नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के लापता छात्र नजीब अहमद की मां फातिमा नफीस अपने बेटे को वापस लाने का एक चुनावी वादा सुनने की उम्मीद बांधे हुए हैं. उत्तर प्रदेश के बदायूं की निवासी नफीस ने कहा कि विभिन्न पार्टियों के प्रतिनिधि उनके घर आते हैं लेकिन वे सिर्फ “सहानुभूति” प्रकट करते हैं.
फातिमा नफीस ने कहा, “मुझे सांत्वना प्रकट करने वाले नहीं चाहिए. मैं केवल उन लोगों की तलाश में हूं जो मुझे मेरे बेटे को वापस लाने का आश्वासन दें. हमारे घर आने वाले विभिन्न पार्टियों के प्रतिनिधियों से मैं यही कहती हूं. मैं केवल उसी पार्टी को वोट दूंगी जो मुझे इसका आश्वासन दे.”
जेएनयू में एमएससी प्रथम वर्ष का छात्र नजीब अहमद 2016 में विश्वविद्यालय परिसर में छात्रों के साथ हुई झड़प के बाद से लापता है और उसका अब तक कुछ पता नहीं चल पाया है. केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने लंबी तलाश के बावजूद उसका पता नहीं चलने के बाद पिछले साल अक्टूबर में मामला बंद कर दिया था.
नफीस ने कहा, “मेरे बेटे की गुमशुदगी ने मुझे अल्लाह के साथ जिंदगी पर फिर से बातचीत करने को मजबूर कर दिया तो फिर राजनीतिक दल किसलिए हैं. सीबीआई किसलिए है, खुफिया एजेंसियां किसलिए हैं ? अगर वह मेरे मासूम बच्चे का पता नहीं लगा पाए तो वह देश की सुरक्षा के लिए क्या करेंगे ?’’ उन्होंने कहा ‘‘लोग दिल्ली से मुझे फोन कर कहते हैं कि नजीब गुड़गांव में या हो सकता है नोएडा में छिपा हुआ हो। कुछ अन्य हैं जिन्हें उसकी हत्या किए जाने और अज्ञात स्थान पर दफनाए जाने की आंशका है. प्रत्येक फोन के साथ मैं अगली बस पकड़ती हूं और वहां से निराश होकर लौटती हूं.”
नफीस ने कहा कि उनके पति पेशे से बढ़ई हैं. वह नजीब के लापता होने के बाद से बिस्तर पर हैं और अब उनकी उम्मीद भी टूटती जा रही है. अपने आंसू रोक पाने में नाकाम नफीस कहती हैं, “पानी, बिजली, अन्य सुविधाएं, हर चीज हमारे लिए उतना महत्त्व नहीं रखतीं जितना महत्व मेरा बेटा रखता है। हमें बस नजीब चाहिए.”
नफीस जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार के बिहार के बेगूसराय से नामांकन भरे जाने के दौरान वहां गईं थी. उनके इस कदम की सोशल मीडिया पर काफी आलोचना हुई थी.
फातिमा नफीस ने आगे कहा, “मैं सोशल मीडिया पर नहीं हूं लेकिन मेरे बच्चों ने मुझे इसके बारे में बताया था. मैं वहां कोई राजनीति करने नहीं गयी थी. मैं वहां एक मां के तौर पर गई थी. नजीब के लापता होने के बाद कन्हैया मेरे बेटे की तरह मेरे साथ खड़ा था, अब वक्त है कि मैं उसकी मां की तरह उसके साथ खड़ी रहूं. लेकिन मेरे पास उसे देने के लिए सिर्फ आशीर्वाद है.” बदायूं उत्तर प्रदेश की 80 संसदीय सीटों में से एक है. यहां 23 अप्रैल को चुनाव होने हैं.
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