Karnataka Elections: भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) ने कर्नाटक में पहली बार वोट-फ्रॉम-होम के ऑप्शन की घोषणा की. जिसके बाद से राज्य भर में 80 से अधिक उम्र के 60 हजार बुजुर्ग और विशेष रूप से दिव्यांग 15 से 20 हजार लोगों ने वोट-फ्रॉम-होम का विकल्प चुना है. बेंगलुरु में 8,500 से अधिक वरिष्ठ नागरिकों और 100 से अधिक शारीरिक अक्षमता (दिव्यांग) वाले लोगों ने नामांकन किया है. हालांकि, पहले तो इस पहल के प्रति मतदाताओं की प्रतिक्रिया सामान्य थी. इसके बावजूद लक्षित जनसंख्या के 5% से भी कम लोगों ने इसका लाभ उठाया.


मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने कही ये बात
कर्नाटक के मुख्य निर्वाचन अधिकारी मनोज कुमार मीणा ने कहा कि 'हम अभी भी व्यक्तिगत आंकलन के बाद मतदाताओं की अंतिम संख्या पर काम कर रहे हैं. रिटर्निंग अधिकारी आवेदनों का सत्यापन कर सुविधा उपलब्ध कराने का निर्णय लेंगे. पार्टियों के साथ पहले से ही सूची साझा की जाएगी'. बता दें कि मार्च 2023 तक कर्नाटक की मतदाता सूची में 80 से 99 आयु वर्ग के 12.2 लाख लोग बुजुर्ग और 5.6 लाख लोग दिव्यांग थे. वहीं, 100 साल के ऊपर 16 हजार से अधिक मतदाता थे.


सबके लिए नहीं है ऑप्शन
सीईओ कर्नाटक के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि 'शुरुआत में योग्य मतदाताओं के लिए विकल्प अनिवार्य नहीं था. वास्तव में कई योग्य मतदाताओं ने विकल्प का लाभ उठाने से इनकार कर दिया. उन्होंने जोर देकर कहा कि वे मतदान केंद्र तक चलेंगे और अपना वोट डालेंगे. विकल्प केवल उनके लिए है जो या तो अपने घरों तक ही सीमित हैं या उम्र से संबंधित बीमारियों से पीड़ित हैं'. अधिकारियों ने बताया कि इन वोटरों के लिए व्यवस्था की जा रही है.


पूरी प्रक्रिया की होगी वीडियोग्राफी
सीईओ कर्नाटक के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा 'भौगोलिक स्थिति के आधार पर प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में दो से तीन सेक्टर होते हैं. वैसे ही, अलग-अलग टीमें इन व्यक्तियों के घरों में बैलेट पेपर लेकर जाएंगी और उनके वोट एकत्र करेंगी. मतदान वास्तविक दिन से 5 से 6 दिन पहले होगा. इस पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी की जाएगी. उम्मीदवारों के पोलिंग एजेंटों को पहले से सूचित किया जाएगा. जिससे कि वे अधिक से अधिक पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए मतदान प्रक्रिया के दौरान भी मौजूद रहेंगे'.


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