Karnataka Elections 2023: दक्षिणी राज्य कर्नाटक में कुछ महीने के भीतर विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. राज्य में सत्ताधारी बीजेपी एक बार फिर से वापसी की कोशिश कर रही है तो कांग्रेस और जेडीएस सत्ता तक पहुंचने के लिए दम लगा रहे हैं. खास बात ये है कि हिंदूवादी पार्टी की छवि रखने वाली बीजेपी कर्नाटक में मुसलमानों को रिझाने की कोशिश कर रही है. बीजेपी इसके लिए रणनीतिपूर्वक काम कर रही है. 


कर्नाटक में मुस्लिमों तक पहुंचने की बीजेपी की वजह भी है. कर्नाटक में हिंदू राजनीति के साथ ही समुदायों की राजनीति महत्वपूर्ण है. राज्य की सत्ता तक पहुंचाने में प्रमुख भूमिका रखने वाला लिंगायत समाज बीजेपी के साथ है तो वोक्कालिगा का समर्थन जेडीएस के पास है. फिलहाल येदियुरप्पा को हटाने के बाद लिंगायत समुदाय की बीजेपी से कुछ नाराजगी बताई जा रही है.


कौन हैं पसमांदा मुस्लिम?
भारत में मुसलमानों को मोटे तौर पर तीन सामाजिक समूहों में वर्गीकृत किया गया है- सैयद-अशराफ (धार्मिक नेता और अभिजात वर्ग), अजलाफ (पिछड़े मुसलमान), और अरजाल (दलित मुसलमान). अजलाफ और अरजाल को सामूहिक रूप से पसमांदा मुस्लिम के रूप में जाना जाता है. यह एक फारसी शब्द जिसका अर्थ है 'पीछे छूटे हुए' या उत्पीड़ित. इस शब्द का उपयोग मुसलमानों के बीच सामाजिक और आर्थिक रूप से वंचित वर्गों के लिए किया जाता है. उत्तर प्रदेश (3.5 करोड़) और बिहार (1.5 करोड़) में पसमांदा मुसलमानों की महत्वपूर्ण आबादी है.


बीजेपी कर रही ये काम
चुनाव से पहले कर्नाटक के मुसलमानों तक पहुंचने की कोशिश शुरू हो चुकी है. इसी के तहत भाजपा के राज्यसभा सांसद लहर सिंह सिरोया ने जनवरी में कर्नाटक के अमीर-ए-शरीयत मौलाना सगीर अहमद खान रश्दी से मुलाकात की और एक सद्भावना भोज का आयोजन किया. इसमें प्रमुख मुसलमानों ने भाग लिया था. जनवरी और इससे पहले नवंबर 2022 में, लहर सिंह सिरोया ने शिवाजीनगर और चामराजपेट विधानसभा क्षेत्रों में स्वास्थ्य शिविर आयोजित किए, जहां मुस्लिम मतदाता अच्छी संख्या में हैं. 


राज्य में बीजेपी के दूसरे नेता भी इसमें जुटे हैं. चिकपेट से भाजपा विधायक, उदय बी गरुडाचर ने चामराजपेट में हजरत सैयद सफदर अली शाह कादरी दरगाह का दौरा किया और एक चादर रखी. चिकपेट में अल्पसंख्यक वोटरों की अच्छी संख्या है. गरुडाचर ने इस बात से इनकार किया कि यह मुसलमानों को खुश करने के लिए था. साथ ही ये भी कहा कि वे अब अजमेर में ख्वाजा गरीब नवाज दरगाह जाने की योजना बना रहे हैं. 


वोट हथियाने  की रणनीति
राज्यसभा के पूर्व उपसभापति और कांग्रेस नेता के रहमान खान इसे मोदी सरकार की वोट हथियाने की चाल के रूप में देखते हैं. एक न्यूज पोर्टल से बात करते हुए उन्होंने कहा कि मोदी पर मुस्लिमों में फूट डालने का आरोप लगाया. कहा कि अधिकांश मुसलमान आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछड़े हैं. 


फिलहाल भाजपा के लिए सबसे बड़ी मुश्किल मुसलमानों के अंदर बैठे उस नैरेटिव को तोड़ना है जिसके तहत उस पर मुस्लिम विरोधी पार्टी का टैग लग गया है. हालांकि, बीजेपी में कई बड़े नेता ऊंचे पदों तक पहुंचे, लेकिन ये संख्या काफी कम है.


कर्नाटक बीजेपी में मुस्लिम
गुजरात की तरह ही, कर्नाटक में भी भाजपा ने कभी विधानसभा चुनावों में मुसलमानों को टिकट देने पर विचार नहीं किया. हालांकि, पार्टी ने दिवंगत मुमताज अली खान और पूर्व पुलिस अधिकारी अब्दुल अजीम को विधान परिषद में मनोनीत किया था. भाजपा सूत्रों की मानें तो आगामी चुनाव के लिए मुस्लिम उम्मीदवारों की दिलचस्पी बढ़ी है.


कर्नाटक विधानसभा में मुसलमान
कर्नाटक विधानसभा में मुस्लिम विधायकों का प्रधिनिधित्व लगातार कम होता गया है. 1978 में सबसे ज्यादा 17 मुस्लिम विधायक थे जो 1983 में घटकर दो हो गए थे. वर्तमान में 7 विधायक हैं. ये सभी कांग्रेस के हैं.


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