Karnataka Elections: कर्नाटक में चुनाव से पहले राजनीतिक दलों में उथल-पुथल जारी है. राज्य में भले ही बीजेपी, कांग्रेस और जेडीएस का त्रिकोणीय मुकाबला होने वाला हो, लेकिन कर्नाटक की दूसरी सबसे बड़ी विधानसभा सीटों वाले बेलगावी जिले में बीजेपी और कांग्रेस के बीच कड़ी टक्कर होने की उम्मीद है.


वहीं, राज्य में बेंगलुरु शहरी के बाद दूसरी सबसे बड़ी विधानसभा सीट बेलगावी है. यहां लिंगायत राजनीति स्थानीय मुद्दों पर हावी है. इसके अलावा, महाराष्ट्र एकीकरण समिति (एमईएस) कुछ सीटों पर खेल बिगाड़ सकती है, क्योंकि यह सीमा मुद्दे को जिंदा रखना चाहते हैं. बता दें कि सीमावर्ती जिले में 18 विधानसभा क्षेत्र हैं, जो लिंगायतों का गढ़ है और पिछले दो दशकों में बीजेपी का गढ़ रहा है.


अधिकांश सीटों पर बीजेपी-कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला
पिछले तीन चुनावों की तरह, पांच विधानसभा सीटों को छोड़कर अधिकांश विधानसभा सीटों पर बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला होने की संभावना है. एक तरफ शिवसेना-एनसीपी ने एमईएस का समर्थन किया है तो दूसरी तरफ महाराष्ट्र में बेलगावी और अन्य मराठी भाषी क्षेत्रों को शामिल करने के मुखर प्रस्तावक ने स्थानीय उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है.


वहीं, बीजेपी के दिग्गज नेता बीएस येदियुरप्पा के चुनाव से किनारा करने के बाद लिंगायत समुदाय में उनका नेतृत्व शून्य हो गया है. इसके अलावा सुरेश अंगड़ी और उमेश कट्टी जैसे कुछ प्रमुख स्थानीय लिंगायत बीजेपी नेताओं की मौत भी हुई थी. जिसके बाद अनुसूचित जनजाति समुदाय से संबंधित राजनीतिक रूप से प्रभावशाली जारकीहोली परिवार के बढ़ते दबदबे को मतदाताओं के बीच प्रतिध्वनित होने की उम्मीद है.


वोटों में सेंध लगने की संभावना
आगामी विधानसभा चुनाव के लिए टिकट से इनकार करने पर बेलगावी से तीन बार के विधायक और पूर्व डिप्टी सीएम लक्ष्मण सावदी सहित कई असंतुष्ट बीजेपी नेताओं के पार्टी छोड़ने यहां कुछ वोटों में सेंध लगने की संभावना है. उधर, बेलागवी में सीमा के मुद्दे को जीवित रखने के लिए एमईएस कड़ी मेहनत कर रहा है, जोकि तत्कालीन बॉम्बे प्रेसीडेंसी का हिस्सा था और लगभग 40 प्रतिशत मराठी भाषी आबादी का प्रतिनिधित्व करता था. राज्य में चुनाव को लेकर त्रिकोणीय लड़ाई है. इसमें पांच मराठी भाषी बहुल निर्वाचन क्षेत्र भी हैं, जो राष्ट्रीय दलों के वोटों में सेंध लगा सकते हैं.


बेलगावी जिले के पांच निर्वाचन क्षेत्रों में मराठों का वर्चस्व है, जबकि शेष 13 निर्वाचन क्षेत्रों में से अधिकांश में लिंगायत बहुसंख्यक हैं. जिले में इन समूहों के लिए आरक्षित दो सीटों के साथ-साथ ओबीसी और एससी/एसटी की भी अच्छी खासी आबादी है.


तीन शक्तिशाली राजनीतिक परिवार
बेलगावी जिले में कई निर्वाचित प्रतिनिधि सबसे अमीर हैं. लेकिन, उनमें से तीन राजनीतिक परिवार बहुत शक्तिशाली हैं, जो जारकीहोली, जोलेस और खट्टी है. जारकीहोली परिवार से रमेश जारकीहोली और बालचंद्र जारकीहोली क्रमशः गोकक और अराभवी विधानसभा क्षेत्रों से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. परिवार के एक अन्य सदस्य सतीश जारकीहोली यमकनमर्दी सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं.


