Karnataka assembly Election 2023 : सुलिया विधानसभा सीट पर कांग्रेस पर मंडरा रहा है बगावत का खतरा, जानिए वजह
Karnataka assembly Election 2023 : कर्नाटक सुलिया विधानसभा सीट पर कांग्रेस के टिकट को लेकर दो फाड़ देखने को मिल रही है. वहीं कांग्रेस हाईकमान ने कृष्णअप्पा का नाम फाइनल किया. जानिए पूरी खबर....
Karnataka assembly Election 2023 : कर्नाटक के विधानसभा चुनाव नजदीक है. ऐसे में बीजेपी, कांग्रेस और जेडीएस के सभी उम्मीदवार चुनावी रण में उतरने को तैयार हैं. इसी बीच कांग्रेस के लिए सुलिया विधानसभा सीट पर चुनौती बड़ी है. कांग्रेस नेता एच.एम नंदकुमार के समर्थको ने 9 अप्रैल को पार्टी के कार्यकर्ताओं का एक जन सम्मेलन आयोजित करने का फैसला किया है. इस सम्मेलन नंदकुमार के समर्थक सुलिया विधानसभा सीट से टिकट की मांग करेंगे.
वहीं प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित सीट सुलिया निर्वाचन क्षेत्र के लिए कृष्णअप्पा का नाम पहले ही फाइनल कर दिया है. सुलिया कांग्रेस प्रखंड अध्यक्ष पी.सी जयराम ने कहां कि कृष्णअप्पा को मैदान में उतारने का फैसला हाईकमान का फैसला है.
कार्यकर्ता बोले नंदकुमार को मिले टिकट
कांग्रेस का एक वर्ग जोकि नंदकुमार के लिए टिकट की मांग कर रहा है. उनको जयराम ने कहा कि पार्टी आलाकमान इस मुद्दे पर समाधान ढूंढेगी. सुलिया कांग्रेस प्रखंड अध्यक्ष पी.सी जयराम ने कहा कि पार्टी के पास उम्मीदवारों को तय करने का अधिकार है. मझे यकीन है कि पार्टी आप लोगों के बीच चल रहे इस भ्रम को दूर करेगी.
कांग्रेस नेता एच.एम नंदकुमार का समर्थन करने वाले कांग्रेस कार्यकर्ता पहले ही सुलिया और कड़ाबा में दो असहमति सभाएं कर चुके हैं. कार्यकर्ताओं की मांग है कि एच.एम नंदकुमार को चुनाव लड़ने के लिए सुलिया निर्वाचन क्षेत्र से टिकट मिलना चाहिए. इस मांग को लेकर 29 मार्च को कांग्रेस कार्यकर्ताओ ने बड़ी संख्या में जिला कांग्रेस कमेटी कार्यालय के सामने विरोध प्रदर्शन किया था. वहीं नंदकुमार के समर्थकों के एक प्रतिनिधिमंडल ने केपीसीसी अध्यक्ष डीके शिवकुमार, पूर्व मुख्यामंत्री सिद्धारमैया और एआईसीसी के महासचिव से मुलाकात की थी.
हर पांच साल में बदलती है सरकार
कर्नाटक का नाम उन राज्यों में आता है. जहां हर हम पांच साल में सरकारे बदलती हैं. कर्नाटक में यह सत्ता परिवर्तन का रिवाज 1985 से चला आ रहा है. कर्नाटक के चुनावी इतिहास पर नजर डाले तो 1983 और 1985 में लगातार जनता दल की दो बार सरकार बनी इसके बाद कोई भी सत्ताधारी पार्टी दूसरी बार वापसी नही कर पाई.