Karnataka Election 2023: कर्नाटक में राजनीतिक दलों में घमासान, नाराज नेताओं से किसे फायदा और किसे नुकसान
Karnataka Elections: वरिष्ठ नेता सीआर केशवन कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए. बीजेपी से टिकट न मिलने पर कर्नाटक के पूर्व सीएम जगदीश शेट्टार पार्टी से इस्तीफा देकर कांग्रेस में शामिल हो गए.
Karnataka Elections: कर्नाटक की राजनीति में चुनाव से पहले घमासान मचा हुआ है. राजनीतिक दलों के बड़े नेता दल बदलने में जुटे हुए हैं. कर्नाटक की सत्ता दोबारा पाने की इच्छा लिए बीजेपी को भी उस समय सफलता मिली थी, जब वरिष्ठ नेता सीआर केशवन कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए. वहीं, बीजेपी से टिकट न मिलने पर कर्नाटक के पूर्व सीएम और लिंगायत के बड़े नेता जगदीश शेट्टार पार्टी से इस्तीफा देकर कांग्रेस में शामिल हो गए. आइए जानते हैं इन दोनों नेताओं के दल बदलने से किसे फायदा और किसे नुकसान होगा?
सीआर केशवन
वरिष्ठ नेता सीआर केशवन ने फरवरी, 2023 में कांग्रेस की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था. बीते दिनों केशवन ने पीएम नरेंद्र मोदी की नीतियों की काफी प्रशंसा की थी. इसके बाद से केशवन के बीजेपी में शामिल होने की अटकलें लगने लगी थीं. इन अटकलों को सच साबित करते हुए सीआर केशवन बीजेपी में शामिल हो गए. जब पीएम मोदी अपने तमिलनाडु के दौरे पर थे तो केशवन ने बीजेपी का झंडा उठा लिया था. बीजेपी में आते ही पार्टी के नेताओं ने कहा था कि तमिलनाडु की राजनीति में केशवन एक सशक्त आवाज होंगे. पिछले कई सालों से दक्षिण भारत में बीजेपी अपनी जमीन बनाने की कोशिश में जुटी है. मगर, कर्नाटक के अलावा किसी भी राज्य में उसे सफलता नहीं मिली है.
साल 2000 में कांग्रेस का हाथ पकड़ने वाले केशवन राहुल गांधी के नेतृत्व वाली ‘भारत जोड़ो यात्रा’ में शामिल नहीं हुए थे. भारत को आजादी दिलवाने की लड़ाई में अंग्रेजों के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करने वाले और देश के पहले गवर्नर जनरल बनने वाले सी राजगोपालाचारी के परपोते सीआर केशवन हैं.
कांग्रेस पार्टी के अंदर चर्चाएं थीं कि सी राजगोपालाचारी की विरासत से आने वाले केशवन को सीधे हाईकमान और दिल्ली में उनके उच्च संपर्कों ने तमिलनाडु की राजनीति में एंट्री दिलाई. इसके बाद, केशवन को श्रीपेरंबदूर स्थित राजीव गांधी नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ यूथ प्रोग्रेस का उपाध्यक्ष बनाया गया और उनको राज्यमंत्री का पद दिया गया.
केशवन का हुआ विरोध
कांग्रेस हाईकमान ने चिदंबरम और इलांगोवन जैसे वरिष्ठ नेताओं पर प्रिफरेंस देते हुए तमिलनाडु कांग्रेस कमिटी के समाजसेवी ट्रस्ट में केशवन को अहम जिम्मेदारी दी. हालांकि, स्थानीय स्तर पर इसको लेकर जबरदस्त विरोध भी किया गया. केशवन पर ट्रस्ट की जिम्मेदारियों को ठीक से नहीं निभाने के आरोप लगे.
साल 2014 में केशवन को कांग्रेस की तरफ से लोकसभा चुनाव लड़ने का प्रस्ताव दिया गया, जिसे उन्होंने मना कर दिया. उसके बाद केशवन ने तमिलनाडु से राज्यसभा टिकट के लिए खूब प्रयास किया. लेकिन, उन्हें कामयाबी नहीं मिली. इसके बाद से ही केशवन ने कांग्रेस में दिलचस्पी लेना कम कर दिया था. एक समय में केशवन को कांग्रेस का युवा चेहरा माना जाता था.
जगदीश शेट्टार
कर्नाटक चुनाव के लिए बीजेपी दो लिस्ट में 224 उम्मीदवारों में से 212 के नामों का ऐलान कर चुकी है. लेकिन, इन दोनों लिस्ट में शेट्टार का नाम नहीं था. इसको लेकर उनकी नाराजगी बीजेपी से थी. बीजेपी के टिकट से वह हुबली धारवाड़ से चुनाव लड़ने का उनका मन था, जो कि कांग्रेस में शामिल होने के बाद पूरा हो गया है. 68 वर्षीय शेट्टार ने दावा किया है कि दो दर्जन से ज्यादा विधानसभा सीटों के नतीजों को वो प्रभावित कर सकते हैं.
साल 2008 से 2009 के बीच शेट्टार कर्नाटक विधानसभा के अध्यक्ष रहे और 2012-2013 तक कर्नाटक के सीएम भी रहे. शेट्टार अब भी हुबली धारवाड़ विधानसभा सीट से विधायक हैं. सत्तारूढ़ बीजेपी सरकार में शेट्टार को 20 अगस्त, 2019 को मध्यम उद्योग के कैबिनेट मिनिस्टर के रूप में शामिल किया गया था.
उस समय, बीएस येदियुरप्पा ने इस्तीफा दिया था, जिसके बाद कैबिनेट में व्यवधान डाला गया था. उस दौरान शेट्टार ने भी ऐलान किया था कि वो भविष्य में किसी भी कैबिनेट का हिस्सा नहीं होंगे. इसका अर्थ ये था कि शेट्टार नाराज हो चुके हैं. वह येदियुरप्पा के भी करीबी माने जाते हैं. शेट्टार संघ के पुराने कार्यकर्ता भी हैं. नॉर्थ कर्नाटक क्षेत्र में उनकी पकड़ काफी मजबूत है. राज्य में येदियुरप्पा के बाद शेट्टार ही दूसरे सबसे बड़े लिंगायत नेता हैं.
लिंगायतों की अहम भूमिका
बताया जाता है कि कर्नाटक राज्य की सत्ता पाने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका लिंगायतों की होती है. शेट्टार की पारिवारिक सीट हुबली-धारवाड़ सेंट्रल है. शेट्टार का जन्म 17 दिसंबर, 1955 को बागलकोट जिले के बादामी तालुके में हुआ था. साल 1994 में ये पहली बार विधानसभा पहुंचे. साल 1996 में इनको बीजेपी का सचिव बनाया गया. साल 2005 में इनको कर्नाटक बीजेपी का अध्यक्ष बनाया गया.
शेट्टार ने अब तक 6 बार चुनाव लड़ा है और उसमें जीत भी हासिल की है. पिछले सभी 6 चुनावों में उनकी जीत का अंतर 25 हजार वोटों से ज्यादा रहा है. इस चुनाव में 7वीं बार लड़ने जा रहे हैं. शेट्टार ने कई सरकारों में तमाम मंत्रालय भी संभाला है. शेट्टार की राजनीतिक जीवन में छवि एकदम बेदाग और स्वच्छ है. लंबे समय तक राज्य की सियासत संभालने के बावजूद उन पर भ्रष्टाचार के एक भी आरोप नहीं लगे हैं.
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