Karnataka Elections: बीजेपी के कर्नाटक प्रभारी अरुण सिंह ने शुक्रवार को कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि उम्मीदवारों की तीसरी सूची जारी करने में कांग्रेस को बहुत समय लग रहा है. उनकी तीसरी सूची नहीं आएगी, बस इंतजार करें और देखें. क्योंकि, पार्टी में नेताओं के बीच 'आंतरिक लड़ाई' चल रही है. वर्तमान कर्नाटक विधानसभा का कार्यकाल 24 मई को समाप्त होगा. 224 सीटों वाली विधानसभा के लिए 10 मई को एक चरण में मतदान होगा और 13 मई को मतगणना की जाएगी.


कांग्रेस तीन धड़ों में बंटी


वह किसे बेहतर दावेदार के रूप में देखते हैं, सिद्धारमैया या डीके शिवकुमार? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि कांग्रेस तीन धड़ों में बंटी हुई है- सिद्धारमैया, डीके शिवकुमार और मल्लिकार्जुन खरगे. चुनावी सीटों की घोषणा होते ही कांग्रेस में घमासान मच जाएगा.


212 सीटों पर 66 नए चेहरों को टिकट


उम्मीदवारों के रूप में नए चेहरों को शामिल करने और पुराने लोगों को छोड़ने के बीजेपी के कदम पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए अरुण सिंह ने कहा कि हर किसी को चुनावी टिकट नहीं मिल सकता. स्वाभाविक रूप से टिकट नहीं मिलने से वे आहत हैं. लेकिन, बीजेपी के सदस्य एक विचारधारा लिए 'राष्ट्र पहले' की भावना के साथ काम करते हैं. पार्टी का हर सदस्य एकजुट होकर काम करता है.


उन्होंने आगे कहा कि बीजेपी ने आगामी विधानसभा चुनावों के लिए अभी तक 212 सीटों पर 66 नए चेहरों को टिकट दिया है. बीजेपी ने नए चेहरे को मौका दिया है, जो लंबे समय तक पार्टी के लिए काम करते हैं. पार्टी में हमारे वरिष्ठ नेता और कार्यकर्ता को भी सम्मान दिया जाता है. चुनाव में वे अच्छा प्रदर्शन करेंगे'.


कोई सत्ता विरोधी लहर नहीं


क्या पार्टी के नए चेहरे बोम्मई सरकार के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर का मुकाबला करने में मदद करेंगे? इसके जवाब में अरुण सिंह ने कहा कि कोई सत्ता विरोधी लहर नहीं है, केवल सत्ता समर्थक लहर है. अब चाहे ईज ऑफ डूइंग बिजनेस हो या इनोवेशन, कर्नाटक की स्थिति मजबूत है. कर्नाटक में थोक एफडीआई आ रहा है. लोगों के विचार और उनकी भावनाएं बीजेपी के साथ हैं.


गौरतलब है कि इससे पहले मंगलवार (11 अप्रैल) को बीजेपी ने अपने 189 उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी की थी. इस सूची में 52 नए चेहरों और 8 महिलाओं को शामिल किया गया है. साल 2018 के चुनावों में बीजेपी 104 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी. वहीं, कांग्रेस और तत्कालीन सहयोगी जेडीएस ने क्रमशः 80 और 37 सीटें जीतीं थीं.


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