Karnataka Elections: कर्नाटक चुनाव को लेकर महीनों से मचा हुआ हल्ला अब शांत हो चुका है. वोटिंग होने में एक दिन से भी कम का समय बाकी है. सभी राजनीतिक दलों ने चुनाव के लिए जान लगाकर प्रचार किया. तमाम दिग्गजों ने सत्ता पाने की उम्मीदों को लेकर खून-पसीना एक कर दिया. बात करें कांग्रेस की तो इस बार राज्य में प्रचार अभियान का मोर्चा पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने संभाला. उन्होंने राज्य भर में धुंआधार 35 सभाएं की थी. प्रियंका के अलावा, कांग्रेस नेता राहुल गांधी, पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और तमाम दिग्गज नेताओं ने भी ताबड़तोड़ प्रचार किया. चार साल में पहली बार कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी प्रचार अभियान में हिस्सा लिया था.


ऐसा रहा प्रियंका गांधी का प्रचार कार्यक्रम
कांग्रेस की स्टार प्रचारक प्रियंका गांधी वाड्रा ने राज्य में चुनाव को लेकर जमकर मेहनत की थी. उन्होंने कर्नाटक के कोने-कोने में कुल 35 सभाएं की थी. प्रियंका की इन सभाओं में 12 पब्लिक मीटिंग्स, 12 रोड शो, 8 कॉर्नर मीटिंग्स, 2 महिलाओं के साथ मीटिंग्स और एक कार्यकर्ताओं की बैठक शामिल है. इस चुनावी रण के दौरान उन्होंने बीजेपी के खिलाफ जमकर निशाना साधा था.


भ्रष्टाचार के मुद्दे से क्या फायदा होगा?
राज्य के चुनाव में प्रचार अभियान के दौरान कांग्रेस और प्रियंका गांधी ने भ्रष्टाचार के मुद्दे को प्रमुखता से रखा. मगर, क्या इससे कांग्रेस को फायदा होगा? इसके बारे में चुनावी राजनीति के अहम जानकार ने अपने जवाब दिए हैं. उनके अनुसार, भ्रष्टाचार भले वोटर्स के जीवन से जुड़ा मामला हो. लेकिन, साल 1989 और साल 2014 के चुनाव को छोड़ दें तो भ्रष्टाचार कोई बड़ा चुनावी मुद्दा नहीं बन पाया है. हालांकि, बीते कुछ समय में 13 में से 12 राज्यों में चुनावी सर्वे किया गया, जिसमें लोगों ने भ्रष्टाचार के मुद्दे को अहम माना. इसके बावजूद भी, 13 में 7 राज्यों में चुनाव बीजेपी ने ही जीता. इससे साबित होता है कि जरूरी नहीं, भ्रष्टाचार के मुद्दे पर ही कांग्रेस को जीत का फायदा मिल पाए.


कांग्रेस को बहुमत की उम्मीद
इस बार के चुनाव में कांग्रेस पूर्ण बहुमत का लक्ष्य लेकर चल रही है. पार्टी ने रणनीति पर पहले से ही अमल करना शुरू किया था. सितंबर महीने से ही कर्नाटक में कांग्रेस पेसीएम (पोस्टर कैंपेन) और 40 परसेंट कमीशन वाली सरकार का कैंपेन चलाना शुरू कर चुकी थी. चुनाव होने से तीन माह पहले प्रियंका गांधी वाड्रा और अन्य दूसरे नेता पांच गारंटी वाले वादे की घोषणा करके जनता के बीच पहुंचने लगे. लोकल बनाम बाहरी के मुद्दे को उठाने पर कांग्रेस ने जोर दिया. इसी के तहत नंदिनी बनाम अमूल दूध का भी मुद्दा उठाया गया. 20 दिन तक कांग्रेस के कई महासचिवों को कमजोर विधानसभा क्षेत्रों में ड्यूटी लगाकर रखा गया, ताकि वहां कि कमियों को जानकर उन्हें दूर किया जा सके.


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