Karnataka BJP: हाल ही में राज्य मंत्रिमंडल ने अनुसूचित जाति के उप-संप्रदायों के बीच 17% आरक्षण के आंतरिक आरक्षण या पुनर्वर्गीकरण को लागू करने की सिफारिश केंद्र से की थी, जिसके कई महीनों बाद उनके आरक्षण में 2% की बढ़ोतरी की गई थी. बीजेपी को उम्मीद है कि इन दोनों कदमों से उसे आगामी विधानसभा चुनावों में अच्छा फायदा मिलेगा. लम्बानी (बंजारा), भोवी, कोराचा और कोरामा सहित अनुसूचित उप-जातियों के एक वर्ग को बीजेपी का समर्थक माना जाता है. मगर, वर्तमान में बीजेपी में इस कदम से ये वर्ग काफी नाराज है और इसका कड़ा विरोध कर रहा है. जिससे इस चुनाव में बीजेपी का गणित बिगड़ सकता है.


अधिक कोटा पाने के बावजूद विरोध


दिलचस्प बात यह है कि ये चारों समुदाय आंतरिक आरक्षण के मुद्दे की जांच करने वाले जस्टिस सदाशिव आयोग की सिफारिश की तुलना में अधिक कोटा पाने के बावजूद विरोध कर रहे हैं. लम्बानी समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाले एक वरिष्ठ बीजेपी विधायक ने कहा कि आंतरिक आरक्षण के बिना हम 10% तक कोटा पा रहे थे, लेकिन, अब हमारा कोटा केवल 4.5% तक सीमित कर दिया गया है.  


जेडीएस-कांग्रेस सरकार ने की थी आयोग की स्थापना 


समुदाय की शिकायतों को समझने के लिए जस्टिस सदाशिव आयोग की रिपोर्ट महत्वपूर्ण है. दरअसल, एससी और एसटी समूहों के बीच आरक्षण लाभों के वितरण की समीक्षा के लिए साल 2005 में जेडीएस-कांग्रेस सरकार के जरिये आयोग की स्थापना की गई थी. लगभग 96 लाख एससी सदस्यों से जुड़ा एक सर्वे किया गया.


इसके बाद साल 2012 में तत्कालीन सीएम डीवी सदानंद गौड़ा को रिपोर्ट सौंपी गई. रिपोर्ट में कहा गया कि कर्नाटक में आरक्षण और कल्याणकारी योजनाओं का लाभ एससी और एसटी के बीच केवल कुछ समूहों तक पहुंच रहा था और कई अन्य उप परिणामस्वरूप संप्रदाय सबसे बुरी तरह प्रभावित हुए.


बीजेपी ने नहीं किया सदाशिव आयोग की रिपोर्ट का इस्तेमाल 


इसलिए, इसने राज्य में एससी के 101 उप-संप्रदायों को चार श्रेणियों (वामपंथी, दक्षिणपंथी, अन्य एससी और स्पृश्यों) में व्यापक रूप से वर्गीकृत करके आंतरिक आरक्षण प्रदान करने की सिफारिश की. एससी के लिए तत्कालीन 15% आरक्षण के आधार पर इसने वामपंथी के लिए 6%, दक्षिणपंथ के लिए 5%, अन्य एससी के लिए 1% और स्पृश्यों के लिए 3% की सिफारिश की, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कल्याणकारी कार्यक्रमों का लाभ सभी जरूरतमंदों तक पहुंचे. हालांकि, बीजेपी सरकार ने आंतरिक आरक्षण प्रदान करने के लिए सदाशिव आयोग की रिपोर्ट को आधार के रूप में इस्तेमाल नहीं किया.


विपक्षी नेताओं का तर्क


हाल ही में राज्य कैबिनेट ने एससी (लेफ्ट विंग) के लिए 6% आंतरिक कोटा, एससी (राइट विंग) के लिए 5.5%, बंजारा, भोवी, कोरचा, कुरुमा, आदि के लिए 4.5% और अन्य के लिए 1% की वर्तमान आरक्षण के तहत 17% की सिफारिश की है. इसको लेकर विपक्षी नेताओं का तर्क है कि ये सिफारिशें राजनीतिक गणना से उपजी हैं.


उनका कहना है कि अनुसूचित जाति (लेफ्ट विंग) को पारंपरिक कांग्रेस समर्थक और अनुसूचित जाति (राइट विंग) बीजेपी समर्थकों के रूप में माना जाता है. लेकिन, अंतिम मिनट के फैसले ने अछूतों के रूप में उलटा असर डाला है और जिन्होंने पिछले चुनावों में बीजेपी का समर्थन किया था, इस बार वो उनके खिलाफ हो गए हैं.


राज्य के जरिये तैयार होगी पात्र अनुसूचित जातियों की सूची


हालांकि, यह इस बात पर स्पष्ट नहीं होने के बावजूद है कि राज्य सरकार आंतरिक आरक्षण प्रदान करने के लिए अधिकृत है या नहीं. कुछ संवैधानिक विशेषज्ञों के अनुसार, अनुच्छेद 341 (1) के तहत आरक्षण के लिए पात्र अनुसूचित जातियों की सूची राज्य के जरिये तैयार की जाएगी. इसके बाद भारत के राष्ट्रपति के माध्यम से वो अधिसूचित होगी. अनुच्छेद 341 (2) के अनुसार, सूची से किसी भी जाति, भाग या ऐसी जाति के समूह को हटाने व शामिल करने का काम संसद की तरफ से एक कानून के माध्यम से किया जाएगा. हालांकि, किसी भी मौजूदा अनुसूचित जाति आरक्षण के आंतरिक उप-वर्गीकरण पर संविधान मौन है.


वरिष्ठ अधिवक्ता ने कही ये बात


वरिष्ठ अधिवक्ता एन वेंकटेश ने कहा कि इसे लागू करने के केवल दो तरीके हैं. पहला केंद्र सरकार को धारा 341 (3) को सम्मिलित करने के लिए एक संवैधानिक संशोधन की प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए. जो अनुसूचित जाति आरक्षण के पुनर्वर्गीकरण की अनुमति देगी और राज्य विधानसभाओं को इसे लागू करने में सक्षम बनाएगी.


दूसरा सर्वोच्च न्यायालय को सात-न्यायाधीशों की पीठ का गठन करना चाहिए ताकि लंबित मामले में तेजी लाई जा सके. अन्यथा, कर्नाटक सहित किसी भी राज्य विधानमंडल के पास अनुसूचित जाति आरक्षण सूची में उप-वर्गीकरण को लागू करने की विधायी क्षमता नहीं है.


हालांकि, केंद्रीय सामाजिक न्याय मंत्री ए नारायणस्वामी ने कहा कि साल 2020 में सुप्रीम कोर्ट का एक फैसला आंतरिक आरक्षण को लागू करने के लिए राज्य सरकार से पर्याप्त जगह प्रदान करता है.


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