नई दिल्ली: कर्नाटक विधानसभा चुनाव की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही है, कांग्रेस और बीजेपी के तेवर और बढ़ते जा रहे हैं. चुनावी अभियान में दोनों दलों की स्ट्रेटजी लगभग एक ही जैसी है, यानि जनता के बीच भावनात्मक मुद्दों के साथ विकास के एजेंडे को पेश करना. बीजेपी अपनी रैलियों में कांग्रेस को टीपू सुल्तान का जिक्र करते हुए हिंदू विरोधी बता रही है. वहीं कांग्रेस बीजेपी को दलित, लिंगायत, सांप्रदायिकता के मसले पर कठघरे में खड़ी कर रही है.
अगले कुछ दिनों में बीजेपी और कांग्रेस और आक्रमक दिखेगी. जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद कर्नाटक में ताबड़तोड़ रैलियां करेंगे. पीएम मोदी ने चुनाव के ऐलान के बाद अभी तक रैलियां नहीं की है. हालांकि बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह कद्दावर मंत्रियों के साथ राज्य में डेरा डाले हैं. वहीं कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी लगातार कर्नाटक का दौरा कर रहे हैं. इस दौरान राहुल चुनावी रैलियों के साथ मंदिर, मठ और मजार का दौरा करना नहीं भूलते.
कांग्रेस ने बीजेपी के 'हिंदुत्व' कार्ड से मुकाबले के लिए सभी धार्मिक स्थलों के दौरे की योजना बनाई है. हालांकि 'सॉफ्ट हिंदुत्व' पर ज्यादा फोकस कर रही है. इस फॉर्मूले ने गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को काफी फायदा पहुंचाया. कांग्रेस का मानना है कि बीजेपी कांग्रेस को मुस्लिमों की पार्टी बताने में सफल रही है. जिसका लोकसभा और कई विधानसभा चुनावों में भारी नुकसान हुआ. अब कांग्रेस इस छवि से निकलने के लिए जद्दोजहद कर रही है.
पिछले दिनों एक इंटरव्यू में यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा था, ''बीजेपी ने यह प्रचारित किया कि कांग्रेस मुस्लिम पार्टी है. लेकिन मैं कहना चाहूंगी कि कांग्रेस में बहुसंख्यक नेता हिन्दू हैं. पार्टी में मुस्लिम भी हैं, लेकिन कांग्रेस को मुस्लिम पार्टी कहना मेरी समझ से परे है.'' हालांकि मुस्लिम वोट बैंक न खिसके इसके लिए भी कांग्रेस ने कर्नाटक चुनाव के लिए अलग स्ट्रेटजी अपनाई है.
कर्नाटक में मुस्लिम की संख्या कुल आबादी के 16 प्रतिशत है और राज्य की कुल 224 सीटों में से करीब 60 पर इनका खासा प्रभाव माना जाता है. यही वजह है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने 7 अप्रैल को बाबा हैदर वली दरगाह में इबादत किया था. कर्नाटक में इससे पहले भी राहुल दरगाह का दौरा कर चुके हैं. हालांकि पार्टी धार्मिक स्थलों के दौरों को सिर्फ आस्था से जोड़ती रही है. पार्टी का कहना है कि इसे राजनीति से नहीं जोड़ना चाहिए.
राहुल गुजरात चुनाव की तरह की कर्नाटक में भी अपने दौरे के दौरान मंदिर का दर्शन करना नहीं भूलते. वह हिंदुओं के बीच प्रसिद्ध 12वीं सदी में बने देवी चामुंडेश्वरी मंदिर, चिकमंगलूर जिले के श्रृंगेरी में शारदाअंबा मंदिर में पूजा अर्चना कर चुके हैं. राहुल कभी धोती पहने, कभी 'जनेऊ' तो कभी टीका लगाए नजर आ जाते हैं.
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी लगातार लिंगायत मठ का भी दौरा कर रहे हैं. लिंगायत समुदाय की कर्नाटक विधानसभा चुनाव में निर्णायक भूमिका रही है. राज्य में लिंगायत समुदाय की आबादी 17 प्रतिशत है. हाल ही में कांग्रेस की नेतृत्व वाली सिद्धारमैया सरकार ने लिंगायत को हिंदू से अलग धर्म का दर्जा दिये जाने का फैसला किया था. इस संबंध में अपनी सिफारिश केंद्र की मोदी सरकार को भेजी है. इसका फायदा कांग्रेस को भी मिलता दिख रहा है. कर्नाटक चुनाव में 220 लिंगायत मठों ने कांग्रेस को समर्थन देने का एलान किया है. वहीं बीजेपी ने लिंगायत को अलग धर्म का दर्जा दिये जाने के फैसले को हिंदू धर्म को बांटने वाला बताया है.
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह भी लगातार मठों का दौरा कर रहे हैं. बीजेपी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार बीएस बीएस येदियुरप्पा लिंगायत समुदाय से ताल्लुक रखते हैं. अब तक के चुनावों में लिंगायत को बीजेपी का वोटर माना जाता था.