BJP on Karnataka: चुनाव आयोग ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव के कार्यक्रम की घोषणा कर दी है और सत्ता पाने के लिए राजनैतिक दलों की आपाधापी चरम पर है. सत्तारूढ़ बीजेपी सक्रिय रूप से चालीस साल पुराने भ्रम को तोड़ने की कोशिश कर रही है, जहां किसी भी राजनीतिक दल को दूसरे कार्यकाल के लिए फिर से नहीं चुना गया है. दक्षिण भारत में अपना दबदबा कायम रखने के लिए बीजेपी इतिहास को फिर से लिखने की फिराक में है. वहीं, कांग्रेस 2024 के लोकसभा चुनाव में खुद को मुख्य विपक्षी दल के रूप में स्थापित करने के लिए पार्टी कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने के लिए सत्ता पर काबिज होने के लिए बेताब है.
बीजेपी का लक्ष्य है 150 सीटें जीतना
विधानसभा में पूर्ण बहुमत हासिल करने के लिए बीजेपी का लक्ष्य कम से कम 150 सीटें जीतना है. साल 2018 के रिपीटिशन को बीजेपी रोकना चाहती है, जब उसने पहली बार एकमात्र पार्टी के रूप में चुनाव जीता था. लेकिन, सरकार बनाने में असमर्थ रही थी. उस समय कांग्रेस और जेडी (एस) ने सत्ता बनाए रखने के लिए गठबंधन किया था. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या एचडी देवेगौड़ा के नेतृत्व वाली जेडी (एस) एक 'किंगमेकर' के रूप में कार्य करेगी या फिर किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिलने पर सरकार के गठन को प्रभावित करेगी? बता दें कि साल 1985 से लगातार दो बार कर्नाटक विधानसभा चुनाव कोई भी राजनीतिक दल नहीं जीत सका है. आखिरी बार एक पार्टी ने 1985 में फिर से जीत हासिल की थी, जब रामकृष्ण हेगड़े के नेतृत्व में जेडी (एस) दूसरे कार्यकाल के लिए सत्ता में लौटी थी.
अन्य राजनीतिक दल भी आजमा रहे किस्मत
कांग्रेस और जेडी (एस) ने क्रमशः 124 और 93 सीटों के लिए प्रत्याशियों की पहली लिस्ट सार्वजनिक रूप से जारी कर दी है. हालांकि, राज्य के राजनीतिक क्षेत्र में प्रमुख खिलाड़ी बीजेपी, कांग्रेस और जेडी (एस) ही हैं. लेकिन, कई अन्य राजनीतिक दल भी कर्नाटक में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. इसी क्रम मे आम आदमी पार्टी (AAP) राज्य में पैर जमाने की कोशिश कर रही है. इसके अलावा, जनार्दन रेड्डी की कल्याण राज्य प्रगति पार्टी (KRPP), बहुजन समाज पार्टी (BSP), सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (SDPI) और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) जैसी अन्य छोटी पार्टियां चयनित सीटों पर चुनाव लड़ेंगी.
पूरे राज्य में कांग्रेस के वोट
वीरशैव-लिंगायत समुदाय के सदस्यों की उपस्थिति के कारण उत्तरी और मध्य क्षेत्रों में बीजेपी का वोट बैंक दिखाई देता है, जबकि कांग्रेस के वोट पूरे राज्य में समान रूप से बंटे हुए हैं. इसमें लिंगायत 17%, ओक्कालिगा 15%, अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) 35%, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति 18%, मुस्लिम 12.92%, और ब्राह्मण 3% कर्नाटक की कुल आबादी का हिस्सा हैं. इस बीच, हाल ही में घूसखोरी के मामले में विधायक मदल विरुपाक्षप्पा और उनके बेटे की गिरफ्तारी से बीजेपी को झटका लगा है. वहीं, कांग्रेस और जेडी (एस) ने सत्ताधारी बीजेपी पर हमला करने और इसे अपने प्रचार अभियान में तुरुप के पत्ते के रूप में इस्तेमाल करने के लिए इस मौके का फायदा उठाया है.