चुनाव भी कराया जाना था लेकिन सुरक्षा कारणों से टाल दिया गया. विधानसभा चुनाव नहीं कराने के निर्वाचन आयोग के फैसले की राजनीतिक पार्टियों द्वारा आलोचना किए जाने के बीच राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) शालिंदर कुमार ने रविवार को कहा कि चुनाव आयोग के विवेक का सम्मान करना चाहिए क्योंकि राज्य की मौजूदा सुरक्षा स्थिति के चलते यहां साथ में चुनाव कराना संभव नहीं था.


कुमार ने कहा कि 14 फरवरी को पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए हमले जैसी घटनाओं ने प्रशासन को अलर्ट पर रखा हुआ है और सीमावर्ती इलाकों समेत पूरे राज्य में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए सभी जरूरी उपाय किए गए हैं. सीमावर्ती इलाके पाकिस्तान द्वारा संघर्षविराम उल्लंघन किए जाने का सामना कर रहे है.


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कुमार ने कहा कि जो भी निर्णय लिया गया है उसके लिए हमें चुनाव आयोग के विवेक का सम्मान करना चाहिए. फैसला किया जा चुका है और अब क्यों तथा क्या से कुछ नहीं होने वाला है. एक ही चुनाव (लोकसभा चुनाव) की घोषणा की गई है और हमें बहुत स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से एक ही चुनाव कराना चाहिए.


यह पूछे जाने पर कि जब दोनों चुनावों के लिए सुरक्षा की स्थिति ठीक नहीं थी तो चुनाव आयोग लोकसभा चुनाव कैसे कराने जा रहा है, इस पर कुमार ने कहा कि दोनों चुनाव साथ कराने का मतलब है कि आपको उम्मीदवारों के लिए अधिक सुरक्षा की जरूरत होगी.


नेशनल कान्फ्रेंस (एनसी) और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) ने संसदीय चुनावों के साथ विधानसभा चुनाव नहीं होने पर केंद्र की आलोचना की. राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री एवं एनसी के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान, आतंकवादियों और अलगाववादियों के सामने ‘‘आत्मसमर्पण’’ कर दिया है.


पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने कहा, ‘‘जम्मू कश्मीर में केवल लोकसभा चुनाव कराने का फैसला भारत सरकार की कुटिल सोच है.’’ उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘जनता को सरकार नहीं चुनने देना लोकतंत्र के सिद्धांत के खिलाफ है.’'