Karnataka Elections: कांग्रेस के बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने के चुनावी वादे से कर्नाटक में सियासी भूचाल आ गया है. इसको लेकर बजरंग दल ने गुरुवार (4 मई) को पूरे कर्नाटक में 'हनुमान चालीसा' पाठ कार्यक्रम आयोजित करने का फैसला किया है.
दरअसल, कांग्रेस ने मंगलवार (2 मई) को जारी घोषणापत्र में कहा था कि वह जाति और धर्म के आधार पर समुदायों के बीच नफरत फैलाने वाले व्यक्तियों और संगठनों के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई करने के लिए प्रतिबद्ध है. अगर उन्हें सरकार बनाने का अवसर मिला तो वे बजरंग दल और पीएफआई जैसी संस्थाओं पर प्रतिबंध लगा देंगे.
क्या था कांग्रेस का मेनिफेस्टो?
कांग्रेस ने घोषणापत्र में कहा था कि हम मानते हैं कि कानून और संविधान पवित्र हैं. बजरंग दल और पीएफआई जैसे व्यक्तियों और संगठनों के जरिये बहुसंख्यक या अल्पसंख्यक समुदायों के बीच शत्रुता या घृणा को बढ़ावा देने वाले अन्य लोगों की तरफ से इसका उल्लंघन नहीं किया जा सकता है. हम ऐसे किसी भी संगठन पर प्रतिबंध लगाने सहित कानून के अनुसार निर्णायक कार्रवाई करेंगे.
हनुमान चालीसा के पाठ का आयोजन
कांग्रेस के घोषणापत्र जारी करने के एक दिन बाद बुधवार (3 मई) को बजरंग दल ने कहा था कि वह राज्य भर में 'हनुमान चालीसा' का पाठ आयोजित करेगा. दक्षिणपंथी संगठन ने एक बयान में कहा कि 'यह ऐसा समय है जब 'धर्म' खतरे में है और एक साथ खड़ा होना ही आगे बढ़ने का एकमात्र तरीका है. हमें अपने मतभेद भुलाकर धर्म की रक्षा के लिए साथ आना चाहिए'. विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) ने भी बजरंग दल के इस आह्वान का समर्थन किया.
पीएम मोदी ने साधा निशाना
कांग्रेस के घोषणापत्र जारी करने वाले दिन ही पीएम नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस की जमकर आलोचना की थी. विजयनगर जिले के होसपेट में अपनी जनसभा के दौरान उन्होंने कहा था कि कांग्रेस ने हनुमान जी को बंद करने का फैसला किया है. शुरू में, उन्होंने प्रभु श्री राम (भगवान राम) को बंद कर दिया और अब वे 'जय बजरंग बली' कहने वालों को बंद करना चाहते हैं'.
बता दें कि हनुमान चालीसा 16वीं शताब्दी के कवि और भगवान राम के भक्त गोस्वामी तुलसीदास द्वारा 'अवधी' में लिखे गए 40 दोहों का एक समूह है, जो उत्तर प्रदेश में मुख्य रूप से बोली जाने वाली हिंदी की बोलियों में से एक है.