Kamal Nath Party Switch Suspense: जो शख्स गांधी परिवार के लिए इतना अहम रहा हो, गांधी परिवार का हिस्सा बनकर रहा हो, जब उसके बीजेपी में जाने की चर्चा हुई तो सियासी दुनिया से लेकर देश दंग रह गया. कमलनाथ के बीजेपी में जाने को लेकर सस्पेंस कोई हवा में नहीं था. कमलनाथ और उनके बेटे नकुलनाथ ने बारी-बारी ऐसे संकेत दिए, जिससे कांग्रेस का हाथ छोड़ने और कमल का हाथ थामने वाला सस्पेंस गहरा होता चला गया.


कहा जाता है कि मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद कांग्रेस नेतृत्व ने बिना कमलनाथ से सलाह किए जीतू पटवारी को प्रदेश अध्यक्ष बना दिया था. चर्चा ये भी थी कि कमलनाथ राज्यसभा जाना चाहते थे, लेकिन नेतृत्व ने उनको नहीं भेजा. राज्यसभा जाने की हसरत ऐसी थी कि कमलनाथ ने 66 विधायकों को डिनर पार्टी दी थी, क्योंकि वो शक्ति प्रदर्शन करना चाहते थे. डिनर डिप्लोमेसी भी काम ना आई और इसके बाद से ही कमलनाथ और उनके सांसद बेटे के बीजेपी मे जाने की खबरें उड़ने लगीं. हालांकि कांग्रेस के तमाम वरिष्ठ नेता इस बात को खारिज करते रहे. 


कमलनाथ के दिमाग में क्या चल रहा था?
अब सवाल ये है कि क्या कमलनाथ पहले से ही कांग्रेस छोडने की प्लानिंग कर रहे थे या फिर उनके दिमाग में कुछ और चल रहा था? आखिर कमलनाथ को लेकर इतनी चर्चा क्यों है? वो बीजेपी में जाते तो कितना फायदा पहुंचाते और उनको बीजेपी से क्या मिलता? 


छिंदवाड़ा मतलब कमलनाथ
कमलनाथ को कांग्रेस का अपराजेय योद्धा कहा जाता है. उनको ये उपमा इसलिए मिली है, क्योंकि सिर्फ एक उपचुनाव को अगर छोड़ दें तो कांग्रेस कभी भी छिंदवाड़ा में हारी नहीं है, लेकिन सच्चाई ये है कि इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी के दोस्त बनने के बाद ही उनकी सियासी पारी शुरू हुई थी.


संजय गांधी के लिए कर ली जज से लड़ाई
कमलनाथ का जन्म उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर में हुआ था. पढ़ाई के लिए कमलनाथ देहरादून के दून स्कूल चले गए. दून स्कूल में ही कमलनाथ और संजय गांधी के बीच दोस्ती हुई थी. संजय गांधी से कमलनाथ की दोस्ती ऐसी थी संजय गांधी के लिए कमलनाथ जेल तक चले गए थे. बताया जाता है कि इमरजेंसी के बाद जब 1979 में जनता पार्टी की सरकार बनी तो संजय गांधी को जेल भेज दिया गया था. संजय गांधी को एक मामले में गिरफ्तार किया गया. संजय गांधी का साथ देने के लिए कमलनाथ ने जज से लड़ाई कर ली थी और ऐसा करके संजय के साथ जेल चले गए थे.


इंदिरा गांधी के दो हाथ- संजय गांधी और कमलनाथ
कमलनाथ कांग्रेस के वो नेता हैं, जिसने गांधी परिवार की तीन पीढ़ियों के साथ काम किया है. इंदिरा गांधी के वक्त एक दौर ऐसा था कि नारा लगता था इंदिरा गांधी के दो हाथ- संजय गांधी और कमलनाथ. उस वक्त कमलनाथ का कद कांग्रेस में कितना बड़ा था उसे इस बात से समझिए कि 1980 में कमलनाथ को छिंदवाड़ा से गार्गी शंकर मिश्रा की जगह टिकट दिया गया था, जबकि गार्गी उन नेताओं में थे जो कांग्रेस के लिए बेहद मुश्किल. 1977 के चुनाव में भी जीतकर आए थे. 1977 में जनता पार्टी की लहर ऐसी थी कि इंदिरा गांधी भी चुनाव हार गई. जब इंदिरा गांधी कमलनाथ के पहले चुनाव में प्रचार के लिए छिंदवाड़ा गईं तो उन्होंने जनता से कहा कि उनके तीसरे बेटे कमलनाथ को चुनाव जिताएं