जरकीहोली भाई दल बदलने के लिए जाने जाते हैं.  बीजेपी में शामिल होने से पहले रमेश जरकीहोली कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन सरकार में मंत्री थे. वह उन 17 विधायकों में शामिल थे, जिन्होंने कांग्रेस छोड़ दी और 2019 में कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन सरकार को गिराने में बीजेपी की मदद की. जिले में उनके दबदबे को नजरअंदाज करना मुश्किल है. क्योंकि, उन्होंने कांग्रेस से अलग हुए अपने अनुयायियों के लिए बीजेपी का टिकट सुनिश्चित किया है, जिससे पार्टी के पारंपरिक नेता खासकर उनके राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी लक्ष्मण सावदी नाराज हैं.


एक अन्य प्रमुख परिवार जोल्लेस हैं, जिनका प्रतिनिधित्व वर्तमान मुजरई मंत्री शशिकला जोले करती हैं. शशिकला जोले निप्पनी निर्वाचन क्षेत्र से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं. उनके पति अन्ना साहब जोले बेलगावी जिले के चिक्कोडी से बीजेपी के लोकसभा सदस्य हैं.


खट्टी परिवार से इस बार रमेश खट्टी चिक्कोडी-सदलगा विधायक सीट से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. रमेश खट्टी ने साल 2009-2014 से चिक्कोडी संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व भी किया था. रमेश के भतीजे निखिल कट्टी हुक्केरी विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी के टिकट पर मैदान में हैं. निखिल के पिता उमेश खट्टी थे, जिनकी मृत्यु हो चुकी है. उमेश खट्टी आठ बार विधायक और छह बार मंत्री रहे हैं.


बदले के लिए लड़ रहे हैं चुनाव
टिकट न मिलने और बीजेपी से अपमानित होने पर लक्ष्मण सावदी ने पार्टी छोड़ दी थी. जिसके बाद बीजेपी और खासकर रमेश जारकीहोली से अपने अपमान का बदला लेने के लिए वो कांग्रेस के टिकट पर अठानी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. अठानी सीट से बीजेपी उम्मीदवार महेश कुमाथल्ली उनके प्रतिद्वंदी हैं. इसके अलावा, बेलगावी ग्रामीण सीट से बीजेपी के उम्मीदवार रमेश जारकीहोली के कुछ कांग्रेसी नेताओं जैसे लक्ष्मी हेब्बलकर के साथ मतभेद हैं. रमेश पहले कांग्रेस में थे. हालांकि, सावदी और जारकीहोली अलग-अलग निर्वाचन क्षेत्रों से चुनाव लड़ रहे हैं, लेकिन व्यक्तिगत दुश्मनी को दूर करने के लिए एक-दूसरे को हराने की पूरी कोशिश कर रहे हैं.


बीजेपी में शामिल हुए थे कांग्रेस के तीन विधायक
साल 2018 के चुनावों में, बीजेपी ने 10 और कांग्रेस ने 8 सीटें जीतीं थी, जो साल 2019 में दलबदल के बाद बदल गई. कांग्रेस के तीन विधायक रमेश जारकीहोली (गोकक), महेश कुमाथल्ली (अथानी) और श्रीमंत पाटिल (कागवाड़) ने इस्तीफा दिया और बीजेपी में शामिल हो गए थे. बता दें कि बेलगावी जिले की 18 विधानसभा सीटों में 39.01 लाख मतदाता हैं. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, जिनमें से 19,68,928 पुरुष मतदाता हैं, 19,32,576 महिलाएं और 141 अन्य के रूप में पंजीकृत हैं.


ये भी पढ़ें- Karnataka Election 2023: राहुल-प्रियंका के प्रचार से बीजेपी को होगा फायदा, कांग्रेस के सवाल पर बोले सीएम बोम्मई