Muslim Votes on Karnataka Election: अगले महीने कर्नाटक में विधानसभा चुनाव शुरू होने वाले है. साल 1978 में हुए कर्नाटक विधानसभा चुनाव के बाद ऐसा पहली बार होगा, जिसमें मुस्लिम मतदाता सरकार बनाने में मुख्य भूमिका निभाते नजर आ सकते हैं. कांग्रेस और जेडी (एस) के मुस्लिम नेताओं ने भी मुस्लिम उम्मीदवारों को ज्यादा से ज्यादा टिकट देने को लेकर पार्टी पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है.


मुस्लिम नेताओं का कहना है कि कर्नाटक में करीब 20 से 23 विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं, जिसमें मुस्लिम मतदाताओं की संख्या अधिक है. इन विधानसभा क्षेत्रों में मुस्लिम मतदाताओं की आबादी करीब 13 प्रतिशत है, जो 40 सीटों पर हार और जीत का अंतर तय कर सकते हैं.


वहीं, 19 सीटों पर मुस्लिम मतदाताओं की आबादी 30 प्रतिशत से अधिक है, जो 70 सीटों के नतीजों पर असर डालते हैं. अगर पार्टी इन क्षेत्रों में मुस्लिम मतदाताओं को ज्यादा संख्या में उतारती है तो जातीय समीकरण के चलते परिणाम उनके पक्ष में जा सकते हैं.


पिछले 5 विधानसभा चुनावों में मुस्लिम उम्मीदवारों प्रदर्शन


जातीय समीकरण के आधार पर देखा जाए तो कर्नाटक के इन मुस्लिम उम्मीदवारों की मांगें जायज हैं. मगर, जेडी (एस) और कांग्रेस उनके समीकरण के तर्क को समझकर चुनावी टिकट काट सकती है. खैर, इसका फैसला तो उम्मीदवारों की सूची जारी होने के बाद ही चल पाएगा. आइए समझते हैं कि पिछले 5 विधानसभा चुनावों में कितने मुस्लिम उम्मीदवार जीत कर विधानसभा पहुंचे हैं.


हर चुनाव के आंकड़ों को देखें तो साल 1999 में 12, साल 2004 में 6, साल 2008 में 9, साल 2013 में 11, साल 2018 में 7 मुस्लिम उम्मीदवार विधानसभा पहुंचे हैं. साल 1978 में सबसे अधिक 17 मुस्लिम उम्मीदवार चुनाव जीतने के बाद कर्नाटक विधानसभा पहुंचे थे. अगर पार्टियां इस बार के चुनाव में मुस्लिम नेताओं की बात मानकर अधिक से अधिक मुस्लिम उम्मीदवारों को मैदान में उतारती हैं तो साल 1978 का यह आंकड़ा भी पीछे छूट सकता है. लेकिन, पिछले 5 विधानसभा चुनाव के परिणामों को देखते हुए ये मुश्किल होता दिखाई दे रहा है.


मुस्लिमों का चार प्रतिशत आरक्षण खत्म


कर्नाटक में चुनाव से पहले बसवराज बोम्मई सरकार ने मुस्लिम समुदाय को मिलने वाले चार प्रतिशत आरक्षण को खत्म कर दिया है. मुस्लिम समुदाय को ओबीसी की लिस्ट से हटाने के साथ ही चार प्रतिशत कोटा अब लिंगायत और वोक्कालिगा के हिस्से में चला गया है. मुस्लिमों को अब आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के दस प्रतिशत कोटे में समायोजित किया गया है.


बोम्मई सरकार के इस फैसले के बाद कर्नाटक में अब भी 56 प्रतिशत आरक्षण है. दरअसल, मुस्लिमों का चार प्रतिशत आरक्षण अब दो प्रतिशत लिंगायत और दो प्रतिशत वोक्कालिगा के खाते में आ गया है. इससे अब लिंगायत का आरक्षण 7 प्रतिशत और वोक्कालिगा का 6 प्रतिशत हो गया है, जो कि क्रमशः 5 प्रतिशत और 4 प्रतिशत था. वहीं, मुस्लिमों को ब्राह्मण, वैश्य और जैन समुदाय के साथ 10 प्रतिशत ईडब्ल्यूएस आरक्षण में रखा गया है. हालांकि, अति पिछड़े धार्मिक अल्पसंख्यक दारोजी, छप्परबंद और पिंजरा जैसे मुस्लिम उपसंप्रदाय अभी कैटेगरी-1 की सूची में बने रहेंगे.


बता दें कि कर्नाटक में 224 विधानसभा सीटों के लिए एक चरण में ही चुनाव का आयोजन किया जाएगा. 10 मई को वोटिंग होगी और 13 मई को परिणाम आएंगे. फिलहाल, यहां पर बीजेपी सरकार सत्ता में है, जो दोबारा से वापसी की उम्मीद कर रही है. वहीं, विपक्षी पार्टी भी बीजेपी को हटाकर सत्ता में आने का पूरा प्रयास करने में जुटी है.


ये भी पढ़ें- Karnataka Elections: कर्नाटक की इन 31 विधानसभा सीटों पर है हिंदुत्व का बोलबाला, बीजेपी कर रही इतिहास दोहराने की कोशिश