कानपुर: सपा-बसपा गठबंधन होने के बाद कानपुर और अकबरपुर लोकसभा सीट का मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है. दोनों ही लोकसभा सीटों पर गठबंधन कैंडिडेट कांग्रेस और बीजेपी को कड़ी टक्कर दे रहे हैं. सपा-बसपा गठबंधन की नजर ओबीसी, अनुसूचित जाति और मुस्लिम वोटरों पर है. एससी वोटरों को साधने के लिए सपा और बसपा के नेताओं ने बसपा सुप्रीमो मायावती से रैली करने की मांग की थी. गठबंधन के पक्ष में बहन जी एक रैली पूरा माहौल बदल सकती है. मायावती की रैली से एससी वोटर गठबंधन के साथ खड़ा हो जायेगा. सपा-बसपा गठबंधन कानपुर और अकबरपुर लोकसभा सीट का इतिहास बदलने में सक्षम है. गठबंधन की ताकत का अहसास कांग्रेस और बीजेपी के कैंडिडेट भी महसूस कर रहे हैं.
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बसपा सुप्रीमो मायावती कानपुर के रमईपुर में 24 अप्रैल को विशाल रैली करने वाली हैं. इस रैली में सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव भी मौजूद रहेंगे. इसके साथ ही बसपा और सपा के लगभग सभी नेता एक ही मंच पर नजर आएंगे. सपा-बसपा कार्यकर्ताओं ने इसकी तैयारियां भी शुरू कर दी हैं. इस रैली को सफल बनाने के लिए सपा और बसपा के कानपुर और कानपुर देहात के कार्यकर्ताओं को पूरी ताकत के साथ आने को कहा गया है.
बसपा महानगर अध्यक्ष सुरेन्द्र कुशवाहा ने बताया कि गठबंधन की तरफ से कानपुर में बहन जी से एक रैली करने की मांग की गई थी. कानपुर और अकबरपुर लोकसभा के सपा और बसपा के पदाधिकारियों ने प्रस्ताव भेजा था. बहन जी ने इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है और 24 अप्रैल को रैली करने का समय दिया है. बहन जी की रैली रमईपुर में रखी गई है यह ऐसा क्षेत्र है जहां से अकबरपुर और कानपुर लोकसभा क्षेत्र को आसानी से कवर किया जा सकता है. सपा और बसपा के कार्यकर्ता मिलकर इस रैली को सफल बनाने की योजना तैयार कर रहे हैं.
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इसके साथ ही सपा-बसपा कार्यकर्ताओं ने अखिलेश यादव से भी अकबरपुर और कानपुर लोकसभा सीटों पर जनसभा करने की अपील की है. दरअसल अखिलेश यादव की जनसभाओं से ओबीसी वोटर और मुस्लिम वोटर प्रभावित होगें. इसके साथ ही दोनों लोकसभा सीटों पर मुस्लिम समाज की बड़ी संख्या का वोट सपा को जाता है. वहीं प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया से निपटने के लिए सपा-बसपा ने योजना बनाई है कि मुलायम सिंह यादव की भी एक विशाल रैली कराई जाए. जिससे ओबीसी और दलित वोटर प्रसपा की तरफ नहीं जाए. सपा-बसपा गठबंधन के लिए जब मुलायम सिंह रैली करेंगे तो यादव समेत ओबीसी और मुस्लिम वोटर प्रसपा की तरफ नहीं भटकेगा.
सपा ने कानपुर लोकसभा सीट ओबीसी कार्ड खेला है. इसके बाद कानपुर लोकसभा सीट का मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है. कानपुर ब्राहमण बाहुल्य क्षेत्र है बीते 29 वर्षो से कानपुर में सामान्य जाति के नेता ही सांसद बन रहे हैं. कांग्रेस और बीजेपी दोनों बड़े राजनीतिक दल जनरल कैटेगरी के प्रत्याशियों को मैदान में उतार रहे हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के कैंडिडेट श्रीप्रकाश जायसवाल वैश्य समाज से आते हैं. वहीं बीजेपी के सत्यदेव पचौरी ब्राहमण हैं. प्रसपा ने भी राजीव मिश्रा को प्रत्याशी बनाया है. वहीं सपा-बसपा गठबंधन होने के बाद सपा ने इस चुनाव में रामकुमार निषाद को कैंडिडेट बनाकर ओबीसी कार्ड खेला है. दरअसल सपा-बसपा गठबंधन होने के बाद कानपुर लोकसभा सीट सपा के खाते में गई थी.
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अगर कानपुर देहात के अकबरपुर लोकसभा सीट की बात की जाए तो यह सीट बसपा या फिर कांग्रेस के खाते में गई है. बहुजन समाज पार्टी अकबरपुर लोकसभा सीट पर सबसे मजबूत पार्टी बनकर उभरी है. लेकिन 2009 के बाद बसपा अकबरपुर लोकसभा सीट जीत नहीं पाई है. 2014 के लोकसभा चुनाव मोदी लहर में देवेन्द्र सिंह भोले ने जीत हासिल की थी. बसपा के अनिल शुक्ल वरिशी दूसरे स्थान पर रहे थे.
2019 के लोकसभा चुनाव में अकबरपुर लोकसभा सीट पर कांग्रेस से राजाराम पाल, बीजेपी से देवेन्द्र सिंह भोले, बसपा से निशा सचान और प्रसपा से महेंद्र सिंह यादव मैदान में हैं. अगर आकड़ों की बात की जाए तो अकबरपुर लोकसभा सीट पर सपा-बसपा गठबंधन सबसे मजबूत दिखाई दे रहा है. अकबरपुर लोकसभा कुर्मी बहुल क्षेत्र है इसके साथ ही ओबीसी, सामान्य और अनुसूचित जाति के वोटरों की संख्या सबसे अधिक है.
2014 कानपुर लोकसभा सीट की तस्वीर
2014 के लोकसभा चुनाव में डॉ मुरली मनोहर जोशी ने तीन बार सांसद व पूर्व केंद्रीय कोयलामंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल को 2,22,946 वोटो से हराया था. डॉ मुरली मनोहर जोशी को 4,74,712 वोट मिले थे और पूर्व कांग्रेस के श्रीप्रकाश जायसवाल को 2,51,766 वोट हासिल हुए थे. बीजेपी ने हाई कमान ने डॉ जोशी का टिकट काटते हुए सत्यदेव पचौरी को कैंडिडेट बनाया है.
2014 अकबरपुर लोकसभा सीट की तस्वीर
2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के देवेंद्र सिंह भोले ने कांग्रेस सांसद राजाराम पाल को बड़े अंतराल से हराया था. 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के देवेंद्र सिंह भोले को 4,81,584 वोट मिले थे. दूसरे नंबर पर बीएसपी के अनिल शुक्ल वारसी थे जिन्हें 2,02,587 वोट मिले थे. तीसरे नंबर पर सपा के लाल सिंह तोमर को 147002 वोट मिले थे. चौथे नंबर पर कांग्रेस के राजाराम पाल रहे थे जिन्हें 96,827 वोट मिले थे.