Karnataka Election 2023: कर्नाटक चुनाव के लिए कांग्रेस की तैयारियों का पूरा ब्लू प्रिंट, पांच हफ्तों में 45 रैलियां करेंगे खरगे, राहुल और प्रियंका
Karnataka Assembly Election 2023: कर्नाटक विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस ने तैयारी तेज कर दी है. राज्य में विधानसभा चुनाव 10 मई को एक ही चरण में होगा.
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Karnataka Election 2023: कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस के बड़े नेताओं के तेजी से प्रचार की रणनीति बनाई जा रही है. लोकसभा सदस्यता खत्म होने के बाद राहुल गांधी की पहली रैली रविवार (9 अप्रैल) को उसी कोलार में होगी, जहां 2019 में उनके मोदी सरनेम वाले बयान के कारण उन्हें दो साल की सजा हुई.
सूत्रों के मुताबिक, अगले पांच हफ्तों में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की करीब 45 सभाएं होंगी. कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष खरगे का गृह राज्य है. खरगे अनुसूचित जाति से आते हैं, जिसकी आबादी करीब 20 फीसदी है. ऐसे में शीर्ष नेतृत्व में सबसे ज्यादा सभाएं उन्हीं की होगी. सूत्रों ने बताया कि खरगे करीब 25, राहुल गांधी 10 और प्रियंका गांधी 5 सभाओं को संबोधित करेंगे.
कांग्रेस ने क्या वादे किए हैं?
कर्नाटक को लेकर कांग्रेस पूरी तरह तैयार नजर आ रही है. चुनाव के एलान से पहले ही कांग्रेस 224 में से 124 सीटों पर उम्मीदवारों का एलान कर चुकी है. कांग्रेस ने कई लुभावने वादे भी किए हैं. जैसे, 200 यूनिट बिजली सब्सिडी, गरीब परिवारों की महिलाओं को 2000 रुपये हर महीने, बीपीएल परिवारों को 10 किलो चावल और बेरोजगारों को भत्ता देने का वादा किया है.
कांग्रेस की नजर किस वोट पर है?
इसके अलावा पूरे प्रदेश में "प्रजा ध्वनि यात्रा" पूरी की जा चुकी है. कांग्रेस ने अब तक पूरे राज्य में करीब 275 सभाएं की हैं, जिनमें से 150 बड़ी सभाएं हैं. कांग्रेस कर्नाटक की बीजेपी सरकार को भ्रष्टाचार के मुद्दे पर घेरते हुए 40 प्रतिशत कमिशन सरकार बताती है. कांग्रेस को लगता है कि लोग बोम्मई सरकार से नाराज हैं. माहौल का फायदा उठाने के लिए कांग्रेस ने लुभावने वादे किए हैं. साथ ही जातीय समीकरण भी साधने की कोशिश में है. कांग्रेस की नजर ओबीसी, अनुसूचित जाति और अल्पसंख्यक वोट पर है.
कांग्रेस के सामने क्या चुनौती है?
कांग्रेस ने सीएम चेहरे का एलान नहीं किया है. सबसे बड़ी चुनौती प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को एक साथ रखने की है. प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने अब तक दोनों नेताओं के बीच संतुलन बनाए रखा है. पार्टी के अच्छे होमवर्क का ही नतीजा है कि एबीपी न्यूज के ओपिनियन पोल में उसे बहुमत का आंकड़ा मिल रहा है. प्रदेश सरकार की नाकामियों के साथ ही कांग्रेस अडानी के मुद्दे पर पीएम मोदी को घेरेगी और राहुल गांधी को लेकर सहानुभूति हासिल करने की कोशिश करेगी.
क्या परंपरा रही है?
सत्ता विरोधी माहौल और सरकार बदलने की परंपरा के कारण कर्नाटक को लेकर कांग्रेस आत्मविश्वास में नजर आ रही है. यहां विधानसभा चुनाव कांग्रेस के लिए कई वजहों से बेहद अहम है. यह नए कांग्रेस अध्यक्ष खरगे का गृह राज्य है. हाल में राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता गई है और कुछ समय पहले ही भारत जोड़ो यात्रा के दौरान उन्होंने कर्नाटक में करीब पांच सौ किलोमीटर पदयात्रा की थी. देखना होगा कि खरगे और राहुल का कर्नाटक के वोटरों पर क्या कोई भावनात्मक असर पड़ता है?
दक्षिण भारत में कांग्रेस केरल के बाद केवल कर्नाटक में ही अपने दम पर मुख्य लड़ाई में शामिल है. यहां जीत कर कांग्रेस साल के अंत में हिंदी पट्टी के तीन प्रदेशों में होने वाले चुनाव ज्यादा मजबूती से लड़ पाएगी. साथ ही अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए विपक्षी गठबंधन में अपना दबदबा कायम कर सकेगी.
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