कमलनाथ के बारे में इंदिरा को क्या पसंद था
कमलनाथ के बारे में कहा जाता है कि वो योजना बद्ध तरीके से काम करते हैं बारीक से बारीक ब्योरे में जाते हैं और उनकी यही बात इंदिरा और संजय गांधी को बेहद पसंद आई थी. कहते हैं कि उस दौर के राजनीतिक तिकड़मों में कमलनाथ का अहम योगदान था. साल 1977 में जब इंदिरा गांधी चुनाव हार गई थी और मोरारजी देसाई पीएम बने थे तब उनके करीबी रहे राजनारायण ने बगावत कर दी थी. बताया जाता है कि इस बगावत की रणनीति बनाने में कमलनाथ का बड़ा योगदान था. जिस कार में राजनारायण के साथ संजय गांधी मीटिंग करते उस कार को कमलनाथ ड्राइव किया करते थे. 


बीजेपी में जाने की चर्चा क्यों हुई?
अब सवाल ये है कि जिस कांग्रेस पार्टी ने कमलनाथ को इतना कुछ दिया, जिस कांग्रेस पार्टी की रीढ़ की तरह कमलनाथ ने काम किया उनके बीजेपी के पाले में जाने की चर्चा क्यों हुई? बारीक ब्योरे में जाने वाले कमलनाथ के हिसाब में वो क्या था, जो उन्होंने कांग्रेस के साथ रहने में नुकसान गिनवा रहा था. मध्य प्रदेश चुनाव के नतीजों ने साफ बता दिया कि देश में मोदी की प्रचंड लहर है. 2023 का चुनाव कांग्रेस ने कमलनाथ के चेहरे पर लड़ा, लेकिन कांग्रेस हार गई. बीजेपी किसी भी कीमत पर छिंदवाड़ा की सीट कांग्रेस से छीनना चाहती है. 


कमलनाथ को सता रहा ये डर- कहीं न हो जाए पैकअप
कमलनाथ राजनीति के बेहद मंझे हुए खिलाड़ी हैं. कमलनाथ जानते हैं कि अगर उनके बेटे नकुलनाथ चुनाव हारते हैं तो पॉलिटकल पैकअप हो जाएगा. कमलनाथ ऐसा बिल्कुल नहीं चाहते. कमलनाथ बेटे का सियासी भविष्य सिक्योर करना चाहते हैं. हालांकि कमलनाथ के सस्पेंस वाले इस पूरे एपिसोड के बीच सोमवार को उन्होंने एबीपी न्यूज से कहा कि वो बीजेपी में नहीं जा रहे हैं... लेकिन ये सस्पेंस का द एंड नहीं है. बहुत मुमकिन है कि कमलनाथ इस पूरी चर्चा को ठंडा करना चाहते हैं. ऐसा करने के पीछे भी दो वजहे हैं. पहली वजह-  बीजेपी का एक बड़ा तबका ये बिल्कुल नहीं चाहता है कि कमलनाथ पाला बदलें और इसीलिए उन पर लगे दाग गिनाए जा रहे हैं. दूसरी वजह- बीजेपी के साथ हो रही कमलनाथ की डील फंस गई है.


रास्ते पूरी तरह से नहीं हुए बंद
फिलहाल मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव के सामने जब कमलनाथ का सवाल आया तो उन्होंने हाथ जोड़कर ये बता दिया कि अभी रास्ते पूरी तरह बंद नहीं हुए हैं. चाहते तो मोहन यादव बहुत कुछ कह सकते थे. बहुत मुमकिन है जब लोकसभा चुनाव के लिए टिकट बंटवारे पर आखिरी फैसला हो रहा हो तो बेटे नकुल या फिर उनकी पत्नी को बीजेपी में शामिल करवा दिया जाए. कमलनाथ कांग्रेस के साथ ही रह जाएं. भारतीय राजनीति में ऐसे कई उदाहरण मौजूद हैं, जब पिता किसी और पार्टी में है और बेटा किसी और पार्टी में.


यह भी पढ़ें- अखिलेश ने लिस्ट जारी कर दिया कांग्रेस को मैसेज! जयराम रमेश बोले- सीट शेयरिंग को लेकर चल रही बात, माहौल पॉजिटिव